क्या हिजबुल से द रेजिस्टेंस फ्रंट तक, पाकिस्तान के स्थानीय आतंकवादी नैरेटिव की पोल खुल गई है?

सारांश
Key Takeaways
- पाकिस्तान का स्थानीय आतंकवादियों का नैरेटिव कमजोर हुआ है।
- 60% अचिह्नित कब्रें विदेशी आतंकवादियों की हैं।
- रिपोर्ट ने नागरिकों की सामूहिक हत्याओं के दावों को खारिज किया है।
- भारत ने हमेशा पाकिस्तान के झांसे को बेनकाब किया है।
- एनआईए की जांच पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका साबित होगी।
नई दिल्ली, ५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान हमेशा से कश्मीर मुद्दे को स्थानीय रंग देने का प्रयास करता रहा है। इसने हिजबुल मुजाहिदीन को एक स्थानीय आतंकवादी संगठन के रूप में स्थापित किया। हिजबुल मुजाहिदीन के कमजोर होने के बाद, पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा के लिए एक प्रॉक्सी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) का गठन किया।
पाकिस्तान का उद्देश्य यह रहा है कि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोग आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हों, ताकि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस बात का फायदा उठा सके कि स्थानीय लोग कश्मीर को भारत से अलग करना चाहते हैं और इसमें पाकिस्तान का कोई हाथ नहीं है।
हालांकि, भारतीय एजेंसियों ने हमेशा पाकिस्तान के इस झांसे को बेनकाब करने में सफलता हासिल की है। हालिया पहलगाम हमले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने स्पष्ट रूप से कहा कि हमलावर पाकिस्तान से थे और यह हमला इस्लामाबाद द्वारा समर्थित था।
अब, एक प्रमुख कश्मीरी गैर-सरकारी संगठन, सेव यूथ सेव फ्यूचर फाउंडेशन की विस्तृत रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि जम्मू-कश्मीर में ६० प्रतिशत अचिह्नित कब्रें विदेशी आतंकवादियों की हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ३० प्रतिशत कब्रें स्थानीय आतंकवादियों की हैं, जबकि केवल ०.२ प्रतिशत कब्रें (९) नागरिकों की हैं।
इस रिपोर्ट ने दो महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर किया है। पहला, कश्मीर में स्थानीय लोगों की तुलना में पाकिस्तानी आतंकियों की संख्या अधिक थी। दूसरा, कई लोगों ने नागरिकों की सामूहिक हत्याओं के दावों को भी खारिज किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि २४९३ कब्रें विदेशी आतंकवादियों की हैं, जबकि १२०८ स्थानीय लोगों की हैं। ९ कब्रें नागरिकों की हैं, जबकि ७० कब्रें १९४७ के युद्ध के कबायली हमलावरों की हैं।
पाकिस्तान का यह झूठा नैरेटिव कि स्थानीय लोग ही आतंकवादी हमले कर रहे हैं, अब और नहीं चल सकता। ऐसा लगता है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इसकी कहानी अब कमजोर हो रही है।
पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपने फेक नैरेटिव को फैलाने की कोशिश की थी। प्रथम फील्ड मार्शल ने यह दावा किया था कि भारत ने पाकिस्तान से ऑपरेशन रोकने का अनुरोध किया था।
भारत ने हमेशा पाकिस्तान के इस झांसे को बेनकाब करने में सफलता पाई है। एनआईए की रिपोर्ट अब नई दिल्ली के दृष्टिकोण को स्पष्ट करने में मदद करेगी। इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों का मानना है कि इस रिपोर्ट के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने इस्लामाबाद का असली चेहरा उजागर होगा।
एनआईए की जांच पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका साबित होगी, क्योंकि यह न केवल यह दिखाती है कि आतंकवादी पाकिस्तानी मूल के थे, बल्कि फंडिंग रूट का भी पता लगाती है, जो पाकिस्तान से जुड़ता है।