क्या बलूचिस्तान हाई कोर्ट ने इंटरनेट सेवाएं निलंबित करने के खिलाफ याचिका स्वीकार की?

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क्या बलूचिस्तान हाई कोर्ट ने इंटरनेट सेवाएं निलंबित करने के खिलाफ याचिका स्वीकार की?

सारांश

बलूचिस्तान हाई कोर्ट ने इंटरनेट सेवाओं के निलंबन के खिलाफ याचिका को स्वीकार कर लिया है। यह निर्णय स्थानीय निवासियों, व्यापारियों और छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे शिक्षा और व्यापार पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। आइए इस मुद्दे की गहराई में जाएं।

Key Takeaways

  • बलूचिस्तान हाई कोर्ट ने याचिका को स्वीकार किया।
  • इंटरनेट सेवाएं 6 अगस्त से निलंबित हैं।
  • इससे ऑनलाइन शिक्षा और व्यापार प्रभावित हुए हैं।
  • स्थानीय निवासियों की रोजमर्रा की जिंदगी पर असर पड़ा है।
  • मानवाधिकार संगठनों ने चिंता व्यक्त की है।

क्वेटा, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बलूचिस्तान हाई कोर्ट (बीएचसी) ने गुरुवार को प्रांत में मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवाओं को निलंबित किए जाने के खिलाफ दायर याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने प्रांतीय गृह विभाग और पाकिस्तान टेलीकम्युनिकेशन अथॉरिटी (पीटीए) को नोटिस जारी करते हुए उनके प्रतिनिधियों को 15 अगस्त को तलब किया है।

यह याचिका तब दायर की गई जब 6 अगस्त को सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए बलूचिस्तान के अधिकांश जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई थीं, जिनमें क्वेटा भी शामिल है। यह प्रतिबंध 31 अगस्त तक जारी रहने की संभावना है। बलूचिस्तान की कंज्यूमर सिविल सोसाइटी ने याचिका में कहा है कि इंटरनेट बंद होने से ऑनलाइन शिक्षा, व्यापारिक गतिविधियां और यात्रियों के संचार पर गंभीर असर पड़ा है।

स्थानीय निवासी, व्यापारी समुदाय और राजनीतिक प्रतिनिधियों ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि इंटरनेट बंद होने से संचार, शिक्षा, व्यापारिक लेन-देन और रोजमर्रा की जिंदगी बुरी तरह प्रभावित हुई है। छात्र न ऑनलाइन कक्षाएं ले पा रहे हैं, न ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर पा रहे हैं। ई-कॉमर्स और डिजिटल वित्तीय सेवाएं भी बाधित हुई हैं।

व्यापारिक नेताओं ने चेतावनी दी है कि यह इंटरनेट ब्लैकआउट रोजाना आर्थिक नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर निर्भर कारोबारी समुदाय अपना काम नहीं कर पा रहा है।

जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फज़ल (जेयूआई-एफ) के सीनेटर और वरिष्ठ वकील कमरान मुर्तज़ा ने सीनेट में इस मुद्दे पर बहस कराने के लिए प्रस्ताव पेश किया है, इसे तत्काल जनहित का मामला बताया है।

पिछले सप्ताह ऑनलाइन कक्षाओं में दाखिला लेने वाले छात्रों ने बताया कि वे व्याख्यान में शामिल नहीं हो पा रहे हैं और न ही असाइनमेंट जमा कर पा रहे हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और गंभीर है, जहां पहले से ही शिक्षा संसाधन सीमित हैं।

क्वेटा, तुरबत, खुज़दार और पंजगुर के फ्रीलांसर और उद्यमियों का कहना है कि इंटरनेट सेवाएं बंद होने से उनकी आजीविका ठप हो गई है। एक कारोबारी ने कहा, “हमारा पूरा काम इंटरनेट पर निर्भर है; यह बंदी हमें आर्थिक बर्बादी के कगार पर ले आई है।”

मीडिया संस्थान भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। पत्रकारों का कहना है कि वे क्षेत्र से रिपोर्ट साझा नहीं कर पा रहे हैं, जिससे “सूचना ब्लैकआउट” की स्थिति पैदा हो गई है।

मानवाधिकार संगठनों ने इस फैसले पर गंभीर चिंता जताई है और कहा है कि इंटरनेट सेवाएं निलंबित करना नागरिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है तथा शिक्षा, आर्थिक गतिविधियों और सूचना तक पहुंच के नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर सीधा प्रहार है।

Point of View

हम हमेशा देश की भलाई को प्राथमिकता देते हैं। बलूचिस्तान की स्थिति चिंताजनक है, और इंटरनेट सेवाओं का निलंबन निश्चित रूप से नागरिकों के अधिकारों और आर्थिक गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। हमें इस मुद्दे पर गहरी समझ और सहयोग की आवश्यकता है।
NationPress
20/08/2025

Frequently Asked Questions

बलूचिस्तान हाई कोर्ट ने कब याचिका स्वीकार की?
बलूचिस्तान हाई कोर्ट ने 14 अगस्त को याचिका को स्वीकार किया।
इंटरनेट सेवाएं कब से निलंबित की गई थीं?
इंटरनेट सेवाएं 6 अगस्त से निलंबित की गई थीं।
किस कारण से इंटरनेट सेवाएं निलंबित की गई थीं?
सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इंटरनेट सेवाएं निलंबित की गई थीं।
इस फैसले का स्थानीय लोगों पर क्या असर पड़ा है?
इस फैसले का स्थानीय निवासियों, व्यापारियों और छात्रों पर गंभीर नकारात्मक असर पड़ा है।
कौन सी संस्थाएं इस फैसले के खिलाफ आवाज उठा रही हैं?
मानवाधिकार संगठनों और व्यापारियों ने इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाई है।