क्या प्रदूषण पर 'रेखा सरकार' का कड़ा प्रहार, अब पीयूसी चालान नहीं होगा माफ?
सारांश
Key Takeaways
- मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने जीरो टॉलरेंस नीति की घोषणा की है।
- पीयूसी चालान अब माफ नहीं होंगे।
- प्रदूषण नियंत्रण के लिए नई गाइडलाइन जल्द लागू होगी।
- सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।
- दिल्ली को शुद्ध हवा देने का सरकार का लक्ष्य है।
नई दिल्ली, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोमवार को कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनकी सरकार प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाएगी। इस दिशा में दिल्ली सचिवालय में एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसमें कई प्रभावी निर्णय लिए गए। इनमें पीयूसी चालान को माफ न करना और दिल्ली एनसीआर में पूल व शेयर ई-बसें चलाना शामिल हैं।
इस महत्वपूर्ण बैठक में पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा सहित पर्यावरण, परिवहन, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, पीडब्ल्यूडी और यातायात पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। बैठक में मुख्यमंत्री ने कड़ा रुख उन वाहनों के प्रति अपनाया जो बिना वैध प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र (पीयूसी) के सड़कों पर प्रदूषण फैला रहे हैं। वर्तमान में प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर 10 हजार रुपए का भारी जुर्माना लगाया जाता है। मुख्यमंत्री ने यह भी नोट किया कि वाहन मालिक अक्सर लोक अदालत का सहारा लेकर इस जुर्माने को कम करवा लेते हैं, जिससे दंड का भय खत्म हो जाता है और लोग अपने वाहनों को प्रदूषण मुक्त कराने के प्रति गंभीर नहीं होते।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अब प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का चालान किसी भी कीमत पर माफ नहीं किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्दिष्ट किया कि यदि इसके लिए सरकार को कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाना पड़े, तो पीछे नहीं हटेंगे। सरकार का लक्ष्य राजस्व वसूली नहीं, बल्कि नागरिकों को शुद्ध हवा देना है।
प्रदूषण कम करने के लिए निजी भागीदारी को बढ़ावा देते हुए दिल्ली सरकार शीघ्र ही ओला और उबर जैसी प्रमुख कंपनियों के साथ संवाद करेगी। इस योजना का उद्देश्य दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पूल व शेयर के रूप में 'प्रदूषण रहित सवारी बसें' चलाने की संभावनाओं को तलाशना है। यदि ये कंपनियां इलेक्ट्रिक या प्रदूषण मुक्त बसें संचालित करती हैं, तो इससे सड़कों पर निजी वाहनों का दबाव कम होगा और सार्वजनिक परिवहन अधिक पर्यावरण अनुकूल बनेगा। मुख्यमंत्री का कहना है कि राजधानी को जीरो उत्सर्जन करना उनकी प्राथमिकता में शामिल है।
राजधानी की सड़कों पर अनियंत्रित ई-रिक्शा यातायात जाम का एक बड़ा कारण बनते हैं। जाम के कारण वाहनों का ईंधन अधिक जलता है, जो सीधे तौर पर प्रदूषण बढ़ाने में सहायक होता है। इस समस्या के समाधान के लिए मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि दिल्ली सरकार जल्द ही नई 'ई-रिक्शा गाइडलाइन' जारी करेगी। इन नियमों के माध्यम से ई-रिक्शा के संचालन क्षेत्र और उनके रूटों को व्यवस्थित किया जाएगा, ताकि यातायात बाधित न हो और सड़कों पर वाहनों की आवाजाही सुचारू बनी रहे।
सार्वजनिक परिवहन को सुदृढ़ करने के लिए सरकार ने दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की बसों के रूटों को युक्तिसंगत करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री के अनुसार डीटीसी की पहुंच दिल्ली के हर क्षेत्र और हर गली तक होनी चाहिए। रूटों के वैज्ञानिक व युक्तिसंगत करने से आखिरी मंजिल तक कनेक्टिविटी सुधरेगी, जिससे लोग निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक बस सेवा का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
मुख्यमंत्री ने सभी विभागों को आपसी समन्वय के साथ काम करने और इन निर्णयों को तत्काल प्रभाव से जमीन पर उतारने का आदेश दिया है। उनका कहना है कि दिल्ली सरकार प्रदूषण के विरुद्ध एक व्यापक और बहुआयामी युद्ध लड़ रही है। सरकार का दृष्टिकोण स्पष्ट है कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कड़े से कड़े निर्णय लेने से पीछे नहीं हटेगी। सरकार न केवल सार्वजनिक परिवहन को आधुनिक बना रही है, बल्कि नियमों का उल्लंघन करने वालों पर भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई भी सुनिश्चित कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली को स्वच्छ और हरा-भरा बनाने के प्रति उनकी सरकार पूरी तरह गंभीर और समर्पित है।