क्या राजकोट की सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी ने 'नोमोफोबिया' की पहचान के लिए नया मनोवैज्ञानिक टेस्ट विकसित किया है?

Click to start listening
क्या राजकोट की सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी ने 'नोमोफोबिया' की पहचान के लिए नया मनोवैज्ञानिक टेस्ट विकसित किया है?

सारांश

राजकोट की सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी ने एक अनोखा 'नोमोफोबिया' परीक्षण विकसित किया है, जो यह बताएगा कि क्या आप या आपका बच्चा मोबाइल फोन की कमी से पीड़ित हैं। यह परीक्षण न केवल पहचान में मदद करेगा, बल्कि इससे छुटकारा पाने के लिए उपाय भी बताएगा। जानिए इसके बारे में और क्या खास है इस परीक्षण में!

Key Takeaways

  • सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी ने 'नोमोफोबिया' का परीक्षण विकसित किया है।
  • यह परीक्षण पहचान और काउंसलिंग में मदद करेगा।
  • कॉपीराइट प्राप्त करने के बाद इसे बड़े पैमाने पर लागू किया जाएगा।
  • परीक्षण 14 से 34 वर्ष के व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है।
  • यह मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक होगा।

राजकोट, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात के राजकोट स्थित सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग के शोध छात्राओं ने एक नया 'नोमोफोबिया' परीक्षण विकसित किया है, जो यह बताएगा कि आपका बच्चा या आप खुद नोमोफोबिया से प्रभावित हैं या नहीं।

यदि कोई व्यक्ति मोबाइल की बैटरी खत्म होने, नेटवर्क कमजोर होने या फोन छिनने पर बेचैन हो जाता है, तो यह नोमोफोबिया के संकेत हो सकते हैं। इस परीक्षण के माध्यम से इन लक्षणों का सरलता से पता लगाया जा सकता है।

यूनिवर्सिटी ने इस फॉर्मूले का कॉपीराइट भी प्राप्त कर लिया है, जिससे इसे बड़े पैमाने पर लागू किया जा सकेगा। इस परीक्षण के जरिए केवल नोमोफोबिया विकार से ग्रसित व्यक्तियों की पहचान और काउंसलिंग की जाएगी, बल्कि उन्हें मोबाइल की लत से मुक्त कराने में भी सहायता मिलेगी।

सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर योगेश जोगसन ने कहा कि हमने भारत में रहने वाले छात्रों के लिए एक पेपर-पेंसिल परीक्षा तैयार की है, जिसे मान्यता प्राप्त हुई है। इसका कॉपीराइट भारत सरकार से मिला है।

असिस्टेंट प्रोफेसर धारा दोशी ने बताया कि 14 से 34 वर्ष के लोगों में 'नोमोफोबिया' के लक्षणों का आकलन करने के लिए एक पेपर-पेंसिल परीक्षण विकसित किया गया है। यह परीक्षण छात्रों और पीएचडी शोधार्थियों के लिए बेहद उपयोगी होगा। विशेष रूप से 'नोमोफोबिया' के कारण होने वाली बेचैनी और घबराहट से बचने के लिए इसमें कई वैज्ञानिक उपाय और तकनीकें शामिल हैं।

इस विषय पर सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी की शोध छात्रा उन्नति देसाई ने कहा कि 'नोमोफोबिया' नामक मनोवैज्ञानिक परीक्षण का निर्माण किया गया है। इस परीक्षण के माध्यम से युवाओं में नोमोफोबिया का स्तर सटीकता से मापा जा सकता है।

Point of View

जो समाज में बढ़ती तकनीकी निर्भरता को ध्यान में रखता है। यह परीक्षण न केवल निदान में मदद करेगा, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में भी एक सकारात्मक पहल है। हमें इस तरह की पहलों का समर्थन करना चाहिए जो युवाओं की मानसिक स्थिति को बेहतर बनाते हैं।
NationPress
14/12/2025

Frequently Asked Questions

नोमोफोबिया क्या है?
नोमोफोबिया एक प्रकार का मानसिक विकार है, जिसमें व्यक्ति मोबाइल फोन के बिना रहने पर बेचैनी महसूस करता है।
इस परीक्षण को कैसे किया जाता है?
यह परीक्षण एक पेपर-पेंसिल प्रारूप में होता है, जिसमें विभिन्न प्रश्न होते हैं जो व्यक्ति की मानसिक स्थिति का आकलन करते हैं।
क्या यह परीक्षण केवल छात्रों के लिए है?
नहीं, यह परीक्षण 14 से 34 वर्ष के सभी व्यक्तियों के लिए उपयोगी है।
क्या इस परीक्षण का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाएगा?
हाँ, इस परीक्षण का कॉपीराइट मिल चुका है, जिससे इसे बड़े पैमाने पर लागू किया जा सकेगा।
नोमोफोबिया से बचने के उपाय क्या हैं?
इस परीक्षण के जरिए व्यक्तियों को मानसिक स्थिति को समझने और उसके अनुसार उपचार के उपाय मिलेंगे।
Nation Press