क्या थायरॉइड से परेशान हैं? उज्जायी प्राणायाम है समाधान!
सारांश
Key Takeaways
- उज्जायी प्राणायाम मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है।
- यह थायरॉइड ग्रंथि को सक्रिय और संतुलित रखता है।
- रोजाना 10-15 मिनट का अभ्यास तनाव और चिंता को कम करता है।
- सही तरीके से अभ्यास करने से शरीर और मन दोनों को लाभ मिलता है।
- स्वास्थ्य समस्याओं वाले व्यक्तियों को विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
नई दिल्ली, 13 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय योग प्रणाली में हर प्रकार की शारीरिक और मानसिक समस्याओं का समाधान निहित है। इनमें से एक प्रमुख उपाय उज्जायी प्राणायाम है, जो मानसिक स्वास्थ्य और थायरॉइड संबंधी समस्याओं के लिए एक प्रभावी विधि है।
भारत सरकार का आयुष मंत्रालय उज्जायी प्राणायाम के लाभों पर प्रकाश डालता है। इस प्राणायाम के अभ्यास से श्वास का नियंत्रण होता है, जिससे मस्तिष्क में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है और मानसिक स्पष्टता तथा एकाग्रता में सुधार होता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, रोजाना 10-15 मिनट का अभ्यास करने से तनाव, चिंता, बेचैनी और अनिद्रा की समस्याएं दूर हो जाती हैं। यह विशेष रूप से छात्रों, कार्यरत व्यक्तियों और तनाव में रहने वालों के लिए लाभकारी है।
उज्जायी प्राणायाम थायरॉइड से पीड़ित व्यक्तियों के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। यह थायरॉइड ग्रंथि को सक्रिय और संतुलित रखने में मदद करता है। गले की मांसपेशियों पर हल्का दबाव डालने से हार्मोनल असंतुलन को ठीक किया जा सकता है। हाइपोथायरॉइडिज्म या हाइपरथायरॉइडिज्म से ग्रस्त व्यक्तियों को धीरे-धीरे राहत मिलती है। आयुष मंत्रालय इसे अत्यधिक लाभकारी मानता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि उज्जायी प्राणायाम के फायदे जितने हैं, इसका अभ्यास भी उतना ही सरल है। इसके लिए सबसे पहले एक शांत स्थान पर सुखासन मुद्रा में बैठें, रीढ़ को सीधा रखें। मुँह बंद करके नाक से गहरी सांस लें और गले से हल्की आवाज निकालते हुए सांस छोड़ें। इसे 5 से 10 बार दोहराएं। इस प्राणायाम का अभ्यास सुबह खाली पेट करना सबसे अच्छा माना जाता है।
विशेषज्ञ उज्जायी प्राणायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करने की सलाह देते हैं। यह सुरक्षित है और हर उम्र के लिए उपयुक्त है। यदि सही तरीके से किया जाए तो यह न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि मन को शांति और दिमाग को शक्ति भी प्रदान करता है।
हालांकि, कुछ सावधानियां बरतनी आवश्यक हैं। जैसे, गंभीर हृदय रोग या उच्च रक्तचाप के मरीजों को डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका अभ्यास करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं और हाल ही में सर्जरी करवा चुके मरीजों को विशेषज्ञों की देखरेख में इसे करना चाहिए। गले में दर्द या सांस लेने में कठिनाई होने पर इसे नजरअंदाज करना चाहिए। अभ्यास के दौरान सांस को जबरदस्ती न रोकें और शुरुआत में योग प्रशिक्षक से सीखें।