क्या राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देहरादून में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 में भाग लिया?

सारांश
Key Takeaways
- योग
- अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' है।
- योग सभी के लिए सुलभ और सरल होना चाहिए।
- स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना हमारा कर्तव्य है।
- योग जीवन जीने की कला है।
देहरादून, 21 जून (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। राष्ट्रपति ने सभी को योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दीं और कामना की कि योग के माध्यम से पूरी मानवता स्वस्थ और खुशहाल बने।
अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि 2015 से विश्व के अधिकांश देशों में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर योगाभ्यास का आयोजन होता आ रहा है। योग अब मानवता की साझा धरोहर बन चुका है। उन्होंने कहा, "योग का अर्थ है जोड़ना। योग का अभ्यास व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा को जानने और सशक्त बनाने का कार्य करता है। यह एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति, एक समुदाय को दूसरे समुदाय और एक देश को दूसरे देश से जोड़ने का भी काम करता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' रखी गई है।"
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, "भारत की पहल पर योग के प्रति विश्व समुदाय में सम्मान बढ़ा है। दुनिया भर के लोग इससे लाभान्वित हो रहे हैं। योग संस्थानों का यह दायित्व है कि वे इसे सही और सरल तरीके से जन-सुलभ बनाएं। योग किसी संप्रदाय या पंथ से संबंधित नहीं है।" उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग भ्रांतिवश योग को एक विशेष समुदाय से जोड़ते हैं, लेकिन यह पूरी तरह गलत है। योग जीवन जीने की कला है जो शरीर, मन और समग्र व्यक्तित्व को लाभ पहुंचाती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए। यह कहा जाता है कि स्वास्थ्य ही संपदा है, इसलिए इस संपत्ति को सुरक्षित रखना हमारा कर्तव्य होना चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने 'एक्स' पर लिखा, "अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर हम इस प्राचीन परंपरा का उत्सव मनाते हैं। यह भारत का विश्व को दिया गया उपहार है, जो लाखों लोगों के लिए शांति, शक्ति और एकता लाता है। भारत की 5000 साल पुरानी संस्कृति में निहित योग की यह शाश्वत ज्ञानधारा आज सीमाओं से परे जाकर मानवता को स्वास्थ्य और सद्भाव से जोड़ रही है।"