क्या बांग्लादेश के आईसीटी के मुख्य अभियोजक ने बचाव पक्ष के वकील को धमकी दी?

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क्या बांग्लादेश के आईसीटी के मुख्य अभियोजक ने बचाव पक्ष के वकील को धमकी दी?

सारांश

बांग्लादेश में एक प्रमुख मानवाधिकार संगठन ने मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम द्वारा एक वकील को दी गई धमकियों की निंदा की है। यह घटना न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और अदालत की गरिमा को प्रभावित कर सकती है। जानें इस गंभीर मामले के बारे में।

Key Takeaways

  • मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम पर गंभीर आरोप
  • जेएमबीएफ द्वारा धमकियों की निंदा
  • अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन
  • न्यायिक प्रक्रिया की स्वतंत्रता को खतरा
  • बांग्लादेश में मानवाधिकारों की स्थिति

पेरिस, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने बुधवार को बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) के मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम द्वारा जबरन गायब किए जाने के मामलों की सुनवाई के दौरान एक आरोपी के बचाव पक्ष के वकील के खिलाफ हाल ही में दी गई सार्वजनिक धमकियों की कड़ी निंदा की।

फ्रांस में जस्टिस मेकर्स बांग्लादेश (जेएमबीएफ) ने ताजुल इस्लाम को उनके पद से तत्काल बर्खास्त करने, बार काउंसिल से उनके वकील के रूप में लाइसेंस को रद्द करने और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार विशेषज्ञों की एक तटस्थ समिति द्वारा गहन जांच के बाद उन्हें कठोर सजा देने की मांग की।

कई सत्यापित अखबारों की रिपोर्टों और सूत्रों का हवाला देते हुए, जेएमबीएफ ने बताया कि 23 नवंबर को, चल रहे जबरन गुमशुदगी मामले की सुनवाई के दौरान, मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) जियाउल अहसन की बचाव पक्ष की वकील नाजनीन नाहर को ताजुल ने अदालत में धमकाया और कथित तौर पर कहा, "चुप रहो। कुछ मत बोलो। तुम भी आरोपी बन सकती हो। हमें कई स्रोतों से तुम्हारे खिलाफ शिकायतें मिल रही हैं।"

चिंता व्यक्त करते हुए मानवाधिकार संस्था ने कहा कि यह धमकी न केवल बचाव पक्ष के वकील को डराती है, बल्कि अदालत की गरिमा, न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और बांग्लादेश में मौलिक मानवाधिकारों को भी कमजोर करती है।

जेएमबीएफ ने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार और प्रक्रियात्मक कानून के तहत, अभियुक्त और उनके वकील, दोनों को सुरक्षित और स्वतंत्र वातावरण में, बिना किसी धमकी के, कानूनी कार्यवाही करने का अधिकार है। मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम की धमकियों ने इस अधिकार का उल्लंघन किया है, एक दबावपूर्ण माहौल बनाया है और न्यायिक प्रक्रिया पर गैरकानूनी प्रभाव डाला है, जो न्याय के सिद्धांतों का स्पष्ट उल्लंघन है।"

इसमें आगे कहा गया है, "विशेष रूप से चिंताजनक बात यह है कि मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) जियाउल अहसन से पूछताछ के दौरान, जबरन गुमशुदगी आयोग की सदस्य नबीला इदरीस, जो अभियोजन टीम का हिस्सा नहीं हैं, ने भी भाग लिया और कथित तौर पर चेतावनी दी कि अभियुक्त ने वांछित उत्तर नहीं दिए, तो उनकी बेटी अनाथ हो जाएगी। यह मनोवैज्ञानिक दबाव डालने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायिक प्रणाली में पूरी तरह से अस्वीकार्य है।"

जेएमबीएफ ने जोर देकर कहा कि मुख्य अभियोजक द्वारा दी गई धमकियां, एक अनधिकृत व्यक्ति द्वारा पूछताछ, तथा अभियुक्त के बच्चे को धमकाना बांग्लादेश के संविधान, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) तथा स्थापित अंतर्राष्ट्रीय कानूनी मानकों का स्पष्ट उल्लंघन है।

--आईएएएस

एएमटी/एबीएम

Point of View

यह मामला बांग्लादेश में न्यायिक प्रक्रिया की स्वतंत्रता और पारदर्शिता के लिए एक गंभीर चुनौती प्रस्तुत करता है। हम सभी को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि न्यायिक प्रणाली में सभी पक्षों को सुरक्षित और स्वतंत्र रूप से काम करने का अधिकार मिले।
NationPress
26/11/2025

Frequently Asked Questions

ताजुल इस्लाम कौन हैं?
ताजुल इस्लाम बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के मुख्य अभियोजक हैं।
जेएमबीएफ क्या है?
जेएमबीएफ जस्टिस मेकर्स बांग्लादेश का एक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन है।
इस मामले की मुख्य चिंता क्या है?
इस मामले में मुख्य चिंता न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और वकीलों को धमकाने के प्रयास हैं।
क्या बांग्लादेश में मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है?
हां, यह मामला बांग्लादेश में मानवाधिकारों के उल्लंघन को दर्शाता है।
क्या इस मामले में कोई कार्रवाई की गई है?
जेएमबीएफ ने ताजुल इस्लाम की बर्खास्तगी और जांच की मांग की है।
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