सर्दियों में सिरदर्द और माइग्रेन की समस्याएं क्यों बढ़ती हैं?

Click to start listening
सर्दियों में सिरदर्द और माइग्रेन की समस्याएं क्यों बढ़ती हैं?

सारांश

क्या आपने कभी सोचा है कि सर्दियों में सिरदर्द और माइग्रेन की शिकायतें क्यों बढ़ जाती हैं? इस लेख में जानें इसके पीछे के कारण और आयुर्वेदिक उपाय। सर्दियों की ठंडी हवा और धूप की कमी से लेकर, बचाव के उपायों तक, सब कुछ यहाँ जानें।

Key Takeaways

  • सर्दियों में सिरदर्द की समस्या बढ़ जाती है।
  • डिहाइड्रेशन और ठंडी हवा इसके प्रमुख कारण हैं।
  • आयुर्वेदिक उपायों से राहत मिल सकती है।
  • तनाव और नींद का पैटर्न भी प्रभावित करता है।
  • बचाव के उपायों का पालन करें।

नई दिल्ली, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जैसे ही सर्दियाँ आती हैं, कई लोगों में सिरदर्द की समस्याएँ बढ़ जाती हैं, विशेषकर माइग्रेन से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह मौसम एक सच्चा टॉर्चर बन जाता है। सुबह की ठंडी हवा, धूप की कमी, शरीर में रक्तसंचार का धीमा होना और दिनचर्या में दिक्कतें, ये सभी मिलकर सिरदर्द का कारण बनते हैं। ठंडी हवा यदि सीधे माथे या कान पर लगती है, तो मस्तिष्क की रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं और 'ब्रेन फ्रीज' जैसी तेज दर्द की स्थिति उत्पन्न होती है। इसके अतिरिक्त, सर्दियों में प्यास कम लगने के कारण डिहाइड्रेशन भी सिरदर्द को बढ़ा देता है।

धूप की कमी भी एक प्रमुख कारण है। विटामिन डी की कमी से सेरोटोनिन हार्मोन में कमी आती है, जिससे माइग्रेन को ट्रिगर किया जा सकता है। भारी रजाई और गलत मुद्रा भी गर्दन की नसों पर दबाव डालकर दर्द को बढ़ाते हैं। नाक बंद होना, साइनस में सूजन और ठंड-जुकाम जैसी समस्याएं भी सिरदर्द की उत्पत्ति में योगदान करती हैं। तनाव और नींद का बिगड़ता पैटर्न भी सिरदर्द को और बढ़ाता है।

साधारण हेडेक हल्का या मध्यम होता है और आराम करने से ठीक हो जाता है, जबकि माइग्रेन अक्सर सिर के एक हिस्से में तेज दर्द, मतली, रोशनी और ध्वनि से परेशानी के साथ होता है। आयुर्वेद में इसे 'अर्धावभेदक' कहा गया है और इसे वात-पित्त दोष से जोड़ा गया है।

सर्दियों में सिरदर्द को कम करने के लिए कुछ सरल उपाय बेहद फायदेमंद होते हैं। गुनगुने तिल या सरसों के तेल से सिर की मालिश नसों को शांत करती है। अदरक और तुलसी की चाय एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से माइग्रेन और साइनस हेडेक में राहत देती है। नस्य कर्म, यानी नाक में २-२ बूंद गाय का घी या तिल का तेल डालना भी लाभकारी है। गुनगुने पानी का भाप लेना और त्रिफला चूर्ण का सेवन कब्ज और सिरदर्द दोनों को कम करता है।

केवल उपाय ही नहीं, बचाव भी आवश्यक है। पर्याप्त पानी पिएं, सिर और कान ढक कर रखें, देर रात तक जागने से बचें, भारी और ठंडा भोजन कम करें। ठंड में रक्तचाप बढ़ना, गर्म पैरों और ठंडे सिर का असंतुलन या जबड़े का लगातार तनाव माइग्रेन को बढ़ा सकता है। इन सरल नियमों का पालन करके आप सर्दियों में सिरदर्द और माइग्रेन की समस्याओं से काफी हद तक बच सकते हैं।

Point of View

बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है। देश भर में लोगों को चाहिए कि वे इन समस्याओं के प्रति जागरूक रहें और उचित उपाय अपनाएं।
NationPress
24/12/2025

Frequently Asked Questions

सर्दियों में सिरदर्द क्यों बढ़ता है?
सर्दियों में ठंडी हवा, धूप की कमी और डिहाइड्रेशन जैसे कारक सिरदर्द को बढ़ाते हैं।
माइग्रेन और साधारण सिरदर्द में क्या अंतर है?
माइग्रेन एक पक्ष में तेज दर्द, मतली और रोशनी से परेशानी के साथ आता है, जबकि साधारण सिरदर्द हल्का होता है।
आयुर्वेद में सिरदर्द के लिए क्या उपाय हैं?
गुनगुने तेल से मालिश, अदरक-तुलसी की चाय, और नस्य कर्म जैसे उपाय आयुर्वेद में प्रभावी माने जाते हैं।
Nation Press