क्या चार्ल्स डिकेन्स की किताब ने क्रिसमस को इंसानियत का त्योहार बना दिया?
सारांश
Key Takeaways
- क्रिसमस अब एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि इंसानियत का प्रतीक है।
- चार्ल्स डिकेन्स की कहानी ने समाज में बदलाव की लहर दौड़ाई।
- किताब ने संवेदनशीलता और करुणा का महत्व बताया।
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। शांति, प्यार और खुशियों का त्योहार क्रिसमस नजदीक है। ईसा मसीह को समर्पित इस दिन पर विशेष इंतजाम किए जाते हैं। कई वर्ष पहले चार्ल्स डिकेन्स ने इस पर्व में खुशियों को जोड़ने का प्रयास किया। उन्होंने एक ऐसी कहानी लिखी जिसने लोगों की सोच में बदलाव लाया और इसके मनाने के तरीके को भी बदल दिया।
19 दिसंबर 1843 को चार्ल्स डिकेन्स का उपन्यास 'ए क्रिसमस कैरोल' लंदन में प्रकाशित हुआ। उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि यह छोटी-सी किताब पश्चिमी दुनिया में क्रिसमस की आत्मा को हमेशा के लिए परिभाषित कर देगी। यह वह समय था जब औद्योगिक क्रांति अपने चरम पर थी। कारखानों की चिमनियों से निकलता धुआं, बढ़ती गरीबी, बच्चों से श्रम कराना, और अमीर-गरीब के बीच बढ़ती खाई ब्रिटेन की वास्तविकता बन चुकी थी। डिकेन्स ने इन परिस्थितियों को बहुत करीब से देखा और इसी अनुभव ने इस कहानी को जन्म दिया।
कहानी का मुख्य पात्र एबेनेजर स्क्रूज है, जो केवल पैसे को महत्व देता है। उसे क्रिसमस जैसे त्योहार से नफरत है, गरीबों की सहायता को वह बेवकूफी मानता है और इंसानी रिश्तों को समय की बर्बादी समझता है। डिकेन्स ने स्क्रूज के ज़रिए उस समाज का चेहरा प्रस्तुत किया जो तरक्की के चक्कर में संवेदनशीलता खो रहा था। लेकिन यह किताब केवल आलोचना नहीं थी, बल्कि बदलाव की उम्मीद भी थी।
क्रिसमस की रात को स्क्रूज के सामने अतीत, वर्तमान और भविष्य की तीन आत्माओं का प्रकट होना आत्मचिंतन की यात्रा है। डिकेन्स ने सरल भाषा में यह बताया कि इंसान अपने फैसलों से न केवल दूसरों की, बल्कि अपनी जिंदगी को भी कैसे प्रभावित करता है। भविष्य की भयानक तस्वीरें देखकर स्क्रूज का हृदय परिवर्तन होता है, और यही मोड़ इस कहानी को नैतिक शिक्षा से आगे ले जाता है। यह संदेश है कि बदलाव कभी भी संभव है।
दिलचस्प बात यह है कि 'ए क्रिसमस कैरोल' डिकेन्स ने केवल छह हफ्तों में लिखी थी। वे खुद आर्थिक दबाव में थे, फिर भी उन्होंने तय किया कि किताब सस्ती होगी ताकि आम लोग भी इसे खरीद सकें। पहले संस्करण की कीमत पांच शिलिंग रखी गई, जो उस समय के हिसाब से कम थी। प्रकाशित होते ही इसकी हजारों प्रतियां बिक गईं और कुछ ही वर्षों में यह यूरोप और अमेरिका में क्रिसमस का प्रतीक बन गई।
इस पुस्तक का प्रभाव केवल साहित्य तक सीमित नहीं रहा। इतिहासकार मानते हैं कि आधुनिक क्रिसमस की जो छवि है—परिवार के साथ समय बिताना, गरीबों की मदद करना, दया और करुणा—उसके निर्माण में 'ए क्रिसमस कैरोल' की महत्वपूर्ण भूमिका है। इससे पहले क्रिसमस कई जगहों पर केवल धार्मिक या औपचारिक त्योहार था, लेकिन डिकेन्स ने इसे सामाजिक जिम्मेदारी और मानवीय संवेदना से जोड़ दिया।
आज भी, 180 साल बाद, यह कहानी फिल्मों, नाटकों और टीवी शोज में बार-बार सुनाई देती है। स्क्रूज का नाम लालच का पर्याय बन चुका है और उसका परिवर्तन यह याद दिलाता है कि इंसान कितना भी कठोर क्यों न हो, उसके भीतर करुणा का द्वार खुल सकता है। 'ए क्रिसमस कैरोल' केवल एक क्रिसमस कहानी नहीं, बल्कि इंसानियत पर लिखी गई सबसे प्रभावशाली किताबों में से एक मानी जाती है।