क्या भारत और श्रीलंका की नौसेना ने समुद्री सैन्य अभ्यास ‘स्लिनेक्स’ शुरू किया?

सारांश
Key Takeaways
- भारत और श्रीलंका की नौसेनाएं एक दूसरे के साथ सहयोग कर रही हैं।
- स्लिनेक्स अभ्यास समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देता है।
- इस अभ्यास में विशेष बल इकाइयां भी शामिल हैं।
- यह अभ्यास 2005 से चल रहा है।
- नौसेनाओं के बीच मित्रता और सामंजस्य को बढ़ावा देता है।
नई दिल्ली, 15 अगस्त (राष्ट्र प्रेस) भारत और श्रीलंका की नौसेना ने एक महत्वपूर्ण समुद्री सैन्य अभ्यास ‘स्लिनेक्स’ की शुरुआत की है। इस अभ्यास के दौरान, दोनों देशों की नौसेना समुद्र में तलाशी, जब्ती और अन्य आपातकालीन स्थितियों का अभ्यास करेंगी। नौसेना के अनुसार, यह अभ्यास 18 अगस्त तक चलेगा और इसे दो चरणों में आयोजित किया जाएगा।
हाल ही में, 15 अगस्त को, भारतीय और श्रीलंकाई नौसेना ने हार्बर चरण के तहत कोलंबो में अभ्यास किया। इस अभ्यास के लिए भारतीय नौसेना के पोत आईएनएस राणा (गाइडेड मिसाइल विध्वंसक) और आईएनएस ज्योति (फ्लीट टैंकर) कोलंबो पहुंचे हैं। ये दोनों समुद्री जहाज नौसेना के विशाखापट्टनम स्थित पूर्वी बेड़े का हिस्सा हैं और 18 अगस्त 2025 तक निर्धारित श्रीलंका-भारत नौसैनिक अभ्यास में भाग लेने के लिए यहाँ तैनात रहेंगे।
भारत और श्रीलंका के बीच स्लिनेक्स अभ्यास की शुरुआत 2005 में हुई थी। यह अभ्यास पिछले दो दशकों से दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग को मजबूत करता आ रहा है। इस द्विपक्षीय अभ्यास का उद्देश्य परस्पर संचालन क्षमता, समुद्री सहयोग और सर्वोत्तम प्रक्रियाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही, बहुआयामी समुद्री अभियानों का संयुक्त संचालन भी इस अभ्यास का एक मुख्य उद्देश्य है। पिछले संस्करण का आयोजन 17 से 20 दिसंबर 2024 तक भारत के विशाखापट्टनम में हुआ था।
इस अभ्यास के दो चरण हैं। पहले हार्बर चरण का आयोजन 16 अगस्त तक कोलंबो में होगा और इसके बाद सी चरण 17 से 18 अगस्त तक समुद्र में होगा। श्रीलंकाई नौसेना की ओर से एसएलएनएस गजबाहू और विजयबाहू (दोनों एडवांस ऑफशोर पेट्रोल वेसल) इस अभ्यास में भाग ले रहे हैं। दोनों देशों की विशेष बल इकाइयां भी इस अभ्यास का हिस्सा होंगी। हार्बर चरण के दौरान पेशेवर वार्ता, विषय विशेषज्ञों का आदान-प्रदान और सर्वोत्तम प्रक्रियाओं का साझा किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, सांस्कृतिक और सामाजिक आदान-प्रदान, योग सत्र और खेलकूद कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।
नौसेना का मानना है कि इन सत्रों से दोनों नौसेनाओं के बीच मित्रता और आपसी सामंजस्य में वृद्धि होगी। समुद्री चरण के दौरान, नौसेना के अभ्यासों में गनरी फायरिंग, संचार प्रोटोकॉल, नेविगेशन, सी-मैनशिप इवॉल्यूशन्स, विजिट बोर्ड सर्च एंड सीजर और समुद्र में ईंधन भरने जैसी गतिविधियाँ शामिल होंगी।
नौसेना का कहना है कि स्लिनेक्स समुद्री अभ्यास भारत और श्रीलंका के बीच गहरे संबंधों का प्रतीक है। इसने समुद्री क्षेत्र में सहयोग को मजबूत किया है और यह भारत की “परस्पर एवं समग्र प्रगति हेतु सुरक्षा और विकास” (महासागर) नीति के अनुरूप है।