क्या प्राग में हुई 7वीं भारत-चेक संयुक्त रक्षा समिति की बैठक से रक्षा और औद्योगिक साझेदारी को मिलेगी नई दिशा?

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क्या प्राग में हुई 7वीं भारत-चेक संयुक्त रक्षा समिति की बैठक से रक्षा और औद्योगिक साझेदारी को मिलेगी नई दिशा?

सारांश

चेक गणराज्य और भारत के बीच रक्षा साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्राग में आयोजित 7वीं भारत-चेक संयुक्त रक्षा समिति की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। जानें इस बैठक की मुख्य बातें और इसका भविष्य पर क्या असर होगा।

Key Takeaways

  • रक्षा औद्योगिक सहयोग में वृद्धि की मंशा।
  • सैन्य प्रशिक्षण के कार्यक्रमों का आदान-प्रदान।
  • भविष्य की रक्षा प्रौद्योगिकी परियोजनाओं की संयुक्त खोज।
  • द्विपक्षीय संबंधों की परिपक्वता का संकेत।
  • चेक गणराज्य के साथ पुराने व्यापारिक रिश्ते।

प्राग, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। चेक गणराज्य और भारत के बीच इस समय रणनीतिक रक्षा साझेदारी में महत्वपूर्ण वृद्धि देखने को मिल रही है। दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल ने 7 से 9 अक्टूबर तक चेक के प्रमुख शहर प्राग में 7वीं भारत-चेक संयुक्त रक्षा समिति की बैठक का आयोजन किया।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व ए. अनबरासु, जो कि अतिरिक्त सचिव और महानिदेशक (अधिग्रहण) हैं, ने किया। वहीं, चेक गणराज्य की तरफ से बैठक में चेक रक्षा मंत्रालय के औद्योगिक सहयोग प्रभाग की महानिदेशक राडका कोंडरलोवा शामिल हुईं।

भारतीय रक्षा मंत्रालय ने 'एक्स' पर साझा की गई एक पोस्ट में कहा, "अपर सचिव एवं महानिदेशक (अधिग्रहण) ए. अनबरासु ने प्राग में आयोजित इस बैठक का नेतृत्व किया। वार्ता का केंद्र रक्षा औद्योगिक सहयोग, सैन्य प्रशिक्षण और द्विपक्षीय सहयोग के विस्तार पर रहा।" चेक पक्ष का नेतृत्व भी राडका कोंडरलोवा ने किया। भारत-चेक रक्षा उद्योग संगोष्ठी में भी दोनों पक्षों ने सक्रिय भागीदारी निभाई, जिससे नई साझेदारियों के द्वार खुले।

बैठक के दौरान डिफेंस प्रोडक्शन, ट्रेनिंग प्रोग्राम के आदान-प्रदान और प्रौद्योगिकी साझाकरण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने की आपसी इच्छा पर जोर दिया गया। भारत-चेक गणराज्य रक्षा उद्योग संगोष्ठी में भी दोनों देशों के उद्योग और सरकारी प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

हालांकि, बैठक के बाद अभी तक किसी विशेष समझौते या समझौता ज्ञापन का सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं किया गया है। दोनों प्रतिनिधिमंडलों ने रक्षा औद्योगिक आधार को मजबूत करने, बेहतर अंतर-संचालन क्षमता को सक्षम करने और भविष्य की रक्षा प्रौद्योगिकी परियोजनाओं की संयुक्त खोज पर जोर दिया।

भारत और चेक गणराज्य के बीच लंबे समय से अच्छे संबंध रहे हैं। बोहेमिया साम्राज्य, जो अब आधुनिक चेक का हिस्सा है, भारत का एक प्रारंभिक व्यापारिक साझेदार था। दोनों के बीच बहुमूल्य वस्तुओं और मसालों का आदान-प्रदान होता रहा है। 18वीं और 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, चेक गणराज्य के विद्वानों ने प्राचीन भारतीय संस्कृति और भाषाओं से प्रेरणा ली। उन्होंने पाया कि संस्कृत और उनकी भाषाओं में गहरा संबंध और समानताएँ हैं।

जैसे-जैसे भारत और चेक अपने संबंधों को बढ़ाते जा रहे हैं, इस संयुक्त रक्षा समिति की बैठक और उद्योग संगोष्ठियों जैसी पहलों से द्विपक्षीय संबंधों की परिपक्वता का संकेत मिलता है, जो दोनों लोकतंत्रों के बीच रणनीतिक, तकनीकी और रक्षा एकीकरण को गति प्रदान करती हैं।

Point of View

बल्कि औद्योगिक सहयोग के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण है।
NationPress
26/11/2025

Frequently Asked Questions

भारत-चेक रक्षा संबंधों का इतिहास क्या है?
भारत और चेक गणराज्य के बीच प्राचीन व्यापारिक संबंध रहे हैं, जो बोहेमिया साम्राज्य के समय से जुड़े हैं।
इस बैठक में कौन-कौन शामिल हुआ?
इस बैठक में भारतीय पक्ष का नेतृत्व ए. अनबरासु और चेक पक्ष का नेतृत्व राडका कोंडरलोवा ने किया।
बैठक में क्या मुख्य विषय रहे?
बैठक में रक्षा औद्योगिक सहयोग, सैन्य प्रशिक्षण और द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा हुई।
क्या बैठक के बाद कोई समझौता हुआ?
अभी तक बैठक के बाद किसी समझौते का सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं किया गया है।
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