क्या भारत ने बांग्लादेश को नसीहत दी? अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की जांच करे यूनुस सरकार

सारांश
Key Takeaways
- भारत का बांग्लादेश पर अल्पसंख्यकों पर हमलों की जांच की मांग करना।
- मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना।
- चिटगांव हिल ट्रैक्ट्स में बढ़ती हिंसा पर चिंता।
- मानवाधिकार संगठनों की सख्त कार्रवाई की मांग।
- अल्पसंख्यक उत्पीड़न पर वैश्विक ध्यान।
नई दिल्ली, ३ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने शुक्रवार को बांग्लादेश के गृह सलाहकार जाहंगीर आलम चौधरी के हालिया बयान पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को अपने अंदर झांकना चाहिए और देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे हमलों की गंभीरता से जांच करनी चाहिए।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “हम इन झूठे और बेबुनियाद आरोपों को सख्ती से खारिज करते हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने में नाकाम रही है और अक्सर अपनी नाकामियों से ध्यान भटकाने के लिए दूसरों पर आरोप लगाती है। उसे चाहिए कि वह आत्ममंथन करे और चिटगांव हिल ट्रैक्ट्स में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ स्थानीय चरमपंथियों द्वारा की जा रही हिंसा, आगजनी और भूमि कब्जे की गंभीर जांच करे।”
यह प्रतिक्रिया चौधरी के उस बयान पर आई जिसमें उन्होंने खगड़ाछड़ी जिले में फैली अशांति के लिए नई दिल्ली को जिम्मेदार ठहराया था।
चिटगांव हिल ट्रैक्ट्स में आदिवासी लोगों के खिलाफ हुई हालिया हिंसा को लेकर वैश्विक समुदाय में चिंता बढ़ गई है। मानवाधिकार संगठनों ने अंतरिम सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है, क्योंकि २८ सितंबर को एक मर्मा समुदाय की स्कूली छात्रा से गैंगरेप की घटना के बाद भड़की हिंसा में कई लोगों की मौत और घायल होने की खबरें आई हैं। इस दौरान सुरक्षा बलों पर व्यापक आगजनी, लूटपाट और अंधाधुंध गोलीबारी के आरोप लगे हैं।
इस बीच, जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के बाहर 'इंटरनेशनल फोरम फॉर सेक्युलर बांग्लादेश' ने दो दिवसीय पोस्टर प्रदर्शनी आयोजित की। यह प्रदर्शनी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के ६०वें सत्र के दौरान हुई, जिसमें ३० पैनलों के जरिए बांग्लादेश में बढ़ते कट्टरपंथ, सांप्रदायिक हिंसा, अल्पसंख्यक उत्पीड़न, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश, भीड़ द्वारा की जा रही हिंसा और यौन उत्पीड़न जैसे मुद्दों को उजागर किया गया।
इसी हफ्ते, 'बांग्लादेश हिंदू बौद्ध क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल' ने यूनुस के उस बयान पर गहरी नाराजगी जताई, जिसमें उन्होंने देश में हिंदू अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के आरोपों को "बे-बुनियाद" बताया था। न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र के दौरान ‘ग्लोबल थिंकर्स ऑर्गनाइजेशन’ को दिए इंटरव्यू में यूनुस ने इन आरोपों को खारिज किया था।
काउंसिल ने उनके बयान को “सच्चाई से इनकार” बताया और कहा कि अंतरिम सरकार के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले चिंता का विषय हैं।
मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के दौरान बांग्लादेश में हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों पर हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसके चलते देश और विदेश में व्यापक आक्रोश देखने को मिल रहा है।