क्या बलूच महिलाओं का अगवा होना थमने वाला है? पाकिस्तानी सेना पर मानवाधिकार संगठनों का आरोप

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क्या बलूच महिलाओं का अगवा होना थमने वाला है? पाकिस्तानी सेना पर मानवाधिकार संगठनों का आरोप

सारांश

बलूचिस्तान में महिलाओं के अगवा होने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। मानवाधिकार संगठनों ने पाकिस्तानी सेना पर गंभीर आरोप लगाए हैं। क्या ये घटनाएं कभी थमेंगी?

Key Takeaways

  • बलूच महिलाओं के अगवा होने की घटनाएं बढ़ रही हैं।
  • मानवाधिकार संगठनों ने पाकिस्तानी सेना पर आरोप लगाए हैं।
  • सरकार की चुप्पी चिंता का विषय है।
  • जागरूकता और कार्रवाई की आवश्यकता है।

क्वेटा, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बलूच महिलाओं को अगवा करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को एक और घटना सामने आई है।

मानवाधिकार संगठन बलूच वॉयस फॉर जस्टिस (बीवीजे) के अनुसार, नूर बख्श नाम की महिला को 17 दिसंबर की रात गायब कर दिया गया। पाकिस्तान के फ्रंटियर कॉर्प्स के जवानों ने केच जिले के तुरबत शहर से उन्हें जबरन उठा लिया।

मानवाधिकार संगठन का आरोप है कि नूर को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के हिरासत में लेना और फिर उसकी गुमशुदगी की जानकारी न देना अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन है, जिसमें नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि (आईसीसीपीआर) भी शामिल है।

बीवीजे ने पाकिस्तानी अधिकारियों से तुरंत उसका पता बताने और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की।

बलूचिस्तान में हो रहे अत्याचारों को उजागर करते हुए, मानवाधिकार संगठन ने शुक्रवार को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों की एक और करतूत को उजागर किया। बताया कि 17 दिसंबर को ग्वादर जिले के पसनी के शादी कौर इलाके में दो भाइयों, मीर अशरफ और मीर शाहिद को जबरन उठा कर ले जाया गया। उनके बारे में भी फिलहाल कोई जानकारी नहीं है।

बीवीजे ने कहा, "हम उनकी तत्काल और सुरक्षित रिहाई की मांग करते हैं। मानवाधिकार संगठनों को बलूचिस्तान में जबरन गायब होने के चल रहे सिलसिले को खत्म करने में सक्रिय और प्रभावी भूमिका निभानी चाहिए।"

इस बीच, बलूच महिला फोरम (बीडब्ल्यूएफ) ने पाकिस्तानी सेना द्वारा बलूचिस्तान के हब चौकी में दारो होटल इलाके से एक और बलूच महिला, हजीरा बलूच के जबरन गायब होने पर गहरी चिंता व्यक्त की।

बीडब्ल्यूएफ ने कहा, "यह इसी तरह की पांचवीं घटना है जहां बलूच महिलाओं को अगवा किया जा रहा है। यह अब एक प्रथा की शक्ल ले रहा है। चलन तेजी से बढ़ रहा है। ऐसा लगता है कि ये हुक्मरानों की कोई नीति है जिससे बलूचों के घर-घर में इसकी दहशत फैले।"

महिलाओं के नेतृत्व वाले फोरम के अनुसार, बलूच महिलाओं के जबरन गायब होने का सिलसिला 29 मई को क्वेटा के सिविल अस्पताल से महजबीन बलूच के गायब होने से शुरू हुआ था। इसके बाद 22 नवंबर को हब चौकी से नसरीना बलूच, 1 दिसंबर को खुजदार से फरजाना जेहरी और 9 दिसंबर को दलबंदिन से रहीमा रहीम गायब हुईं।

नवीनतम मामला हाजिरा बलूच का था, जिन्हें 18 दिसंबर को हब चौकी से जबरन गायब कर दिया गया था।

बीडब्ल्यूएफ ने चेतावनी दी कि इन घटनाओं पर सियासतदांओं की चुप्पी केवल पाकिस्तान और उसके "बदनाम" संस्थानों को अपनी बलूच-विरोधी महिला नीतियों को बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है। फोरम ने ग्लोबल कम्युनिटी से दखल देने और बलूचिस्तान में "भयानक हरकतों" के लिए जिम्मेदार सरकारी संस्थानों को जवाबदेह ठहराने की अपील की, और हाजिरा बलूच और गैर-कानूनी रूप से हिरासत में लिए गए सभी बलूच लोगों को तुरंत रिहा करने की मांग की।

Point of View

NationPress
20/12/2025

Frequently Asked Questions

बलूच महिलाओं का अगवा क्यों हो रहा है?
यह घटनाएं राजनीतिक और सामाजिक दबाव के कारण हो रही हैं।
मानवाधिकार संगठन क्या कर रहे हैं?
मानवाधिकार संगठन इन घटनाओं का विरोध कर रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं।
क्या सरकार इन घटनाओं पर कार्रवाई कर रही है?
सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
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