क्या बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार खतरनाक और डरावना है? : यासिर जिलानी
सारांश
Key Takeaways
- बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार चिंता का विषय है।
- यासिर जिलानी ने इसकी निंदा की है।
- अल्पसंख्यकों की सुरक्षा हर देश का कर्तव्य है।
- राजनीतिक हस्तियों को संविधान का पालन करना चाहिए।
- समाज को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा के नेता यासिर जिलानी ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को खतरनाक और डरावना बताया है।
नई दिल्ली में राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ हो रही क्रूरता और भयानक हत्याएं अत्यंत चिंताजनक हैं, और इसकी जितनी भी निंदा की जाए, वह कम है। आज की स्थिति में, दुनिया बांग्लादेश को एक अलग नजरिए से देख रही है और लोग इस पर सवाल उठाते रहे हैं। हर देश का यह कर्तव्य है कि वह अपने अल्पसंख्यकों की रक्षा करे, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे और उनकी हिफाजत का ध्यान रखे। लेकिन यदि आप धर्म के आधार पर अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करते हैं और उनकी बेरहमी से हत्याएं करते हैं, तो आप अपने देश को किस दिशा में ले जा रहे हैं? यदि आप संभाल नहीं पा रहे हैं, तो आपको सत्ता छोड़ देनी चाहिए।
बीएमसी चुनाव को लेकर वारिस पठान के महापौर पद के बयान पर भाजपा प्रवक्ता यासिर जिलानी ने कहा कि वारिस पठान और उनके गुरु असदुद्दीन ओवैसी भी इसी तरह की बातें करते हैं। क्या उन्होंने कभी अपने गुरु के भाई से सवाल किया है, जिन्होंने एक बार कहा था कि अगर 15 मिनट के लिए पुलिस हटा दी जाए, तो वे पूरे देश के हिंदुओं को सबक सिखा देंगे? भारत संविधान के अनुसार चलता है। यही सच्चाई है। लेकिन वे संवैधानिक भाषा में बात नहीं करते। वे उग्रवाद को बढ़ावा देते हैं और हर मुद्दे में मुसलमानों को देखते हैं, क्योंकि वे मुस्लिम-केंद्रित राजनीति के लिए जाने जाते हैं। इसलिए उनके मन में मुसलमानों के लिए ऐसी बातें होती हैं ताकि मुसलमानों का वोट मिलता रहे। वे मुसलमानों के बच्चों के लिए शिक्षा पर बात नहीं करते हैं।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के बयान पर भाजपा प्रवक्ता यासिर जिलानी ने कहा कि वे भारत के एक बड़े राज्य के मुख्यमंत्री हैं और एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय नेता भी हैं। उन्होंने यह बयान किस संदर्भ में दिया, इसे विस्तार से देखना होगा। हालाँकि, यदि जनसंख्या के बारे में इस तरह की टिप्पणियाँ की जा रही हैं, तो यह चिंता का विषय है और इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। जब भारत में वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं और धार्मिक हस्तियों द्वारा बार-बार इस तरह के बयान संगठित तरीके से दिए जाते हैं, तो मेरा मानना है कि समाज को इस पर विचार करने और ध्यान से सोचने की आवश्यकता है।