क्या यूनुस शासन में कानून का शासन है या केवल उग्रवाद का बोलबाला?

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क्या यूनुस शासन में कानून का शासन है या केवल उग्रवाद का बोलबाला?

सारांश

बांग्लादेश के पूर्व मंत्री मोहम्मद अली अराफात ने मोहम्मद यूनुस की सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि इस शासन में मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है और कानून का शासन पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। क्या यह स्थिति बांग्लादेश को एक नए संकट में डाल देगी?

Key Takeaways

  • मानवाधिकारों का उल्लंघन बांग्लादेश में गंभीर चिंता का विषय है।
  • कानून का शासन पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है।
  • उग्रवादियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।
  • राजनीतिक अस्थिरता का खतरा लगातार बढ़ रहा है।
  • बांग्लादेश की सरकार को अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।

ढाका, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश के पूर्व मंत्री और अवामी लीग के नेता मोहम्मद अली अराफात ने गुरुवार को मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि इस सरकार ने मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है और देश में कानून का शासन पूरी तरह से बिखर चुका है।

अराफात ने एक्स पर कहा, "15 जुलाई, 2024 से, मुहम्मद यूनुस ने एक सुनियोजित योजना के तहत, अपने तथाकथित छात्र अनुयायियों से मिलकर एक उग्रवादी समूह का गठन किया है, जिसने बांग्लादेश में पुलिस अधिकारियों, अवामी लीग के नेताओं, अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों, पत्रकारों, वकीलों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं की हत्याएं की हैं।"

उन्होंने आगे बताया कि इन हमलों के दोषियों को न केवल आजादी दी गई है बल्कि उन्हें क्षतिपूर्ति भी प्रदान की गई है, जिसका अर्थ है कि हत्यारों या राज्य की संपत्ति को नष्ट करने वालों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती, और पीड़ित कभी भी न्याय की मांग नहीं कर पाएंगे।

अराफात ने आरोप लगाया कि जिन लोगों ने दिनदहाड़े - हथियारों और लाठियों का इस्तेमाल करते हुए - हत्याएं कीं, वे अब भी सजा से बच गए हैं।

उन्होंने कहा, "मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले यूनुस के असंवैधानिक और नाजायज शासन में, बांग्लादेश में कानून का कोई राज नहीं है - केवल चरमपंथियों का राज चलता है।"

अवामी लीग के नेता ने यह भी कहा कि पुलिस और सैन्य कर्मियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं, जिन्होंने आगजनी और हत्याओं से जान-माल की रक्षा के लिए अपने कर्तव्यों का पालन किया।

उन्होंने कहा कि इनमें से कई को जबरन गायब करने और हत्याओं के 'मनगढ़ंत आरोपों' में गिरफ्तार किया गया है।

स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने अवामी लीग सरकार के दौरान कथित तौर पर जबरन गायब करने, हत्याओं और मानवता के विरुद्ध अन्य अपराधों के तीन अलग-अलग मामलों में 15 सैन्य अधिकारियों को जेल भेजने का आदेश दिया।

इससे पहले, 11 अक्टूबर को, बांग्लादेश सेना मुख्यालय ने घोषणा की थी कि आईसीटी में तीन मामलों में औपचारिक रूप से आरोप लगाए जाने के बाद 15 अधिकारियों को सैन्य हिरासत में ले लिया गया है।

पिछले हफ्ते, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सैन्य अधिकारियों की गिरफ्तारी की कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत बांग्लादेश में कानून का कोई राज नहीं है।

नौगांव में पार्टी नेताओं के साथ एक वर्चुअल बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने सवाल किया, "मैं इस बात से हैरान हूं कि सेना से इन अधिकारियों को कानून के हवाले करने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। कानून कहां है? इस देश में कानून का कोई राज नहीं है। यह सरकार नाजायज है और इसके सभी काम गैरकानूनी हैं। इन अधिकारियों को ऐसी सरकार के हवाले क्यों किया जाना चाहिए?"

Point of View

यह आवश्यक है कि हम समाज में हो रही घटनाओं पर ध्यान दें। बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है, जहां मानवाधिकारों का उल्लंघन और कानून का शासन संकट में है। हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि सरकारें अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करें और न्याय की प्रक्रिया को मजबूत करें।
NationPress
23/10/2025

Frequently Asked Questions

मोहम्मद यूनुस की सरकार पर आरोप क्या हैं?
पूर्व मंत्री मोहम्मद अली अराफात ने आरोप लगाया है कि यूनुस के शासन में मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है और उग्रवाद का बोलबाला है।
क्या बांग्लादेश में कानून का शासन समाप्त हो चुका है?
अराफात के अनुसार, बांग्लादेश में कानून का शासन पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है और उग्रवादियों का राज चल रहा है।
क्या हत्याओं के दोषियों को सजा नहीं मिल रही?
अराफात का आरोप है कि हत्याओं के दोषियों को या तो आजादी दी गई है या फिर उन्हें कोई सजा नहीं मिल रही।