क्या बलूचिस्तान में इंटरनेट सेवाएं ठप होने से शिक्षा और व्यवसाय प्रभावित हो रहे हैं?

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क्या बलूचिस्तान में इंटरनेट सेवाएं ठप होने से शिक्षा और व्यवसाय प्रभावित हो रहे हैं?

सारांश

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में इंटरनेट सेवाओं के ठप होने से शिक्षा, व्यवसाय और मीडिया रिपोर्टिंग पर गहरा असर पड़ा है। सरकार का दावा है कि यह कदम सशस्त्र समूहों के संचार को रोकने के लिए उठाया गया है। जानिए इस संकट के पीछे की सच्चाई।

Key Takeaways

  • इंटरनेट सेवाओं का ठप होना शिक्षा को बाधित करता है।
  • ऑनलाइन व्यवसाय प्रभावित हो रहे हैं।
  • मीडिया रिपोर्टिंग में रुकावट आ रही है।
  • मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
  • सरकार को सुरक्षा के बजाय समाधान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

क्वेटा, 10 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में पिछले कुछ दिनों से इंटरनेट सेवाओं का निलंबन शिक्षा, ऑनलाइन व्यवसाय और मीडिया रिपोर्टिंग में बाधा उत्पन्न कर रहा है। प्रांतीय सरकार ने यह दावा किया है कि यह निर्णय क्षेत्र में सक्रिय सशस्त्र समूहों के बीच संचार को रोकने के लिए लिया गया है।

अधिकारियों के अनुसार, अगस्त में बढ़ते तनाव, विशेषकर पाकिस्तान में 'राष्ट्रीय दिवस समारोह' की तैयारी के चलते, सुरक्षा एजेंसियों की सिफारिश पर यह निर्णय लिया गया। पाकिस्तान टेलीकॉम अथॉरिटी (पीटीए) ने एक अधिसूचना में बताया कि बलूचिस्तान में 31 अगस्त तक इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहेंगी।

'द बलूचिस्तान पोस्ट' की रिपोर्ट के अनुसार, छात्रों, व्यवसाय मालिकों, पत्रकारों और मानवाधिकार संगठनों ने सरकार के इस निर्णय की तीखी आलोचना की है। छात्रों ने ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने में असमर्थता जताई है और अपने असाइनमेंट भी जमा नहीं कर पा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी गंभीर है, जहां छात्रों के पास पहले से ही सीमित संसाधन हैं।

क्वेटा, तुर्बत, खुजदार और पंजगुर के फ्रीलांसरों और उद्यमियों का कहना है कि इंटरनेट सेवाओं के ठप होने से उनकी रोजी-रोटी पर संकट आ गया है। एक व्यवसायी ने कहा, "हमारा पूरा काम इंटरनेट पर निर्भर करता है। इस निलंबन ने हमें आर्थिक संकट के कगार पर खड़ा कर दिया है।"

इंटरनेट सेवाओं के निलंबन ने मीडिया संस्थानों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। पत्रकारों का कहना है कि वे क्षेत्र से रिपोर्ट साझा नहीं कर पा रहे हैं। कुछ ने इसे 'सूचना का अंधकार' कहा है।

मानवाधिकार समूहों ने सरकार के इस निर्णय पर गंभीर चिंता जताई है। इंटरनेट के बंद होने को नागरिक स्वतंत्रता का उल्लंघन और नागरिकों के शिक्षा, आर्थिक गतिविधियों और सूचना तक पहुंच के मौलिक अधिकारों पर प्रहार बताया गया है।

स्थानीय राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने के बजाय जनता पर सामूहिक दंड थोप रही है। इस क्षेत्र के लोग अन्य प्रतिबंधात्मक उपायों का भी सामना कर रहे हैं, जिनमें 15 अगस्त तक मोटरसाइकिल पर पीछे बैठने और ईरान तथा इराक की धार्मिक यात्रा पर प्रतिबंध शामिल हैं।

इस सप्ताह की शुरुआत में, पाकिस्तान मानवाधिकार परिषद ने बलूचिस्तान में इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद करने के लिए पाकिस्तानी अधिकारियों की निंदा की। इसे मौलिक मानवाधिकारों का 'घोर उल्लंघन' बताया गया।

एचआरसी पाकिस्तान की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, "बलूचिस्तान सरकार का 6 अगस्त से पूरे प्रांत में 3जी और 4जी मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं बंद करने का निर्णय एक क्रूर और असंगत कदम है, जिससे लाखों निर्दोष नागरिक प्रभावित हुए हैं। यह निर्णय संचार के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।"

मानवाधिकार परिषद ने यह सवाल उठाया है कि क्या पूरे प्रांत को खामोश करना और शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और संचार व्यवस्था को पूरी तरह से निलंबित करना एक वैध रणनीति है।

इसमें कहा गया, "इंटरनेट बंद करने से आतंकवादियों को नहीं, बल्कि आम नागरिकों को नुकसान होता है। यह सामूहिक दंड का एक खतरनाक तरीका है, जो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के बजाय जनता के विश्वास को कमजोर करता है।"

Point of View

यह स्पष्ट है कि इंटरनेट सेवाओं का निलंबन एक गहन समस्या है। यह न केवल शिक्षा और व्यवसाय को प्रभावित करता है, बल्कि नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का भी उल्लंघन है। हमें सुरक्षा के नाम पर जनता पर दंड लगाने की बजाय सही समाधान खोजने की आवश्यकता है।
NationPress
10/08/2025

Frequently Asked Questions

बलूचिस्तान में इंटरनेट सेवाओं के निलंबन का कारण क्या है?
यह निर्णय क्षेत्र में सक्रिय सशस्त्र समूहों के बीच संचार को रोकने के लिए लिया गया है।
इंटरनेट सेवाओं के ठप होने से किसे प्रभावित किया गया है?
छात्रों, व्यवसाय मालिकों और पत्रकारों सहित कई लोगों को इससे गंभीर प्रभावित किया गया है।
सरकार ने इस निर्णय के खिलाफ क्या कदम उठाए हैं?
सरकार ने सुरक्षा के लिए यह निर्णय लिया है जबकि मानवाधिकार समूहों ने इसकी निंदा की है।