क्या अलीराजपुर में बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ विरोध हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन।
- स्थानीय निवासियों का गुस्सा और एकजुटता।
- दीपू चंद्र दास की हत्या ने आक्रोश को जन्म दिया।
- अंतरिम सरकार की नाकामी पर सवाल उठाए गए।
- भारत सरकार से अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की अपील।
अलीराजपुर, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के जोबट नगर में बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ स्थानीय लोगों का गुस्सा सड़कों पर देखा गया।
हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं और स्थानीय निवासियों ने मिलकर एक प्रदर्शन किया और बांग्लादेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। यह विरोध मुख्य रूप से बांग्लादेश में एक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की निर्मम हत्या के खिलाफ था।
प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर "बांग्लादेश मुर्दाबाद" लिखे हुए पोस्टर और पर्चे लगाए। इसके साथ ही, उन्होंने सड़क पर बांग्लादेश का झंडा बनाकर उसे पैरों तले रौंदा। यह एक प्रतीकात्मक विरोध था जिसका उद्देश्य बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा और भेदभाव को रोकने की मांग को मजबूत करना था।
लोगों ने जोरदार नारेबाजी की और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली व्यवस्था पर कड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि वहां अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा खतरे में है।
हालिया घटनाओं ने पूरे देश में आक्रोश पैदा किया है। दीपू चंद्र दास एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वाले युवक थे। उन पर कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाकर उग्र भीड़ ने उन्हें पीट-पीटकर मार डाला और शव को आग के हवाले कर दिया। यह घटना दिसंबर महीने में हुई, जिसके बाद भारत के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। जोबट में यह विरोध भी इसी कड़ी का हिस्सा था।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले, मंदिरों में तोड़फोड़ और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। अंतरिम सरकार पर आरोप है कि वह इन घटनाओं को रोकने में नाकाम साबित हो रही है। प्रदर्शनकारियों ने भारत सरकार से भी अपील की कि वह इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाए ताकि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय सुरक्षित रह सके।