क्या ब्लू जोन्स में बढ़ती उम्र एक पड़ाव नहीं, बल्कि जीवनशैली का उत्सव है?
सारांश
Key Takeaways
- ब्लू जोन्स में लोग सामाजिक और मानसिक संतुलन बनाए रखते हैं।
- इन क्षेत्रों में ताजगी और सामाजिक संपर्क का विशेष महत्व है।
- आहार में प्लांट-बेस्ड भोजन और ताजे फल शामिल होते हैं।
- ब्लू जोन्स के लोग कम तनाव में जीते हैं, जिससे उनकी दीर्घायु बढ़ती है।
- समुदाय के साथ समय बिताना मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
नई दिल्ली, 13 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दुनिया के नक्शे पर पाँच ऐसी अद्भुत जगहें हैं जहाँ लोग असाधारण रूप से दीर्घकालिक और स्वस्थ जीवन जीते हैं। ये स्थान हैं जापान का ओकिनावा, इटली का सार्डिनिया, कोस्टा रिका का निकोया प्रायद्वीप, ग्रीस का इकारिया द्वीप और अमेरिका का लोमा लिंडा समुदाय, जिन्हें ब्लू जोन्स कहा जाता है।
डब्ल्यूएचओ की 2025 की रिपोर्ट में बताया गया है कि इन क्षेत्रों के निवासी वैश्विक औसत से 12–15 वर्ष अधिक जीते हैं। तो इनकी दीर्घायु का रहस्य क्या है? यह केवल आहार में नहीं, बल्कि एक सम्पूर्ण जीवन-दर्शन में छिपा है।
ओकिनावा में सुबह की शुरुआत किसी स्मार्टफोन नोटिफिकेशन से नहीं, बल्कि ‘इकिगाई’, यानी जीने के उद्देश्य की खोज से होती है। हर व्यक्ति के पास कोई न कोई उद्देश्य होता है, चाहे वह बगीचे की देखभाल करना हो या पड़ोसियों की मदद करना। यह मानसिक संतुलन तनाव को न्यूनतम रखता है और शरीर के हार्मोनल सिस्टम को संतुलित करता है।
इटली के सार्डिनिया के लोग सीमित मात्रा में लाल वाइन, जैतून का तेल और साबुत अनाज का सेवन करते हैं। उनका रहस्य है प्लांट-बेस्ड मेडिटेरेनियन डाइट। वहाँ के बुजुर्ग हर भोजन के साथ ताजे फल और सब्जियाँ लेते हैं, और मांस केवल सप्ताह में एक बार खाते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ मिलान की 2025 की रिपोर्ट बताती है कि इस आहार से खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) का स्तर 30 प्रतिशत तक घट जाता है।
ग्रीस के इकारिया द्वीप में सुबह की चाय में थाइम, रोजमेरी और सेज जैसी जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है, जिन्हें वहाँ नेचुरल एंटी इंफ्लेमेट्री कहा जाता है। शोध में पाया गया है कि इकारिया के निवासियों में अवसाद की दर दुनिया में सबसे कम है, और डिमेंशिया के मामले लगभग न के बराबर हैं।
ब्लू जोन्स के सभी समुदायों में एक समानता है। ये लोग अत्यधिक सामाजिक होते हैं। ये अकेले नहीं बल्कि समाज के साथ जीते हैं। हर व्यक्ति अपने परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों से जुड़ा होता है। यह सामाजिक संपर्क ही मानसिक स्वास्थ्य का मूल है। लोमा लिंडा के निवासी, जो एडवेंटिस्ट ईसाई हैं, हर शनिवार “रेस्ट डे” मनाते हैं। इस दिन वे काम बंद कर परिवार और प्रकृति के साथ समय बिताते हैं।
वे अधिक चलते हैं और अपने काम खुद करते हैं। डब्ल्यूएचओ अब ब्लू जोन मॉडल को शहरी नीतियों में शामिल करने पर विचार कर रहा है, ताकि शहरों में भी ‘सोशल हेल्थ’ और ‘स्लो लिविंग’ को प्रोत्साहन मिल सके।