क्या नि:शुल्क पूर्वस्कूली शिक्षा चीन का भविष्य का उपहार है?

सारांश
Key Takeaways
- नि:शुल्क पूर्वस्कूली शिक्षा बच्चों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करती है।
- यह सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देती है।
- ग्रामीण इलाकों के बच्चों के लिए विशेष लाभकारी है।
- यह माता-पिता के लिए आर्थिक बोझ कम करती है।
- यह भविष्य में एक मानव पूंजी निवेश है।
बीजिंग, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। शिक्षा केवल कक्षा और पाठ्यपुस्तक तक सीमित नहीं है। यह वह आधार है जिस पर किसी समाज और राष्ट्र का भविष्य निर्भर करता है। इसी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए चीन ने नि:शुल्क पूर्वस्कूली शिक्षा को एक प्राथमिकता बना लिया है। यह सिर्फ बच्चों को स्कूल भेजने की योजना नहीं, बल्कि आने वाले कल के लिए राष्ट्र को तैयार करने की एक दूरदर्शी पहल है।
पूर्वस्कूली शिक्षा बच्चे के मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण चरण होती है। इस अवधि में बच्चे सोचने, प्रश्न पूछने, साझा करने और अनुशासन में रहना सीखते हैं। चीन का मानना है कि यदि इस नींव को मजबूत किया जाए, तो भविष्य की संरचना भी मजबूत बनेगी। नि:शुल्क पूर्वस्कूली शिक्षा सभी बच्चों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करती है, चाहे उनकी आर्थिक या सामाजिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो।
चीन की यह नीति शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए ही नहीं, बल्कि समाज में समानता और न्याय स्थापित करने का भी प्रयास है। जब हर बच्चा, चाहे वह गाँव का हो या शहर का, पूर्वस्कूली शिक्षा प्राप्त करेगा, तो अवसरों में असमानता स्वतः कम हो जाएगी।
यह पहल विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और प्रवासी श्रमिक परिवारों के बच्चों के लिए लाभकारी है, जिन्हें पहले गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित रहना पड़ता था।
नि:शुल्क पूर्वस्कूली शिक्षा परिवारों पर आर्थिक बोझ कम करती है। माता-पिता को यह विश्वास होता है कि उनके बच्चों को न केवल देखभाल मिल रही है, बल्कि उच्च गुणवत्ता की शिक्षा भी प्राप्त हो रही है। यह समाज में स्थिरता और विश्वास को बढ़ावा देती है।
आज के युग में ज्ञान और नवाचार की अहमियत है। चीन का यह निर्णय भविष्य में एक “मानव पूंजी निवेश” है। शिक्षा में किया गया हर निवेश आने वाले समय में राष्ट्र की समृद्धि और विकास के रूप में लौटता है। नि:शुल्क पूर्वस्कूली शिक्षा सिर्फ बच्चों का अधिकार नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र का भविष्य सुरक्षित करने की रणनीति है।
“नि:शुल्क पूर्वस्कूली शिक्षा” वास्तव में चीन का आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उपहार है। यह सिर्फ कक्षाओं का विस्तार नहीं, बल्कि एक दृष्टि है, जहां हर बच्चा अपनी क्षमताओं को पहचान सके और अपने सपनों को साकार कर सके। यह पहल दुनिया को यह संदेश देती है कि शिक्षा को एक अधिकार के रूप में देखा जाए, न कि विशेषाधिकार के रूप में।
(दिव्या पाण्डेय - चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)