क्या बांग्लादेश में एक और हिंदू युवक की हत्या से यूनुस ने पल्ला झाड़ा?
सारांश
Key Takeaways
- बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति चिंताजनक है।
- यूनुस सरकार ने सांप्रदायिक हिंसा से इनकार किया है।
- दो हिंदू युवकों की हत्या से कानून व्यवस्था पर सवाल उठे हैं।
- सरकार ने कानूनी कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
- सोशल मीडिया पर इस घटना की गुमराह करने वाली जानकारी फैली है।
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय की स्थिति निराशाजनक बनी हुई है। हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की क्रूर हत्या को एक महीने से भी कम समय में ही एक और घटना सामने आई है। हाल ही में अमृत मंडोल नाम के एक हिंदू युवक की भीड़ द्वारा हत्या की गई है। हालांकि, यूनुस सरकार का कहना है कि इसका सांप्रदायिक हिंसा से कोई संबंध नहीं है।
सोशल मीडिया पर इस बात का दावा किया जा रहा है कि एक और हिंदू युवक की हत्या की गई है। इसी बीच, बांग्लादेशी मीडिया बीएसएस के अनुसार, अंतरिम सरकार ने राजबाड़ी में हुई मॉब लिंचिंग की घटना की निंदा की है। यूनुस सरकार ने सोशल मीडिया और अन्य मीडिया आउटलेट्स पर चल रहे इस दावे को खारिज कर दिया कि यह घटना सांप्रदायिक थी। उन्होंने अपराधियों को कानून के दायरे में लाने का आश्वासन दिया।
सीए के प्रेस विंग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, “सरकार ने यह देखा है कि राजबाड़ी जिले के पंग्शा पुलिस स्टेशन क्षेत्र में बुधवार रात को हुई इस दुखद हत्या के बारे में सोशल मीडिया और विभिन्न मीडिया आउटलेट्स पर गलत जानकारी फैलाई जा रही है।”
बीएसएस ने बताया कि पुलिस की प्रारंभिक जांच के अनुसार, यह घटना सांप्रदायिक हमला नहीं थी, बल्कि जबरन वसूली और आतंकवादी गतिविधियों से उत्पन्न हुई हिंसक स्थिति का परिणाम थी।
बयान में कहा गया है कि मृतक की पहचान अपराधी अमृत मंडोल उर्फ सम्राट के रूप में हुई है। वह जबरन वसूली के पैसे मांगने के लिए इलाके में गया था और स्थानीय लोगों के साथ झड़प में मारा गया।
बयान के अनुसार, सम्राट पहले भी 2023 में दर्ज मर्डर और वसूली जैसे कई गंभीर मामलों में आरोपी था। सभी मामलों में उसके खिलाफ अरेस्ट वारंट हैं। पुलिस ने उसके साथी सलीम को मौके से एक विदेशी पिस्टल और एक पाइपगन के साथ हिरासत में लिया है और कहा है कि इस मामले में पहले से ही तीन मामले दर्ज हैं।
सरकार के बयान में कहा गया, “सरकार इस हत्या की कड़ी निंदा करती है। सरकार यह स्पष्ट करना चाहती है कि वह किसी भी तरह की गैर-कानूनी गतिविधियों, सामूहिक मारपीट या हिंसा का समर्थन नहीं करती है। इस घटना में शामिल सभी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कानून लागू करने वाली एजेंसियां इस घटना की जांच जारी रख रही हैं।”
यूनुस सरकार ने इसे सांप्रदायिक हिंसा मानने से इनकार करते हुए कहा, “सरकार इस बात पर गंभीर चिंता व्यक्त कर रही है कि कुछ लोग मृतक की धार्मिक पहचान को उजागर करके इसे सांप्रदायिक हमला बताने का प्रयास कर रहे हैं, जो पूरी तरह से बेबुनियाद और गलत इरादे से किया गया है।”
सरकार ने सभी संबंधित पक्षों से जिम्मेदारी से काम करने की अपील की है और गुमराह करने वाले, भड़काने वाले और कम्युनल बयान फैलाने से बचने की सलाह दी है। सरकार कानून और न्याय का राज स्थापित करने के प्रति प्रतिबद्ध है। देश में शांति और स्थिरता को बाधित करने की किसी भी कोशिश को सख्ती से निपटा जाएगा।”
गौरतलब है कि जब दीपू चंद्र की हत्या का मामला सामने आया तो दुनियाभर में इस घटना की कड़ी आलोचना हुई और यूनुस सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठे। अब जब यह मामला पूरी तरह से शांत भी नहीं हुआ था, एक और हिंदू युवक की हत्या की घटना सामने आ गई है।