क्या पीएलआई योजना से दुर्लभ बीमारियों के इलाज की लागत में कमी आई है?

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क्या पीएलआई योजना से दुर्लभ बीमारियों के इलाज की लागत में कमी आई है?

सारांश

दवा कंपनियों के लिए पीएलआई योजना के अंतर्गत दुर्लभ रोगों को शामिल किया गया है, जिससे इलाज की लागत में उल्लेखनीय कमी आई है। जानिए इस योजना से किस प्रकार के लाभ मिल रहे हैं और क्यों यह एक महत्वपूर्ण कदम है।

Key Takeaways

  • पीएलआई योजना के तहत उपचार की लागत में कमी आई है।
  • दवा कंपनियों को समर्थन प्राप्त हुआ है।
  • दुर्लभ रोगों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • सरकार का उद्देश्य बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है।
  • समावेशिता और मानवता की दृष्टि से आगे बढ़ने की आवश्यकता है।

नई दिल्ली, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने गुरुवार को एक आधिकारिक बयान में बताया कि दवा कंपनियों के लिए उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के अंतर्गत दुर्लभ रोगों को एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में मान्यता दी गई है, जिसके फलस्वरूप उपचार की लागत में उल्लेखनीय कमी आई है।

औषधि विभाग के सचिव अमित अग्रवाल ने बताया कि इस योजना के तहत दुर्लभ रोगों के लिए आठ दवाओं को समर्थन प्राप्त हुआ है, जिसमें गौचर रोग के लिए एलिग्लस्टैट भी शामिल है। इस उपचार की लागत अब सालाना 1.8-3.6 करोड़ रुपए से घटकर 3-6 लाख रुपए हो गई है।

अन्य समर्थित उपचारों में विल्सन रोग के लिए ट्राइएंटाइन, टायरोसिनेमिया टाइप 1 के लिए निटिसिनोन और लेनोक्स-गैस्टॉट सिंड्रोम के लिए कैनाबिडियोल शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि उपचार की लागत में इस तरह की ठोस कमी लक्षित नीतियों के प्रभावी हस्तक्षेपों की क्षमता को दर्शाती है।

अग्रवाल ने फिक्की सभागार में आयोजित 'दुर्लभ रोग सम्मेलन 2025' के उद्घाटन सत्र में एक विशेष भाषण दिया।

उन्होंने आयोजकों की इस महत्वपूर्ण विषय पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सराहना की, जिस पर ऐतिहासिक रूप से पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है।

अग्रवाल ने जोर दिया कि दुर्लभ बीमारियां व्यक्तिगत रूप से भले ही दुर्लभ प्रतीत हों, लेकिन सामूहिक रूप से ये लगभग हर बीस में से एक व्यक्ति यानी लगभग 5 प्रतिशत जनसंख्या को प्रभावित करती हैं, जिससे ये एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता बन जाती हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि दुर्लभ रोगों की चुनौती को एक मानवीय दृष्टिकोण और समावेशिता के प्रश्न के रूप में देखना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'दिव्यांगजन' के समावेशी दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए, अग्रवाल ने सरकार, उद्योग, शिक्षा जगत और नागरिक समाज से रोगियों और देखभाल करने वालों के सामने आने वाले बहुआयामी बोझ को कम करने के लिए सहयोग की अपील की।

प्रधानमंत्री मोदी के स्वतंत्रता दिवस संबोधन का जिक्र करते हुए, उन्होंने कहा, "हमें दुनिया की फार्मेसी के रूप में जाना जाता है, लेकिन क्या अनुसंधान और विकास में निवेश करना समय की जरूरत नहीं है? क्या हमें मानवता के कल्याण के लिए सर्वोत्तम और सबसे सस्ती दवाइयां उपलब्ध नहीं करानी चाहिए?"

अग्रवाल ने कॉर्पोरेट जगत को अपनी सीएसआर पहलों और रोगी सहायता कार्यक्रमों में दुर्लभ रोगों से प्रभावित रोगियों को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया।

उन्होंने सभी हितधारकों से अपनी नीतियों, विनियमों, फंडिंग मॉडलों और कार्यक्रम डिजाइनों का मूल्यांकन समावेशिता के दृष्टिकोण से करने की अपील की। उन्होंने दुर्लभ रोग समुदाय की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विशेष मार्ग या नियामक छूट की तलाश करने का सुझाव दिया।

Point of View

बल्कि रोगियों को भी राहत देती है। इस क्षेत्र में समावेशिता और मानवता की दृष्टि से आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

पीएलआई योजना क्या है?
पीएलआई योजना का मतलब उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना है, जो दवा कंपनियों को उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करती है।
दुर्लभ रोगों की लागत में कमी कैसे आई है?
दवा कंपनियों को पीएलआई योजना के अंतर्गत समर्थन मिलने से दुर्लभ रोगों के उपचार की लागत में कमी आई है।
क्या यह योजना सभी दुर्लभ रोगों के लिए लागू है?
नहीं, यह योजना कुछ विशेष दुर्लभ रोगों के लिए लागू है, जिनमें से आठ दवाओं को समर्थन दिया गया है।
सरकार का इस योजना के प्रति क्या दृष्टिकोण है?
सरकार का उद्देश्य है कि इस योजना के माध्यम से उपचार की लागत को कम करके रोगियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाएं।
दुर्लभ रोगों से प्रभावित लोगों के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की है।