क्या अमेरिका की युद्ध नीति से उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान हो रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- युद्ध मंत्रालय का नाम बहाल करके अमेरिका ने अपने सैन्य हितों को स्पष्ट किया है।
- 61.3 प्रतिशत लोग अमेरिका को युद्धप्रिय मानते हैं।
- 70.1 प्रतिशत उत्तरदाता मानते हैं कि अमेरिकी युद्ध नीतियों ने मानवीय संकट पैदा किए हैं।
- अमेरिका पर विश्व स्तर पर विश्वसनीयता का संकट गहरा रहा है।
- यूरोप में अधिकांश लोग अमेरिका को घमंडी देश मानते हैं।
बीजिंग, 7 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। स्थानीय समयानुसार 5 सितंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर अमेरिकी रक्षा मंत्रालय का पुराना नाम युद्ध मंत्रालय बहाल किया। इस कार्यकारी आदेश में यह दावा किया गया है कि इस कदम से यह संदेश भेजा गया है कि अमेरिका अपने हितों की रक्षा के लिए युद्ध करने के लिए तत्पर है।
यह ख़बर अंतर्राष्ट्रीय लोकमत का बड़ा ध्यान आकर्षित कर रही है। चाइना मीडिया ग्रुप के अंतर्गत सीजीटीएन द्वारा वर्ष 2023 से 2024 तक 38 देशों के 14,000 से अधिक नेटिजनों के बीच किए गए सर्वे के नतीजों से स्पष्ट है कि युद्ध की मनमानी से अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय छवि को गंभीर नुकसान पहुंचता है। अधिकांश उत्तरदाता अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय संबंधों में नेतृत्व की वैधता पर प्रश्न उठा रहे हैं।
सीजीटीएन के सर्वे के अनुसार, 61.3 प्रतिशत उत्तरदाता मानते हैं कि अमेरिका दुनिया का सबसे युद्धप्रिय देश है। 70.1 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि अमेरिका द्वारा युद्ध छेड़ने से गंभीर मानवीय संकट उत्पन्न हुए हैं। यूरोपीय देशों में 73.9 प्रतिशत उत्तरदाता यह मानते हैं कि अमेरिका द्वारा अन्य देशों को सैन्य सहायता देना विश्व शांति और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा है। 63.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अमेरिका के रंग क्रांति उकसाने और अन्य देशों में छद्म युद्ध करने की निंदा की।
सर्वे में पाया गया है कि केवल 49.6 प्रतिशत उत्तरदाता मानते हैं कि अमेरिका एक विश्वसनीय देश है। पिछले दो वर्षों में अमेरिका के प्रति वैश्विक विश्वास स्तर 8.4 प्रतिशत कम हुआ है। यूरोप में 79.6 प्रतिशत उत्तरदाता मानते हैं कि अमेरिका एक घमंडी देश है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)