क्या पश्चिम बंगाल में खांसी की सिरप बेचना मुश्किल हो जाएगा?

सारांश
Key Takeaways
- पश्चिम बंगाल सरकार ने खांसी की दवाओं की बिक्री पर नई गाइडलाइंस जारी की हैं।
- कंपनियों को दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है।
- खराब या बिना लाइसेंस वाली दवाओं की बिक्री रोकने के लिए कदम उठाए गए हैं।
- पश्चिम बंगाल में अन्य राज्यों की तुलना में अधिक सावधानी बरती जा रही है।
- केंद्र सरकार की चेतावनियों के चलते खांसी की दवाओं के इस्तेमाल में विशेष सावधानी बरती जानी चाहिए।
कोलकाता, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में खांसी की दवाओं की बिक्री और मार्केटिंग को लेकर कड़े कदम उठाए हैं। राज्य के ड्रग कंट्रोल डायरेक्टोरेट ने कफ सिरप बेचने और प्रचार करने वाली कंपनियों पर निगरानी तेज करते हुए एक नई गाइडलाइन और निर्देश जारी किया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, यह कदम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने और भविष्य में किसी भी तरह की अनहोनी से बचने के लिए उठाया गया है।
यह फैसला कोल्ड्रिफ नामक खांसी की सिरप पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद लिया गया है। पहले यह दवा मध्यप्रदेश में प्रतिबंधित की गई थी, जहां इसके सेवन से कई बच्चों की मौत हो गई थी। इसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने भी इसे अपने राज्य में बंद कर दिया। सरकार ने इसे एक एहतियाती कदम बताया है ताकि भविष्य में किसी मासूम की जान ना जाए।
गाइडलाइन के अनुसार, कोई भी दुकानदार या कंपनी किसी और कंपनी द्वारा बनाई गई दवा को अपने नाम से नहीं बेच सकेगी जब तक कि उसके पास उस कंपनी के साथ लिखित समझौता न हो। यह प्रावधान गाइडलाइन के सेक्शन 84डी में अनिवार्य किया गया है। वहीं, धारा 84ई के तहत, जो कंपनियां दवाओं की मार्केटिंग करती हैं, उन्हें अब दवा की गुणवत्ता और कानूनी जिम्मेदारियों के लिए निर्माता कंपनी के साथ बराबर जिम्मेदार माना जाएगा।
ड्रग कंट्रोल डायरेक्टोरेट ने कहा है कि जो कंपनियां पश्चिम बंगाल के बाहर से खांसी की दवाएं बनवा रही हैं और यहां बेच रही हैं, उन्हें अपने निर्माण समझौते की एक कॉपी ड्रग कंट्रोल विभाग को 15 दिनों के भीतर जमा करनी होगी। यह कॉपी आधिकारिक ईमेल पर भेजी जानी चाहिए। विभाग इन दस्तावेजों की जांच करेगा और सुनिश्चित करेगा कि सब कुछ नियमानुसार हो।
इसके साथ ही कंपनियों को यह निर्देश भी दिया गया है कि वे केंद्र सरकार द्वारा संचालित 'ड्रग अलर्ट' पोर्टल पर नियमित नजर रखें, ताकि दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा से जुड़ी नई चेतावनियों की उन्हें सही समय पर जानकारी मिलती रहे।
ड्रग कंट्रोल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस फैसले से बाजार में खराब या बिना लाइसेंस वाली खांसी की सिरप की बिक्री पर लगाम लगेगी। साथ ही इससे ग्राहकों का भरोसा भी बढ़ेगा कि उन्हें जो दवा मिल रही है, वह सुरक्षित है और नियमों के तहत बनी है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी बच्चों को दी जाने वाली खांसी और सर्दी की दवाओं को लेकर चेतावनी जारी की थी। मंत्रालय ने कहा था कि ऐसी दवाओं के इस्तेमाल में विशेष सावधानी बरती जाए। खासकर छोटे बच्चों के लिए इन दवाओं का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना न किया जाए।
मध्यप्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत की घटनाओं के बाद पूरे देश में प्रशासन ने खांसी की सिरप को लेकर अपनी सतर्कता बढ़ा दी है। अब राज्यों के स्वास्थ्य विभाग भी एक्शन मोड में आ गए हैं और दवाओं की गुणवत्ता की जांच और निगरानी को लेकर बेहद सतर्क हो गए हैं।