क्या पाक-ईरान ने एक ही दिन में 4,991 अफगानों को डिपोर्ट किया? तालिबान का दावा
सारांश
Key Takeaways
- तालिबान ने 4,991 अफगानों को डिपोर्ट किया।
- डिपोर्टेशन का सिलसिला ईरान और पाकिस्तान से शुरू हुआ।
- शरणार्थियों की स्थिति गंभीर है।
- आवश्यकता है कि सरकार और अंतरराष्ट्रीय संगठनों सहायता प्रदान करें।
- मानवीय संकट बढ़ रहा है।
काबुल, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ईरान और पाकिस्तान ने एक ही दिन में चार हजार से अधिक अफगान शरणार्थियों को जबरन निर्वासित किया है। रविवार को तालिबान के उप-प्रवक्ता हमदुल्लाह फितरत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह जानकारी साझा की।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान और ईरान से एक ही दिन (शनिवार, 13 दिसंबर) में 4,991 अफगान शरणार्थी (913 परिवार) को जबरन वापस भेजा गया। तालिबान ने इसे "जबरन निर्वासन" करार दिया है।
फितरत ने एक्स पर उच्चायोग की एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें निर्वासितों की तादाद का जिक्र था।
ये शरणार्थी विभिन्न बॉर्डर क्रॉसिंग जैसे तोरखम (नंगरहार), इस्लाम कला (हेरात), पुल-ए-अबरेशम (निमरोज), स्पिन बोल्डक (कंधार) और बहरामचा (हेलमंद) के रास्ते लौटे हैं।
तालिबान के अनुसार, लौटने वालों में से 933 परिवारों (5,068 लोग) को उनके मूल क्षेत्रों में भेजा गया, 754 परिवारों को मानवीय सहायता दी गई, और 771 सिम कार्ड वितरित किए गए।
टोलो न्यूज के अनुसार, कई शरणार्थियों ने शिकायत की है कि पाकिस्तानी पुलिस ने उनके साथ बदसलूकी की। कई सामान नहीं ले जाने दिया गया। उन्होंने तालिबान से आश्रय, आपात सहायता और रोजगार की मांग की है।
टोलो न्यूज से बात करते हुए, पाकिस्तान से निर्वासित जामालुद्दीन ने कहा: "हमें जबरन निकाला गया; हमारा कुछ सामान वहीं रह गया। यहां हमारे पास न पैसे हैं और न ही रहने की जगह। दिक्कतें बहुत ज्यादा हैं; सर्दी आ गई है और ठंड बढ़ रही है।"
ईरान से लौटे जन मोहम्मद ने कहा, "अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात को इन लोगों की मदद करनी चाहिए; उनके पास रहने की कोई जगह नहीं है। मैं खुद जौजजान प्रांत जा रहा हूं और मेरे पास रहने की कोई जगह नहीं है।"
इससे पहले गुरुवार को भी 10,000 से ज्यादा शरणार्थी लौटाए गए थे। यह सिलसिला 2025 में पाकिस्तान के "इल्लीगल फॉरेनर्स रिपैट्रिएशन प्लान" (अवैध रूप से रह रहे विदेशियों को वापस भेजने की योजना) और ईरान की सख्ती के कारण तेज हुआ है।
निर्वासन से अफगानिस्तान में मानवीय संकट बढ़ रहा है, जहां पहले से लाखों लोग सहायता की जरूरत में हैं। यूएनएचसीआर और अन्य संगठनों ने जबरन वापसी पर चिंता जताई है।