क्या भारत-श्रीलंका समुद्री सहयोग में नई दिशा मिल रही है?

सारांश
Key Takeaways
- समुद्री प्रदूषण की समस्या का समाधान
- खोज एवं बचाव क्षमता में वृद्धि
- कानून प्रवर्तन में सहयोग
- तकनीकी सहायता के लिए प्रतिबद्धता
- पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान
नई दिल्ली, ११ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत और श्रीलंका समुद्री सहयोग के क्षेत्र में और अधिक गहरा संबंध स्थापित कर रहे हैं। इस संबंध में सोमवार को दोनों देशों के अधिकारियों के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन हुआ। इस वार्ता में मुख्य रूप से समुद्री प्रदूषण, समुद्री खोज एवं बचाव, समुद्री कानून प्रवर्तन, क्षमता निर्माण और तकनीकी सहायता पहल को बढ़ाने पर चर्चा की गई।
भारत की ओर से भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) के अधिकारी शामिल हुए, जबकि श्रीलंका से श्रीलंकाई तटरक्षक बल (एसएलसीजी) के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह दोनों देशों के बीच ८वीं उच्च-स्तरीय बैठक (एचएलएम) थी, जिसका आयोजन नई दिल्ली में किया गया। मंत्रालय ने इसे मजबूत और स्थायी समुद्री साझेदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
दोनों पक्षों ने समकालीन समुद्री चुनौतियों का सामना करने और साझा समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने पर सहमति व्यक्त की। इसके साथ ही, संरक्षा और पर्यावरणीय प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई गई। श्रीलंका के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व श्रीलंकाई तटरक्षक बल (एसएलसीजी) के महानिदेशक रियर एडमिरल वाई.आर. सेरासिंघे ने किया, जबकि भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व आईसीजी के महानिदेशक परमेश शिवमणि ने किया।
बैठक में आईसीजी और एसएलसीजी के बीच परिचालन समन्वय को बढ़ाने, सर्वोत्तम प्रयासों को साझा करने और निरंतर सहयोग के माध्यम से क्षेत्रीय समुद्री स्थिरता को और मजबूत करने के संकल्प पर जोर दिया गया। उल्लेखनीय है कि एसएलसीजी का यह दौरा २०१८ में आईसीजी और एसएलसीजी के बीच हुए समझौता ज्ञापन के अंतर्गत १० से १४ अगस्त २०२५ तक भारत में एचएलएम और अन्य पेशेवर वार्ताओं में भाग लेने के लिए हो रहा है।