क्या वैक्सीनेशन के बारे में आम गलतफहमियाँ सच हैं? डॉक्टर ने किया खुलासा

सारांश
Key Takeaways
- वैक्सीनेशन केवल बच्चों के लिए नहीं, बल्कि वयस्कों के लिए भी आवश्यक है।
- टीका लगवाने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम नहीं होती, बल्कि यह बढ़ती है।
- कुछ मिथक जैसे ऑटिज्म से जुड़ना गलत हैं।
- हेल्दी डाइट रखने के बावजूद कुछ बीमारियों के लिए वैक्सीनेशन जरूरी है।
- वैक्सीनेशन के साइड इफेक्ट्स बहुत कम होते हैं।
नई दिल्ली, 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अगस्त का महीना राष्ट्रीय टीकाकरण जागरूकता माह (1-31 अगस्त) के रूप में मनाया जा रहा है। इस समय, लोगों को वैक्सीनेशन के महत्व के बारे में जागरूक किया जा रहा है। इसके लिए आयुष मंत्रालय पूरे देश में एक जागरूकता अभियान चला रहा है। इसी कड़ी में, नोएडा स्थित सीएचसी भंगेल की सीनियर मेडिकल ऑफिसर और गाइनेकोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. मीरा पाठक ने वैक्सीनेशन से जुड़े कुछ मिथकों के बारे में जानकारी दी।
डॉ. मीरा ने बताया, "पहला मिथक ये है कि वैक्सीन केवल बच्चों के लिए आवश्यक होती हैं, जबकि वयस्कों को इसकी आवश्यकता नहीं होती। लेकिन ऐसा नहीं है, कई ऐसे टीके हैं जो वयस्कों को लगवाना आवश्यक है, चाहे वह पहली डोज हो या बूस्टर डोज। जैसे टिटनेस, हेपेटाइटिस बी, इंफ्लुएंजा और एपीवी, ये सभी टीके वयस्कों के लिए आवश्यक होते हैं।"
दूसरा मिथक ये है कि टीका लगवाने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इस पर डॉ. मीरा ने कहा, "वैक्सीनेशन से शरीर की प्राकृतिक इम्यूनिटी प्रभावित नहीं होती। टीका लगने के बाद शरीर की प्राकृतिक इम्यूनिटी के प्रतिक्रिया के कारण रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यह शरीर को बीमारियों के प्रति और भी मजबूत बनाता है।"
तीसरा मिथक ये है कि लोग समझते हैं कि उन्हें वैक्सीनेशन की आवश्यकता नहीं है। जवाब में, डॉक्टर ने कहा, "लोगों को लगता है कि प्राकृतिक इम्यूनिटी पर्याप्त है, लेकिन वे यह नहीं समझते कि कुछ बीमारियों के लिए टीका लगवाना बेहद आवश्यक है।"
चौथा मिथक ये है कि वैक्सीनेशन ऑटिज्म से जुड़ा है, जिसे डॉ. मीरा ने खारिज किया।
पांचवां मिथक ये है कि टीकों में एल्यूमिनियम या कई केमिकल होते हैं जो शरीर के लिए हानिकारक हैं। इस पर डॉ. मीरा ने कहा, "ऐसा नहीं है। यदि कोई भी एल्यूमिनियम युक्त यौगिक या केमिकल होता है, तो उसकी मात्रा इतनी कम होती है कि यह शरीर को नुकसान नहीं पहुँचाता।"
उन्होंने यह भी बताया कि हेल्दी डाइट और जीवनशैली अपनाने से टीके की आवश्यकता नहीं होती, यह भी एक गलत धारणा है। कई बीमारियां हैं जो मजबूत इम्यूनिटी के बावजूद भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकती हैं। इसके अतिरिक्त, जो लोग समझते हैं कि वैक्सीनेशन के साइड इफेक्ट होते हैं, वे बहुत कम होते हैं और इन्हें आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है।