क्या 2025 में कानूनी फैसलों ने नेताओं को अदालतों में खड़ा कर दिया?

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क्या 2025 में कानूनी फैसलों ने नेताओं को अदालतों में खड़ा कर दिया?

Key Takeaways

  • कानून की शक्ति का महत्व
  • सत्ता की जवाबदेही
  • लोकतंत्र में सभी को समानता
  • राजनीतिक फैसलों के दीर्घकालिक प्रभाव
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया का महत्व

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्ष 2025 वैश्विक राजनीति के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में उभरा, जब शीर्ष पर स्थित नेताओं को न्यायालयों और संसदों के सामने जवाबदेह होना पड़ा। यह वर्ष इस अर्थ में अद्वितीय रहा कि विभिन्न लोकतांत्रिक मॉडलों वाले देशों में भी एक समान संदेश उभरा—कानून से ऊपर कोई नहीं। बांग्लादेश से लेकर दक्षिण कोरिया तक, न्यायिक और संवैधानिक निर्णयों ने सत्ता की शक्ति और इसकी सीमाओं को नए दृष्टिकोण से परिभाषित किया।

17 नवंबर का दिन अवामी लीग की अध्यक्ष और बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए मौत का संदेश लेकर आया। बांग्लादेश में वर्ष का सबसे चौंकाने वाला निर्णय सामने आया, जब अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराते हुए सजा-ए-मौत सुनाई। यह फैसला अनुपस्थिति में सुनाया गया, लेकिन इसके राजनीतिक और कूटनीतिक निहितार्थ गहरे रहे।

अदालत ने माना कि 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान राज्य की शक्ति का जिस तरह इस्तेमाल हुआ, उसने नागरिक अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचल दिया। 2025 में आए इस निर्णय ने न केवल बांग्लादेश की राजनीति को झकझोर दिया, बल्कि दक्षिण एशिया में सत्ता और जवाबदेही की बहस को भी तेज़ कर दिया। यह पहला अवसर था जब लंबे समय तक सत्ता में रही किसी नेता के खिलाफ देश की अदालत ने इतना कठोर निर्णय सुनाया।

इस फैसले की व्यापक निंदा हुई। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इसका विरोध किया। उनके प्रवक्ता स्टेफन दुजारिक ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र हर स्थिति में मौत की सजा के खिलाफ है।

लैटिन अमेरिका में पेरू की राजनीति ने भी इसी प्रवृत्ति को आगे बढ़ाया। वहां की संसद ने 10 अक्टूबर 2025 को राष्ट्रपति डीना बोलुआर्ते को पद से हटाकर यह दिखाया कि जनादेश के बावजूद सत्ता निरंकुश नहीं हो सकती। विरोध प्रदर्शनों, भ्रष्टाचार के आरोपों और शासन की नैतिक वैधता पर उठे सवालों के बीच संसद का यह फैसला 2025 के सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रमों में शामिल रहा।

उधर, पूर्वी एशिया में दक्षिण कोरिया ने भी लोकतांत्रिक संस्थाओं की ताकत का प्रदर्शन किया। राष्ट्रपति यून सुक येओल के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया 2025 में अपने निर्णायक चरण में पहुंची। संसद द्वारा लगाए गए आरोपों पर संवैधानिक अदालत में लंबा ट्रायल चला, जिसमें सत्ता के दुरुपयोग और संवैधानिक मर्यादाओं के उल्लंघन के सवाल केंद्र में रहे। यह मामला केवल एक राष्ट्रपति के भविष्य का नहीं था, बल्कि इस बात की परीक्षा था कि संकट की घड़ी में संस्थाएं कितनी स्वतंत्र और मजबूत हैं। दक्षिण कोरिया, जहां पहले भी राष्ट्राध्यक्षों पर कानूनी कार्रवाई का इतिहास रहा है, वहां 2025 ने यह परंपरा और गहरी कर दी।

यूरोप के बाल्कन क्षेत्र में बोस्निया-हर्जेगोविना ने भी कड़ा संदेश दिया। फरवरी 2025 में अदालत के फैसले के बाद मिलोराड डोडिक का राजनीतिक अध्याय लगभग समाप्त हो गया। यह फैसला अलगाववादी राजनीति और संवैधानिक ढांचे के टकराव का प्रतीक बनकर उभरा, जिसने यूरोप में लोकतंत्र की सीमाओं और मजबूती दोनों को उजागर किया।

Point of View

तो यह एक स्वस्थ लोकतंत्र का संकेत है। यह स्थिति भारत जैसे देशों में भी महत्वपूर्ण है, जहां सत्ता की जवाबदेही की आवश्यकता है।
NationPress
18/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या शेख हसीना को सजा-ए-मौत सुनाई गई?
हां, बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराते हुए सजा-ए-मौत सुनाई गई।
पेरू में राष्ट्रपति को क्यों हटाया गया?
पेरू की संसद ने राष्ट्रपति डीना बोलुआर्ते को पद से हटाया, यह दिखाने के लिए कि जनादेश के बावजूद सत्ता निरंकुश नहीं हो सकती।
दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति के खिलाफ मामला क्या था?
दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति यून सुक येओल के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया चल रही थी, जिसमें सत्ता के दुरुपयोग के आरोप लगाए गए थे।
क्या यह घटनाएं लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं?
बिल्कुल, यह घटनाएं दर्शाती हैं कि लोकतंत्र में सत्ता की जवाबदेही और कानून का पालन कितना महत्वपूर्ण है।
क्या संयुक्त राष्ट्र ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी?
हाँ, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने शेख हसीना के खिलाफ फैसले का विरोध किया और बताया कि वे मौत की सजा के खिलाफ हैं।
Nation Press