क्या बांग्लादेश की अवामी लीग ने पूर्व आईजीपी को सरकारी गवाह बनाने के लिए यातनाएं दी?

Click to start listening
क्या बांग्लादेश की अवामी लीग ने पूर्व आईजीपी को सरकारी गवाह बनाने के लिए यातनाएं दी?

सारांश

बांग्लादेश की अवामी लीग ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ दायर मामले को नकारते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी का कहना है कि पूर्व आईजीपी को सरकारी गवाह बनने के लिए अमानवीय यातनाएं दी गईं। यह राजनीतिक प्रतिशोध का एक हिस्सा है, जो बांग्लादेश की राजनीति में उथल-पुथल को और बढ़ा रहा है।

Key Takeaways

  • अवामी लीग का आरोप है कि यह मामला राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है।
  • पूर्व आईजीपी अल मामून को सरकारी गवाह बनने के लिए यातनाएं दी गईं।
  • अभियोजन पक्ष के पास शेख हसीना के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है।
  • यह मामला बांग्लादेश की राजनीति में उथल-पुथल को बढ़ा रहा है।
  • अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मामले पर ध्यान दे रहा है।

ढाका, ११ जुलाई २०२५ (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश की अवामी लीग पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और अन्य नेताओं के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) में दायर एक मामले को "झूठा और हास्यास्पद" करार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया है कि पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) अब्दुल्ला अल मामून को सरकारी गवाह बनने के लिए "अमानवीय यातनाएं" दी गईं और उन पर बलप्रयोग किया गया।

अवामी लीग ने इसे शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को फंसाने का एक "दुर्भावनापूर्ण प्रयास" बताया है।

स्थानीय मीडिया के अनुसार, पिछले साल जुलाई में हुए विद्रोह के दौरान कथित "मानवता के खिलाफ अपराधों" से जुड़े एक मामले में आईसीटी ने शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री कमाल और पूर्व आईजीपी अल मामून के खिलाफ आरोप तय किए हैं।

हालांकि, अल मामून को इस मामले में सरकारी गवाह बनाया गया है। अवामी लीग ने गुरुवार को जारी किए गए अपने बयान में कहा कि यह मुकदमा पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है और इसका मकसद शेख हसीना को बदनाम करना है।

पार्टी का कहना है कि अभियोजन पक्ष के पास शेख हसीना के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। बयान में कहा गया, "लंबी जांच के बाद भी जब अभियोजन पक्ष कोई तथ्यात्मक सबूत पेश नहीं कर सका, तो उसने अल मामून को सरकारी गवाह बनाने के लिए दबाव डाला। यह दर्शाता है कि यह मामला पूरी तरह से निराधार है और जबरदस्ती की गई गवाही पर आधारित है।"

अवामी लीग ने इसे "राजनीतिक प्रतिशोध" का हिस्सा बताया, जो शेख हसीना की सरकार द्वारा १९७१ के युद्ध अपराधियों पर मुकदमा चलाने के जवाब में चलाया जा रहा है।

पार्टी ने दावा किया कि अल मामून को न केवल जेल में अमानवीय यातनाएं दी गईं, बल्कि उनके परिवार को भी धमकियां दी गईं। बयान के अनुसार, अल मामून को कहा गया कि यदि वे सरकारी गवाह नहीं बने, तो उन्हें फांसी दी जाएगी और उनके परिवार को भी जेल में डालकर यातनाएं दी जाएंगी।

इसके विपरीत, यदि वे सरकार के पक्ष में गवाही देते हैं, तो उन्हें रिहा करने का वादा किया गया। अवामी लीग ने इस व्यवहार को "अवैध, गैरकानूनी और असंवैधानिक" बताया और इसे कानून के शासन का उल्लंघन करार दिया।

अवामी लीग ने अंतरिम सरकार पर "फासीवादी" और "अवैध" होने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह मुकदमा शेख हसीना से राजनीतिक बदला लेने का प्रयास है। पार्टी ने बांग्लादेश के लोगों और वैश्विक समुदाय से इस "अन्याय और उत्पीड़न" के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की है।

यह विवाद बांग्लादेश की राजनीति में चल रही उथल-पुथल को और गहरा करता है। अवामी लीग का कहना है कि शेख हसीना के नेतृत्व में देश ने प्रगति की थी, और यह मुकदमा उस उपलब्धि को कमजोर करने की साजिश है। इस मामले पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें टिकी हैं, क्योंकि यह बांग्लादेश में कानून और न्याय की स्थिति पर सवाल उठाता है।

Point of View

जबकि विपक्ष इसे न्याय की प्रक्रिया का उल्लंघन मानता है। यह विषय राष्ट्र के लिए संवेदनशील है, और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी बांग्लादेश में कानून और न्याय की स्थिति पर नजर रखे हुए है।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

अवामी लीग ने किस मामले की निंदा की है?
अवामी लीग ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और अन्य नेताओं के खिलाफ दायर मामले को नकारते हुए इसे 'झूठा और हास्यास्पद' करार दिया है।
पूर्व आईजीपी अब्दुल्ला अल मामून पर क्या आरोप है?
उन्हें सरकारी गवाह बनने के लिए अमानवीय यातनाएं दी गईं और बलप्रयोग किया गया।
इस मामले में बांग्लादेश की अवामी लीग का क्या कहना है?
अवामी लीग का कहना है कि यह मामला पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है और इसका मकसद शेख हसीना को बदनाम करना है।
क्या अवामी लीग ने कोई सबूत पेश किया है?
पार्टी का कहना है कि अभियोजन पक्ष के पास शेख हसीना के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है।
इस मामले का अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर क्या असर है?
यह मामला बांग्लादेश में कानून और न्याय की स्थिति पर सवाल उठाता है, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें इस पर टिकी हैं।