क्या 'सुप्त भद्रासन' अनिद्रा, चिड़चिड़ापन और पीरियड क्रैंप से राहत दिला सकता है?
सारांश
Key Takeaways
- सुप्त भद्रासन शरीर और मन को आराम देता है।
- यह कमर और कूल्हे के दर्द में राहत प्रदान करता है।
- चिड़चिड़ापन और अनिद्रा के लिए सहायक है।
- यह तंत्रिका तंत्र को शांत करता है।
- गर्भवती महिलाओं को सावधानी बरतनी चाहिए।
नई दिल्ली, १२ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। योग सदियों से हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है। यह न केवल मन को शांति प्रदान करता है, बल्कि शरीर की समस्याओं से भी राहत दिलाने में सहायक है। इनमें से एक है 'सुप्त भद्रासन'। यह एक ऐसा योगासन है, जो शरीर और मन दोनों को गहराई से विश्राम करता है।
यह एक कायाकल्प करने वाला आसन है, जिसे अक्सर योग सत्रों के अंत में या रेस्टोरेटिव योग कक्षाओं में किया जाता है।
सुप्त भद्रासन, जिसे संस्कृत में 'सुप्त' (झुका हुआ या लेटा) और 'भद्र' (शुभ, अच्छा) कहा जाता है, विश्राम आसन के रूप में भी जाना जाता है। इसे लेटकर किया जाता है, जो शारीरिक तनाव को कम करता है, मन को शांत करता है और तंत्रिका तंत्र को भी सुकून देता है।
'सुप्त भद्रासन' से कमर, कूल्हे, जांघ और घुटनों में होने वाले दर्द और तनाव में कमी आती है। इसके अलावा, जिन लोगों को नींद न आने या चिड़चिड़ापन की समस्या है, उनके लिए यह आसन राहत प्रदान करता है।
आयुष मंत्रालय ने भी इस आसन पर सुझाव दिया है। उन्होंने कहा, "सुप्त भद्रासन एक आरामदायक योगासन है, जिसे 'रिक्लाइनिंग बाउंड एंगल पोज' भी कहा जाता है।"
इसे करने के लिए सबसे पहले योगा मैट बिछाएं, फिर पीठ के बल लेट जाएं। अब दोनों पैरों के तलवे एक-दूसरे से मिलाएं, जैसे नमस्ते करते हैं। अब अपने घुटनों को अपनी क्षमता के अनुसार बाहर की तरफ गिरने दें। हाथों को साइड में, जांघों पर या सिर के नीचे तकिया बनाकर रखें। कुछ मिनटों तक इस मुद्रा में रहें और अपने शरीर को पूरी तरह से विश्राम करने दें।
यह योगासन कूल्हों और कमर की जकड़न को खोलता है। इसे करने से पीरियड्स क्रैंप और प्रोस्टेट समस्या में भी राहत मिलती है। साथ ही, यह तंत्रिका तंत्र को शांत और संतुलित करने में मदद करता है और नितंबों एवं जांघों की मांसपेशियों को लचीला और मजबूत बनाता है।
गर्भवती महिलाओं को इस स्थिति में लंबे समय तक रहने से बचना चाहिए। यदि आपको घुटने या कूल्हे में गंभीर दर्द हो, तो डॉक्टर से सलाह लें। शुरुआती अभ्यास में अधिक जोर न लगाएं और धीरे-धीरे अभ्यास की अवधि बढ़ाएं।