क्या बच्चों में सीने में जकड़न और खांसी से परेशानी को आयुर्वेद के उपायों से ठीक किया जा सकता है?

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क्या बच्चों में सीने में जकड़न और खांसी से परेशानी को आयुर्वेद के उपायों से ठीक किया जा सकता है?

सारांश

सर्दियों में बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। ठंड और सर्द हवाएं सीने में जकड़न, खांसी और सांस लेने में कठिनाई पैदा करती हैं। ऐसे में पारंपरिक आयुर्वेदिक उपायों से राहत पाई जा सकती है। जानें कैसे!

Key Takeaways

  • तिल का तेल बच्चों के लिए फायदेमंद है।
  • पान का पत्ता प्राकृतिक उपाय है।
  • जायफल पाचन में सहायक है।
  • मासाज से सुखद नींद मिलती है।
  • डॉक्टर से सलाह लेना न भूलें।

नई दिल्ली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सर्दियों का मौसम बच्चों के लिए बहुत सारी चुनौतियाँ लेकर आता है। ठंडी और सर्द हवाएं उनकी सेहत पर जल्दी असर डालती हैं। अक्सर बच्चों में सीने में जकड़न, खांसी या सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जिससे बच्चे न तो खेल पाते हैं और न ही सो पाते हैं। पूरे दिन बेचैनी बनी रहती है। इस स्थिति में दादी-नानी के पारंपरिक नुस्खे बेहद सहायक सिद्ध हो सकते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, बच्चों में ठंड के कारण उत्पन्न समस्याओं को रोकने और सुधारने के लिए शरीर और मन का संतुलन होना आवश्यक है। यदि बच्चा मां के दूध पर निर्भर है, तो मां का खान-पान शुद्ध और संतुलित होना चाहिए। ठंडी तासीर वाली चीजें, भारी और मसालेदार भोजन, या गैस और कब्ज उत्पन्न करने वाले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। मां की पाचन शक्ति और इम्यूनिटी ठीक होने पर बच्चे को भी लाभ होता है।

आयुर्वेद में तिल का तेल एक वरदान माना गया है। इसमें गर्म तासीर के साथ-साथ एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। यह श्वसन मार्ग को खोलने, फेफड़ों की नसों को आराम देने और बलगम को बाहर निकालने में मदद करता है।

छोटे बच्चों के लिए तिल के तेल की हल्की गर्म मालिश सबसे प्रभावी उपाय है। इसे हल्का गर्म करके बच्चे के सीने, पीठ और हाथ-पैरों पर धीरे-धीरे मसाज करें। मसाज करते समय हल्के हाथों का प्रयोग करें ताकि बच्चे को आराम मिले। यह न केवल ठंड और जकड़न को कम करता है, बल्कि बच्चे की नींद को भी सुधारता है।

पान का पत्ता भी आयुर्वेद में एक अद्भुत उपाय माना गया है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एक्सपेक्टोरेंट गुण होते हैं, जो बलगम को निकालकर फेफड़ों की नसों को आराम देते हैं। इसके लिए पान का पत्ता हल्का सा तवे पर सेंक लें और ऊपर से तिल का तेल लगाएं। ध्यान रखें कि पत्ता हल्का-सा गर्म हो। फिर इसे बच्चे के सीने पर रखें और ऊपर से मुलायम कपड़े से ढक दें। यह उपाय ठंडी हवा से होने वाली जकड़न और खांसी को कम करने में मदद करता है।

जायफल और छुआरे भी बच्चों की सर्दियों की जकड़न में राहत देने वाले प्राकृतिक उपाय हैं। आयुर्वेद में जायफल को हल्की गर्म तासीर वाला माना गया है, जो पाचन को सुधारता है और शरीर को अंदर से गर्म रखता है।

यदि बच्चे को मुनक्का, दूध में भीगा छुआरा और थोड़ी मात्रा में जायफल पाउडर मिलाकर दिया जाए, तो यह जकड़न और खांसी को कम करता है और बच्चे की नींद में सुधार करता है।

छोटे बच्चों में जकड़न, खांसी या सांस की समस्या गंभीर हो सकती है। इसलिए किसी भी उपाय को अपनाने से पहले हमेशा अपने बाल रोग विशेषज्ञ या डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।

Point of View

NationPress
15/12/2025

Frequently Asked Questions

बच्चों में सीने में जकड़न और खांसी के लिए क्या घरेलू उपाय हैं?
तिल का तेल, पान का पत्ता, जायफल और छुआरे जैसे घरेलू उपाय बच्चों को राहत प्रदान कर सकते हैं।
क्या आयुर्वेदिक उपाय सुरक्षित हैं?
जी हां, आयुर्वेदिक उपाय प्राकृतिक होते हैं और बच्चों के लिए सुरक्षित माने जाते हैं।
कब डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए?
यदि बच्चे की समस्या गंभीर हो या लम्बे समय तक बनी रहे, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।
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