क्या है डायबिटीज? विश्व मधुमेह दिवस पर युवाओं में इसके बढ़ते मामलों का कारण
सारांश
Key Takeaways
- मधुमेह एक गंभीर समस्या है जो सभी आयु वर्ग को प्रभावित करती है।
- हर साल विश्व मधुमेह दिवस पर जागरूकता बढ़ाई जाती है।
- टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के प्रमुख प्रकार हैं।
- जीवनशैली में सुधार से डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है।
- अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, २०२५ तक मधुमेह के मामलों में वृद्धि होगी।
नई दिल्ली, १३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मधुमेह या डायबिटीज एक गंभीर समस्या है, जो न केवल वयस्कों बल्कि बच्चों को भी प्रभावित कर रही है। हर साल डायबिटीज के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। इस समस्या के बारे में जागरूकता फैलाने और इसके निदान हेतु हर साल १४ नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाती है, क्योंकि कुछ लोग इसे बीमारी नहीं मानते और कई लोगों को यह भी नहीं पता कि वे इस समस्या से ग्रस्त हैं।
विश्व मधुमेह दिवस की शुरुआत १९९१ में हुई थी, जिसे अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए शुरू किया। भारत में हर साल मधुमेह के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं, और अनुमान है कि २०२५ तक विश्व में हर तीन में से एक व्यक्ति मधुमेह का शिकार होगा, जबकि चार में से एक व्यक्ति को यह भी नहीं पता होगा कि वे प्रीडायबिटीज से प्रभावित हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वयस्क जनसंख्या विशेष रूप से इस बीमारी से प्रभावित हो रही है। तनाव और खराब जीवनशैली के कारण हर नौ में से एक वयस्क इस समस्या का सामना कर रहा है, और ४० प्रतिशत युवा इस बीमारी के बारे में अनभिज्ञ हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, २०२५ तक लगभग ८३० मिलियन लोग मधुमेह से ग्रस्त होंगे और यह संख्या लगातार बढ़ने की संभावना है।
विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर, यह समझना महत्वपूर्ण है कि डायबिटीज क्या है। भोजन के सेवन के बाद, हमारा शरीर ग्लूकोज का उत्पादन करता है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। हालांकि, रक्त और कोशिकाओं तक इस ग्लूकोज को पहुंचाने के लिए इंसुलिन हार्मोन की आवश्यकता होती है। पैंक्रियाज इंसुलिन का उत्पादन करता है, और यदि यह सही तरीके से काम नहीं करता है, तो रक्त में शुगर का स्तर बढ़ जाता है।
डायबिटीज के दो प्रमुख प्रकार हैं: टाइप 1 और टाइप 2। गर्भावस्था के दौरान भी डायबिटीज हो सकती है। टाइप 2 और गर्भावस्था के दौरान होने वाले डायबिटीज को समय पर नियंत्रित किया जा सकता है, जबकि टाइप 1 डायबिटीज एक गंभीर अवस्था है, जिसमें पैंक्रियाज इंसुलिन का उत्पादन पूरी तरह से बंद कर देता है। इस स्थिति में किडनी, आंखों और दिल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।