क्या संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन मुद्दा : दो-राष्ट्र समाधान की ओर बढ़ते कदम?

सारांश
Key Takeaways
- संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन की मान्यता की घोषणाएं हो सकती हैं।
- दो-राष्ट्र समाधान की दिशा में यह कदम महत्वपूर्ण है।
- ग्लोबल सहमति इजरायल पर दबाव डालेगी।
- मध्य पूर्व के संघर्ष पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान।
- फिलिस्तीन के लिए यह कूटनीतिक जीत साबित हो सकती है।
बीजिंग, १ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सितंबर में आयोजित ८०वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान, वैश्विक ध्यान खासतौर पर फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने पर केंद्रित रहा। कई देशों ने स्पष्ट किया है कि वे इस महासभा में फिलिस्तीन को मान्यता देने की घोषणा करेंगे। यह कदम न केवल अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकता है, बल्कि दशकों से चल रहे इजरायल-फिलिस्तीन विवाद के समाधान की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल हो सकता है।
फिलिस्तीन लंबे समय से स्वतंत्रता और एक मान्यता प्राप्त राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन को पहले ही गैर-सदस्य पर्यवेक्षक राज्य का दर्जा मिल चुका है, लेकिन पूर्ण सदस्यता और सार्वभौमिक मान्यता अभी तक नहीं मिली है। यदि कई देश एक साथ इसकी मान्यता की घोषणा करते हैं, तो यह फिलिस्तीन के लिए एक कूटनीतिक जीत होगी और इजरायल पर भी बातचीत की मेज पर लौटने का दबाव डालेगी।
संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय लंबे समय से दो-राष्ट्र समाधान पर जोर देते रहे हैं। इसका मतलब है कि इजरायल और फिलिस्तीन दोनों को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता प्राप्त हो और वे शांति से सह-अस्तित्व कर सकें। हालांकि, पिछले कई दशकों से यह मुद्दा हिंसा, युद्ध और असफल शांति वार्ताओं में उलझा रहा है। इस बार महासभा में फिलिस्तीन को मान्यता देने की बढ़ती घोषणाएं इस समाधान की ओर एक सकारात्मक कदम मानी जा रही हैं।
मध्य पूर्व में बढ़ते संघर्ष और गाजा पट्टी की स्थिति ने विश्व के देशों को चिंतित किया है। यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के कई देशों ने फिलिस्तीन की स्थिति पर चिंता जताई है। कुछ देशों ने पहले ही इसे मान्यता दी है, जबकि कई अब ८०वीं महासभा में इसका औपचारिक ऐलान करने वाले हैं। यह दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर फिलिस्तीन को समर्थन लगातार बढ़ रहा है।
फिलिस्तीन की बढ़ती मान्यता इजरायल पर दबाव डालेगी। उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बात सुननी होगी। हालांकि, इजरायल अक्सर सुरक्षा कारणों का हवाला देकर फिलिस्तीन को पूर्ण राष्ट्र का दर्जा देने से बचता रहा है, लेकिन बढ़ती वैश्विक सहमति उसके लिए एक चुनौती बन सकती है। ८०वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा केवल एक औपचारिक बैठक नहीं होगी, बल्कि यह दुनिया के लिए एक संकेत होगी कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब फिलिस्तीन को लेकर गंभीर है। यदि कई देश मिलकर फिलिस्तीन को मान्यता देते हैं, तो यह शांति वार्ता की राह खोल सकता है और दशकों पुराने इस विवाद के समाधान की उम्मीद जगा सकता है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)