क्या चीनी राज्य परिषद के थाईवान कार्यालय ने न्यूज ब्रीफिंग का आयोजन किया?
सारांश
Key Takeaways
- थाईवान पर चीनी प्रभुसत्ता की 80वीं वर्षगांठ मनाई गई।
- एक चीन की नीति को बनाए रखने पर जोर दिया गया।
- जापान के आक्रामक कदमों पर चिंता व्यक्त की गई।
- शांतिपूर्ण पुनरेकीकरण का समर्थन किया गया।
- थाईवान के लोगों को 'एक देश, दो प्रणाली' के लाभ समझाए गए।
बीजिंग, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। चीनी राज्य परिषद के थाईवान कार्यालय ने बुधवार को एक न्यूज ब्रीफिंग का आयोजन किया।
इस अवसर पर प्रवक्ता फंग छिंगअन ने बताया कि इस वर्ष चीनी जनता के जापानी अतिक्रमण विरोधी युद्ध तथा विश्व फासीवाद विरोधी युद्ध की विजय की 80वीं वर्षगांठ के साथ-साथ थाईवान पर चीनी प्रभुसत्ता की बहाली की 80वीं वर्षगांठ भी है। हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ फोन पर वार्ता में थाईवान मुद्दे पर चीन के रुख को स्पष्ट किया। शी चिनफिंग ने कहा कि दोनों देशों को द्वितीय विश्व युद्ध में विजय के परिणामों को बनाए रखना चाहिए। उनके भाषण में थाईवान से संबंधित कार्यों को प्रभावी ढंग से संभालने के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शक तत्व हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि दुनिया में केवल एक चीन है। मुख्य भूमि और थाईवान एक ही चीन के अंग हैं। यह एक पक्का ऐतिहासिक और कानूनी सत्य है। यदि हम एक चीन की नीति पर कायम रहते हैं, तो थाईवान जलडमरुमध्य के दोनों तटों के बीच संबंधों में सुधार होगा और शांति एवं स्थिरता बनी रहेगी। अन्यथा, थाईवान वासियों के हितों को नुकसान पहुंचेगा। थाईवान की स्वतंत्रता की मांग थाईवान जलडमरुमध्य की शांति और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
प्रवक्ता फंग छिंगअन ने कहा कि चीन थाईवान के बारे में अमेरिकी राजनेताओं की नकारात्मक कार्रवाई का कड़ा विरोध करता है।
अमेरिका की तथाकथित छह गारंटियां एक चीन की नीति, चीन-अमेरिका के तीन संयुक्त विज्ञप्तियों के नियमों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बुनियादी मानदंडों का गंभीर उल्लंघन है, जो बिल्कुल गलत और गैर-कानूनी है। चीन ने पहले ही अपना विरोध स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है।
प्रवक्ता ने यह भी कहा कि जापान ने थाईवान के निकट आक्रामक हथियार तैनात किए हैं और जानबूझकर क्षेत्रीय तनाव पैदा कर सैन्य टकराव को भड़काया है। यह कार्रवाई अत्यंत खतरनाक है। थाईवान चीन का है, और हम किसी बाहरी शक्ति को थाईवान में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं देंगे। राष्ट्रीय प्रभुसत्ता और प्रादेशिक अखंडता की रक्षा में चीन का संकल्प और क्षमता दृढ़ है।
प्रवक्ता ने कहा कि शांतिपूर्ण पुनरेकीकरण और एक देश, दो प्रणाली थाईवान मुद्दे के समाधान का मूल सिद्धांत है और राष्ट्रीय पुनरेकीकरण का सबसे अच्छा तरीका है। यह दोनों तटों के लोगों और चीनी राष्ट्र के लिए सबसे अधिक फायदेमंद है। अब थाईवान के अनेक लोग 'एक देश, दो प्रणाली' की नीति के फायदों को समझने लगे हैं और विभिन्न तरीकों से अपने सुझाव प्रस्तुत कर रहे हैं, ताकि राष्ट्रीय पुनरेकीकरण में बुद्धि और शक्ति का योगदान किया जा सके।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)