क्या ट्रंप मास्को से मिलने वाले 'रिजल्ट' के बाद भारत पर टैरिफ लगाने का निर्णय लेंगे?

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क्या ट्रंप मास्को से मिलने वाले 'रिजल्ट' के बाद भारत पर टैरिफ लगाने का निर्णय लेंगे?

सारांश

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ मास्को में रूसी नेताओं के साथ बैठक में हैं, जो टैरिफ के भविष्य को तय करेगी। क्या भारत पर भारी टैरिफ लगेगा? जानिए इस महत्वपूर्ण बैठक का क्या नतीजा होगा।

Key Takeaways

  • रूसी तेल पर टैरिफ का निर्णय महत्वपूर्ण है।
  • भारत को अमेरिका के दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
  • ट्रंप ने बातचीत के माध्यम से समाधान खोजने की कोशिश की है।
  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों में जटिलताएँ हैं।
  • यूक्रेन युद्ध का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।

न्यूयॉर्क, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ मास्को में रूसी नेताओं के साथ बैठक में शामिल हैं। इस बैठक का परिणाम यह तय करेगा कि डोनाल्ड ट्रंप रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर कितना टैरिफ लगाएंगे। ट्रंप इस बैठक के नतीजे का इंतजार कर रहे हैं।

मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, "कल रूस के साथ हमारी बैठक है। देखते हैं क्या होता है, हम उसी समय इस पर निर्णय लेंगे।"

मंगलवार की सुबह ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि वह अगले 24 घंटों में भारत पर भारी टैरिफ लगा सकते हैं, लेकिन दोपहर में पत्रकारों के साथ बातचीत में ऐसा प्रतीत हुआ कि यदि यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए बातचीत में कोई प्रगति होती है, तो वह इस धमकी को टाल सकते हैं।

एक पत्रकार द्वारा रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की उनकी धमकी को याद दिलाने पर, अमेरिकी राष्ट्रपति ने इससे इनकार किया।

उन्होंने कहा, "मैंने कभी प्रतिशत नहीं कहा, लेकिन हम काफी हद तक ऐसा करेंगे।"

14 जुलाई को उन्होंने कहा था कि यदि 50 दिनों में कोई समझौता नहीं होता है, तो तेल खरीदारों पर द्वितीयक टैरिफ के रूप में जाना जाने वाला टैरिफ 100 प्रतिशत होगा।

ट्रंप ने 50 दिनों की समय सीमा को घटाकर 12 दिन कर दिया है, जो इस सप्ताह समाप्त हो जाएगी।

ट्रंप ने यह भी कहा है कि भारत अमेरिका से आयात पर शून्य शुल्क लगाएगा।

उन्होंने कहा, "भारत अब तक के सबसे ज्यादा शुल्क से शून्य शुल्क पर आ गया है, और वे इसमें शामिल हो सकते हैं। लेकिन, यह पर्याप्त नहीं है क्योंकि वे तेल के साथ जो कर रहे हैं, वह अच्छा नहीं है। इसलिए पिछले सप्ताह घोषित 25 प्रतिशत शुल्क में दंडात्मक शुल्क भी जुड़ेगा।"

2028 लॉस एंजेलेस ओलंपिक के लिए एक टास्क फोर्स पर एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि उन्होंने पांच महीनों में पांच युद्ध रोके हैं, और वे चाहते हैं कि इसके बाद रूस-यूक्रेन का युद्ध भी सुलझ जाए।

अपने चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप ने कहा था कि वह 24 घंटे के भीतर यूक्रेन युद्ध समाप्त कर देंगे। ट्रंप भारत को धमकियां देकर रूस पर आर्थिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो उसके तेल निर्यात का 70 प्रतिशत हिस्सा खरीदता है।

विटकॉफ की मॉस्को की हालिया यात्रा को रूस के लिए युद्ध समाप्त करने की ट्रंप की मांग पर प्रतिक्रिया देने का आखिरी मौका बताया गया है, अन्यथा उस देश के साथ-साथ उससे तेल खरीदने वाले देशों को और अधिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा।

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी फिलहाल मास्को में हैं। उनकी यह यात्रा ट्रंप की टैरिफ धमकियों के पहले से प्रस्तावित है।

भारत ने रूस से तेल खरीद का बचाव किया है। भारत ने कहा है कि वह यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध के समर्थन के बजाय देश की आर्थिक जरूरत बताकर किया है। विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि भारत पर अमेरिका का निशाना अनुचित है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यूरोपीय संघ और अमेरिका रूस के साथ व्यापार के मुद्दे पर दोहरी चाल चल रहे हैं। पिछले साल रूस के साथ यूरोपीय संघ का व्यापार अनुमानित 67.5 अरब डॉलर का था। वहीं अमेरिका रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, पैलेडियम, उर्वरक और रसायन आयात करता रहता है।

Point of View

हमें यह समझना होगा कि अमेरिका की नीतियाँ और रणनीतियाँ केवल आर्थिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। भारत को अपनी आर्थिक जरूरतों के साथ-साथ वैश्विक दबावों का भी ध्यान रखना होगा।
NationPress
06/08/2025

Frequently Asked Questions

ट्रंप ने भारत पर टैरिफ क्यों लगाने की धमकी दी है?
ट्रंप का मानना है कि भारत ने रूसी तेल के साथ जो व्यापार किया है, वह सही नहीं है।
क्या ट्रंप के टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेंगे?
हाँ, यदि ट्रंप भारी टैरिफ लगाते हैं, तो यह भारत की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
मॉस्को में बैठक का क्या महत्व है?
यह बैठक रूस के साथ व्यापार संबंधों को प्रभावित कर सकती है और यूक्रेन युद्ध पर भी असर डाल सकती है।