क्या चीन तिब्बत में भाषा, धर्म और संस्कृति को समाप्त करने में जुटा है?

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क्या चीन तिब्बत में भाषा, धर्म और संस्कृति को समाप्त करने में जुटा है?

सारांश

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी तिब्बत में तिब्बती पहचान को मिटाने के प्रयास कर रही है। एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि धार्मिक प्रतीकों को हटाकर चीनी प्रतीकों को थोपने का प्रयास हो रहा है। क्या यह तिब्बती संस्कृति के लिए एक गंभीर खतरा है?

Key Takeaways

  • चीन तिब्बती पहचान को मिटाने के लिए जबरदस्त प्रयास कर रहा है।
  • तिब्बती धार्मिक प्रतीकों को हटाया जा रहा है।
  • सीटीए ने सांस्कृतिक तोड़फोड़ का खुला कृत्य बताया है।

कोलंबो, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) तिब्बत में तिब्बती पहचान को मिटाने के लिए जबरदस्त प्रयास कर रही है। भाषा, धर्म और संस्कृति पर हमले करते हुए जबर्दस्ती कदम उठाए जा रहे हैं। एक नई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि चीनी प्रशासन तिब्बती धार्मिक प्रतीकों को हटाकर उनकी जगह चीनी राष्ट्रवादी प्रतीक थोपने की कोशिश कर रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार, सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि तिब्बत की पहाड़ियों पर उकेरे गए पवित्र बौद्ध मंत्र 'ओम मणि पद्मे हम' को हटाकर वहां चीनी झंडा लगाया गया है। इसके अलावा, तिब्बती खानाबदोशों को पारंपरिक मणि प्रार्थना ध्वज हटाने के लिए मजबूर किया गया और उनकी जगह चीनी झंडे लगाने का आदेश दिया गया। इसके साथ ही, लोगों को राजनीतिक 'री-एजुकेशन' यानी वैचारिक प्रशिक्षण सत्रों में भी शामिल होने के लिए कहा गया।

श्रीलंका के प्रमुख मीडिया संस्थान सीलोन वायर न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, तिब्बत में सांस्कृतिक दमन हाल के वर्षों में खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। हाल ही में, चीनी अधिकारियों ने आग लगने के खतरे का हवाला देते हुए पारंपरिक प्रार्थना ध्वज जला दिए। स्थानीय लोगों ने इसे तिब्बती धार्मिक परंपराओं को मिटाने की बीजिंग की मुहिम का नया और गंभीर कदम बताया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में कई बार मणि प्रार्थना ध्वज और प्रार्थना चक्रों को हटाया गया या तोड़ा गया। ये कार्रवाइयां बिना किसी ठोस या तार्किक कारण के की गईं। इसी दौरान, जब तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा का 90वां जन्मदिन मनाया जा रहा था, तब चीनी प्रशासन ने तिब्बत में आवाजाही और धार्मिक गतिविधियों पर कड़ी पाबंदियां लगा दीं।

रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग बीजिंग के तथाकथित 'री-एजुकेशन प्रोग्राम' का हिस्सा बनने से इनकार करते हैं, उन्हें झूठे आरोपों में हिरासत, लंबी कैद और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है।

इटली के धर्म समाजशास्त्री मास्सिमो इंट्रोविग्ने ने इन घटनाओं को अपमान और पवित्रता का हनन बताया। उन्होंने कहा कि सीसीपी तिब्बती धर्म और संस्कृति को खत्म कर उसकी एक बनावटी, पर्यटकों के लिए बनाई गई डिज्नी जैसी छवि छोड़ना चाहती है। उनके मुताबिक, यह प्रक्रिया दशकों से चल रही है, लेकिन राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दौर में और तेज़ हो गई है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2025 के मध्य में तिब्बत के खाम प्रांत में करीब 300 बौद्ध स्तूपों को तोड़ दिया गया। सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन (सीटीए) ने इसे सांस्कृतिक तोड़फोड़ का खुला कृत्य बताया है, जिसने दुनियाभर के तिब्बतियों को गहरा आघात पहुंचाया है।

सीटीए का कहना है कि चीनी अधिकारी इन ध्वंस कार्रवाइयों को सरकारी जमीन और नियमों के उल्लंघन का बहाना बनाकर सही ठहराते हैं, लेकिन पवित्र स्तूपों का मलबा पूरी तरह हटा दिया गया है, जिससे सदियों पुरानी आस्था के निशान भी मिट गए हैं।

Point of View

बल्कि एक मानवाधिकार का उल्लंघन भी समझना चाहिए। हमें तिब्बती संस्कृति और पहचान की रक्षा के लिए आवाज उठानी चाहिए।
NationPress
27/12/2025

Frequently Asked Questions

चीन का तिब्बत में क्या उद्देश्य है?
चीन का उद्देश्य तिब्बती पहचान को मिटाना और अपनी सांस्कृतिक प्रभाव को बढ़ाना है।
तिब्बती संस्कृति को कैसे खतरा है?
तिब्बती धार्मिक प्रतीकों को हटाकर चीनी प्रतीकों को थोपना और धार्मिक गतिविधियों पर पाबंदियाँ लगाना तिब्बती संस्कृति को खतरे में डाल रहा है।
सीटीए क्या है?
सीटीए का मतलब सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन है, जो तिब्बती लोगों के अधिकारों के लिए काम करता है।
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