क्या हरिद्वार नकल प्रकरण में निलंबित अधिकारियों को सजा मिलेगी?

सारांश
Key Takeaways
- हरिद्वार में नकल प्रकरण पर सख्त कार्रवाई।
- मुख्यमंत्री ने नकल माफियाओं के खिलाफ दृढ़ता से कदम उठाने का आश्वासन दिया।
- एसआईटी का गठन जांच के लिए किया गया।
- दोषी अधिकारियों को निलंबित किया गया।
- युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
देहरादून, २५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार नकल प्रकरण के संदर्भ में सख्त शब्दों में कहा है कि सरकार राज्य में प्रत्येक नकल माफिया को चुन-चुन कर गिरफ्तार करेगी और उन्हें सजा दिलाएगी।
मुख्यमंत्री धामी ने एक कार्यक्रम में कहा कि पिछले चार सालों में पारदर्शिता और निष्पक्षता से भर्तियां की गई हैं। अब तक २५,००० नियुक्तियां पूरी हो चुकी हैं और किसी भी मामले में धोखाधड़ी या पारदर्शिता की कमी का कोई प्रमाण नहीं मिला है। एक मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है और उन्हें गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने कहा कि यह पेपर लीक नहीं, बल्कि नकल का मामला है, जिसके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जाएगी। एसआईटी का गठन जांच के लिए किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा, "हमारी सरकार हरिद्वार में एक-एक नकल माफिया को पकड़कर सजा दिलाएगी।"
सीएम धामी ने यह भी कहा, "जो लोग कहते हैं कि सीबीआई की जांच नहीं होनी चाहिए, अब वही कह रहे हैं कि सीबीआई होनी चाहिए। यदि सीबीआई की संस्तुति होती है, तो भर्ती प्रक्रिया प्रभावित होगी। हमारी नियत पूरी तरह से साफ है, युवाओं की योग्यता और क्षमता के साथ न्याय किया जाएगा।"
इस बीच, नकल प्रकरण की जांच में दोषी पाए गए सेक्टर मजिस्ट्रेट और एक महिला असिस्टेंट प्रोफेसर को निलंबित किया गया है। उत्तराखंड के सूचना और जनसंपर्क विभाग ने बताया कि परीक्षा के दौरान लापरवाही के कारण सेक्टर मजिस्ट्रेट केएन तिवारी का निलंबन किया गया है।
विभाग के अनुसार, हरिद्वार के एक परीक्षा केंद्र से एक अभ्यर्थी ने १२ प्रश्नों की फोटो खींचकर बाहर भेजी थी। जांच में पता चला कि इस मामले में अधिकारियों ने पर्यवेक्षण का काम सही तरीके से नहीं किया। केएन तिवारी को लापरवाही और अपने दायित्व के प्रति संवेदनशीलता की कमी का दोषी पाया गया है।
सेक्टर मजिस्ट्रेट के अलावा, नई टिहरी के अगरोड़ा कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर (इतिहास) सुमन को भी निलंबित किया गया है। आयोग को जानकारी मिली कि सुमन इस परीक्षा में गलत नीयत से शामिल थीं। जांच में पता चला कि उन्होंने प्रश्न पत्र को बाहर भेजने वाले के संपर्क में रहकर प्रश्न हल करने के लिए भेजा।