क्या ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु ने ट्रंप-नेतन्याहू के खिलाफ 'फतवा' जारी किया?

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क्या ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु ने ट्रंप-नेतन्याहू के खिलाफ 'फतवा' जारी किया?

सारांश

तेहरान में अयातुल्ला मकारिम शिराजी ने ट्रंप और नेतन्याहू को 'ऊपर वाले का दुश्मन' बताया है। यह फतवा ईरान के धार्मिक एवं राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण है, जिसमें मुसलमानों को इस्लाम के प्रति उनकी जिम्मेदारियों का एहसास कराया गया है।

Key Takeaways

  • अयातुल्ला मकारिम शिराजी ने ट्रंप और नेतन्याहू को ऊपर वाले का दुश्मन बताया।
  • फतवे में मुसलमानों को कठोर रुख अपनाने का संदेश दिया गया।
  • ईरान और इजरायल के बीच तनाव और बढ़ा।
  • धमकियों का जवाब देने के लिए मुस्लिम एकता की आवश्यकता।
  • वैश्विक राजनीति में धार्मिक नेताओं की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया।

तेहरान, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। अयातुल्ला मकारिम शिराजी ने एक 'फतवा' जारी किया है जिसमें उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को ऊपर वाले का दुश्मन ठहराया है। अयातुल्ला मकारिम शिराजी ईरान के प्रमुख शिया धर्मगुरुओं में से एक माने जाते हैं।

अपने फतवे में उन्होंने कहा, "कोई भी व्यक्ति या शासन जो नेता या मरजा को धमकी देता है, उसे ऊपर वाले का दुश्मन माना जाएगा।"

सेमी-ऑफिशियल मेहर समाचार एजेंसी के अनुसार, शिराजी ने दुनियाभर के मुसलमानों से ऐसे धमकियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा है कि अगर कोई मुस्लिम अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए कठिनाई या क्षति का सामना करता है, तो उसे ऊपर वाले की राह में एक योद्धा की तरह इनाम मिलेगा।

फतवे में कहा गया है, "मुसलमानों या इस्लामी देशों द्वारा उस दुश्मन को दी जाने वाली कोई भी मदद या समर्थन हराम है। सभी मुसलमानों के लिए आवश्यक है कि वह इन दुश्मनों को उनके शब्दों और गलतियों पर पछताने के लिए मजबूर करें।"

रिपोर्ट के अनुसार, यह फतवा राष्ट्रपति ट्रंप और इजरायली अधिकारियों द्वारा ईरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के खिलाफ कथित धमकियों के बाद आया है।

राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने खामेनेई को एक बहुत ही भयावह और अपमानजनक मौत से बचाया है। उन्होंने खामेनेई पर इजरायल पर जीत के बारे में गलत बयान देने का आरोप लगाया।

हाल ही में इजरायली रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने एक इंटरव्यू में कहा कि ईरान के साथ अपने 12-दिवसीय संघर्ष के दौरान, इजरायल ने खामेनेई को खत्म करने की कोशिश की, लेकिन इस ऑपरेशन को अंजाम देने का मौका नहीं मिला।

कैट्ज ने इजरायल के चैनल 13 को दिए इंटरव्यू में कहा, "अगर वह हमारी नजर में होते, तो हम उन्हें मार गिराते। हम खामेनेई को खत्म करना चाहते थे, लेकिन कोई ऑपरेशनल मौका नहीं था।"

इजरायल ने 13 जून को 'ऑपरेशन राइजिंग लॉयन' शुरू किया, जिसमें ईरान की प्रमुख सैन्य और न्यूक्लियर संपत्तियों को निशाना बनाया गया। इसके बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ गया।

जवाबी कार्रवाई में, ईरान ने इजरायली शहरों और बाद में कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। तेहरान के इस कदम से पहले फोर्डो, नतांज और इस्फाहान में उसकी न्यूक्लियर फैसिलिटी पर अमेरिकी हमले हुए थे।

संघर्ष के बारह दिन बाद ट्रंप ने दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा की।

Point of View

जो ईरान की आंतरिक और बाहरी नीति को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि धार्मिक नेता न केवल धार्मिक मुद्दों पर, बल्कि राजनीतिक मुद्दों पर भी अपनी बात रखने में सक्षम हैं। राष्ट्र के दृष्टिकोण से, यह फतवा एक चेतावनी है कि किसी भी प्रकार की धमकी स्वीकार नहीं की जाएगी।
NationPress
03/09/2025

Frequently Asked Questions

फतवा क्या है?
फतवा एक इस्लामी धार्मिक निर्णय है, जो किसी विशेष मुद्दे पर धार्मिक शिक्षाओं के आधार पर दिया जाता है।
अयातुल्ला मकारिम शिराजी कौन हैं?
अयातुल्ला मकारिम शिराजी ईरान के प्रमुख शिया धर्मगुरुओं में से एक हैं।
ट्रंप और नेतन्याहू के खिलाफ यह फतवा क्यों जारी हुआ?
यह फतवा उनकी ओर से ईरानी सर्वोच्च नेता के खिलाफ दी गई धमकियों के जवाब में जारी किया गया।
क्या मुसलमानों को इस फतवे का पालन करना चाहिए?
जी हां, शिराजी ने मुसलमानों से कहा है कि उन्हें इस फतवे का पालन करते हुए कड़ा रुख अपनाना चाहिए।
इस फतवे का वैश्विक राजनीति पर क्या असर होगा?
यह फतवा वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण संदेश दे सकता है कि धार्मिक नेता भी राजनीतिक मुद्दों पर अपनी आवाज उठा सकते हैं।