क्या बांग्लादेश में डेंगू का कहर जारी है? मृतकों की संख्या 290 के पार क्यों?
सारांश
Key Takeaways
- बांग्लादेश में डेंगू का संकट बढ़ता जा रहा है।
- मृतकों की संख्या 292 तक पहुंच चुकी है।
- सरकार ने नए निर्देश जारी किए हैं।
- अस्पतालों में संवेदनशीलता बढ़ाने की आवश्यकता है।
- मरीजों के उपचार के लिए नई व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं।
ढाका, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश में डेंगू का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को चार और लोगों की मौत के साथ, मृतकों की संख्या 290 को पार कर 292 तक पहुंच गई है। यह जानकारी स्थानीय मीडिया ने दी है।
मृतकों की संख्या के साथ-साथ पीड़ितों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। राजधानी ढाका में मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
इसी अवधि में 1101 और लोगों को वायरस बुखार के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया है। 2025 में कुल संक्रमित मामलों की संख्या 73,923 तक पहुंच गई है, जैसा कि यूनाइटेड न्यूज ऑफ बांग्लादेश (यूएनबी) ने डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज (डीजीएचएस) के हवाले से बताया।
डीजीएचएस के आंकड़ों के अनुसार, नए मामलों में ढाका नॉर्थ सिटी कॉर्पोरेशन (241), ढाका डिवीजन (208), ढाका साउथ सिटी कॉर्पोरेशन (175), बरिशाल (151), चट्टोग्राम डिवीजन (125), मैमनसिंह डिवीजन (75), खुलना डिवीजन (59), राजशाही डिवीजन (45), रंगपुर डिवीजन (19) और सिलहट डिवीजन (3) में रिपोर्ट किए गए हैं।
ढाका टाइम्स के अनुसार, 2024 में डेंगू से 575 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 2023 में 1,705 लोगों की जान गई थी। इस प्रकार, 2023 में मौत का आंकड़ा सबसे अधिक रहा।
16 सितंबर को, डीजीएचएस ने डेंगू मरीजों के इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सरकारी अस्पतालों के लिए नए निर्देश जारी किए थे। डीजीएचएस के निदेशक (हॉस्पिटल्स एंड क्लिनिक्स) अबू हुसैन मोहम्मद मैनुल अहसान ने यह निर्देश जारी किया। दिशानिर्देश के अनुसार, बांग्लादेश के सभी अस्पतालों को डेंगू के इलाज के लिए वार्ड बनाने होंगे और एक विशिष्ट मेडिकल टीम बनानी होगी।
बांग्लादेश के प्रमुख दैनिक ढाका ट्रिब्यून ने बताया कि अस्पतालों से एनएस-1 टेस्ट, इमरजेंसी केयर और मरीजों के लिए पर्याप्त दवाओं की सुविधा सुनिश्चित करने को कहा गया।
निर्देश में डेंगू और चिकनगुनिया के मरीजों के इलाज के लिए मेडिसिन, बाल रोग और अन्य रोगों के विशेषज्ञों (चिकित्सकों) का एक बोर्ड बनाने को कहा गया।
निर्देश के अनुसार, इस बोर्ड और डॉक्टरों पर अस्पतालों के ओपीडी में आने वाले मरीजों के इलाज की भी जिम्मेदारी होगी।
अंत में, अस्पताल निदेशकों को शहर निगमों या नगर पालिकाओं को अस्पताल परिसर के आसपास मच्छर मारने और साफ-सफाई अभियान चलाने के लिए पत्र भेजने का भी आदेश दिया गया था।