क्या शरद पूर्णिमा को कोजागरी कहते हैं? इस दिन खीर अमृत समान क्यों होती है?

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क्या शरद पूर्णिमा को कोजागरी कहते हैं? इस दिन खीर अमृत समान क्यों होती है?

सारांश

शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। इस दिन चंद्रमा की विशेषता और खीर का महत्व जानें।

Key Takeaways

  • शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व है।
  • इस दिन का चंद्रमा विशेष होता है।
  • खीर का अर्पण समृद्धि का प्रतीक है।
  • आयुर्वेद में इस रात का प्रमुख स्थान है।
  • भक्ति और श्रद्धा का महत्व।

नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, केवल एक उत्सव नहीं है। इसका धार्मिक, आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्व है। "कोजागरी" का अर्थ है – "कौन जाग रहा है?", क्योंकि इस रात माँ लक्ष्मी अपने भक्तों के जागरण की परीक्षा लेती हैं।

इस रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। इस परिपूर्ण चंद्रमा की चांदनी को अमृतमयी माना जाता है और कहा जाता है कि जड़ी-बूटियों और औषधियों को इस रात चांदनी में रखने से उनकी औषधीय शक्ति चार गुना बढ़ जाती है। आयुर्वेदाचार्य वर्ष भर इस रात का इंतजार करते हैं और जीवनदायिनी एवं रोगनाशक जड़ी-बूटियों को चांदनी में रखकर उनकी शक्ति बढ़ाते हैं। इसके अलावा शरद पूर्णिमा को माँ लक्ष्मी के प्राकट्योत्सव के रूप में मनाया जाता है। यही एक कारण है कि शरद पूर्णिमा पर माँ लक्ष्मी को प्रिय खीर का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में खाने से माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। इस साल 6 अक्टूबर को शारदीय पूर्णिमा है। इसे अमावस्या या अन्य पर्वों से अलग, विशेष रूप से चांद की पूजा और भक्ति के लिए जाना जाता है। इस दिन खीर बनाकर देवी-देवताओं को अर्पित करना और चंद्रमा की कृपा प्राप्त करना एक प्राचीन परंपरा है।

पद्म पुराण और स्कंद पुराण में शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने और देवी-देवताओं को अर्पित करने का उल्लेख है। खीर को शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। इसे अर्पित करने से संपूर्ण परिवार में सुख-समृद्धि का संचार होता है। खीर में दूध और चावल के मिश्रण को अन्न और पोषण का प्रतीक माना गया है।

खीर बनाना और अर्पित करना केवल खाना देने की क्रिया नहीं, बल्कि भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। शास्त्रों में कहा गया है कि जो भक्त सादगी और श्रद्धा से खीर बनाकर चंद्रमा या देवी को अर्पित करता है, उसे आध्यात्मिक शांति और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।

खीर दूध, चावल, केसर, काजू-बादाम, पिस्ता जैसी पौष्टिक चीजों से बनाई जाती है। ये सभी सामग्री हमारी सेहत के लिए वैसे भी लाभदायक हैं। दूध में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन जैसे तत्व होते हैं। चावल में फोलिक एसिड, विटामिन, पोटेशियम, मैग्नीशियम, फाइबर और आयरन जैसे तत्व होते हैं। इसी तरह केसर, काजू-बादाम और पिस्ता में भी हमारी सेहत के लिए फायदेमंद तत्व होते हैं। खीर पकने में काफी समय लगता है, तो इन सभी पौष्टिक चीजों के तत्व खीर में आ जाते हैं और इसके सेवन से स्वाद के साथ स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है।

Point of View

बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। यह पर्व हमें अपने परंपराओं को समझने और उन्हें मनाने का अवसर देता है।
NationPress
18/11/2025

Frequently Asked Questions

शरद पूर्णिमा पर खीर क्यों बनाई जाती है?
खीर को शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, और इसे देवी-देवताओं को अर्पित करके आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
कोजागरी का क्या अर्थ है?
कोजागरी का अर्थ है 'कौन जाग रहा है?', जो इस रात भक्तों के जागरण की परीक्षा का संकेत है।
शरद पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व क्या है?
इस रात चंद्रमा की चांदनी में औषधियों की शक्ति बढ़ जाती है, जो आयुर्वेद में महत्वपूर्ण है।
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