क्या भारत-चीन सीमा मुद्दे पर 24वीं विशेष प्रतिनिधि वार्ता ने शांति और सहयोग की नई दिशा दी?

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क्या भारत-चीन सीमा मुद्दे पर 24वीं विशेष प्रतिनिधि वार्ता ने शांति और सहयोग की नई दिशा दी?

सारांश

भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दे पर 24वीं विशेष प्रतिनिधि वार्ता नई दिल्ली में संपन्न हुई। इस वार्ता ने दोनों देशों के बीच शांति और सहयोग को बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। जानें इस वार्ता के प्रमुख बिंदु और भविष्य की दिशा।

Key Takeaways

  • शांति और स्थिरता पर जोर
  • विशेषज्ञ समूह का गठन
  • सीमा प्रबंधन में सुधार
  • द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती
  • अगली वार्ता चीन में होगी

नई दिल्ली, 19 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दे पर 24वीं विशेष प्रतिनिधि वार्ता मंगलवार को नई दिल्ली में संपन्न हुई। इस वार्ता की सह-अध्यक्षता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के पोलित ब्यूरो सदस्य एवं विदेश मंत्री वांग यी ने की।

दो दिवसीय दौरे (18-19 अगस्त) पर आए वांग यी ने 18 अगस्त को विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ द्विपक्षीय चर्चा की और 19 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मुलाकात की।

दोनों पक्षों ने रचनात्मक और गहन विचार-विमर्श करते हुए निम्नलिखित कदमों पर सहमति जताई कि 2005 के राजनीतिक मानदंड एवं मार्गदर्शक सिद्धांत समझौते के आधार पर सीमा समाधान हेतु राजनीतिक दृष्टिकोण अपनाना। प्रारंभिक समाधान की दिशा में कार्य करने के लिए विशेषज्ञ समूह का गठन किया जाएगा। सीमा प्रबंधन को सुदृढ़ करने हेतु कार्यकारी समूह की स्थापना की जाएगी। पूर्वी और मध्य क्षेत्र में भी जनरल-लेवल मैकेनिज़्म की शुरुआत की जाएगी। चरणबद्ध तरीके से तनाव घटाने के लिए मौजूदा सैन्य और राजनयिक तंत्र का उपयोग किया जाएगा। अगली विशेष प्रतिनिधि वार्ता आपसी सहमति से चीन में आयोजित होगी।

विदेश मंत्री स्तर की बैठक में दोनों देशों ने संबंधों को स्थिर, सहयोगपूर्ण और भविष्यगामी बनाने पर जोर दिया। इसमें नेताओं की रणनीतिक दिशा को द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति में निर्णायक माना गया। चीन ने प्रधानमंत्री मोदी की तियानजिन में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन में उपस्थिति का स्वागत किया। ब्रिक्स शिखर सम्मेलनों (भारत–2026, चीन–2027) में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की गई। 2026 में भारत में पीपुल-टू-पीपुल एक्सचेंज की उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया जाएगा। भारत-चीन कूटनीतिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ को संयुक्त रूप से मनाने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही, सीधी उड़ानें बहाल करने और एयर सर्विसेज़ एग्रीमेंट को अपडेट करने पर भी सहमति जताई गई।

साथ ही, 2026 से कैलाश-मानसरोवर यात्रा का विस्तार, सीमापार नदियों पर सहयोग और आपात स्थितियों में हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा करने पर सहमति बनी। लिपुलेख, शिपकी ला, और नाथू ला पास से सीमा व्यापार पुनः शुरू करने पर भी चर्चा की गई। व्यापार और निवेश प्रवाह बढ़ाने के ठोस कदम उठाने और डब्ल्यूटीओ आधारित नियम प्रणाली और बहुपक्षवाद को मज़बूती देने पर साझा सहयोग किया गया।

इस वार्ता के साथ दोनों देशों ने यह संदेश दिया कि सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखते हुए आपसी सहयोग और विश्वास को आगे बढ़ाना ही भविष्य की प्राथमिकता होगी।

Point of View

मेरा मानना है कि भारत और चीन के बीच यह वार्ता एक सकारात्मक संकेत है। दोनों देशों को सीमाओं पर शांति और सहयोग को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह वार्ता न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देगी, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता को भी सुनिश्चित करेगी।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

भारत-चीन सीमा वार्ता का उद्देश्य क्या था?
इस वार्ता का मुख्य उद्देश्य सीमा मुद्दों पर राजनीतिक दृष्टिकोण अपनाना और शांति एवं स्थिरता को बनाए रखना था।
इस वार्ता में कौन-कौन से प्रमुख नेता शामिल थे?
इस वार्ता में भारत की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन की ओर से विदेश मंत्री वांग यी शामिल थे।
इस वार्ता में किन बिंदुओं पर सहमति बनी?
सहमति बनी कि सीमा समाधान हेतु राजनीतिक दृष्टिकोण अपनाना, विशेषज्ञ समूह का गठन करना, और सीमा प्रबंधन को सुदृढ़ करना।
क्या इस वार्ता का भविष्य पर कोई प्रभाव पड़ेगा?
हां, इस वार्ता से दोनों देशों के बीच शांति और सहयोग की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे।
भारत-चीन संबंधों में आगे क्या होने की संभावना है?
दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ाने की संभावना है।