क्या इजरायल ने ट्रंप के प्रस्ताव को स्वीकार किया? विदेश मंत्री सार का बड़ा बयान

सारांश
Key Takeaways
- इजरायल ने ट्रंप के प्रस्ताव को स्वीकार किया है।
- गाजा में जंग कल खत्म हो सकती है।
- दो मुख्य शर्तें हैं: बंधकों की रिहाई और हामास का निरस्त्रीकरण।
- यह प्रस्ताव क्षेत्र में शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- हिजबुल्लाह के निरस्त्रीकरण का समर्थन किया गया है।
नई दिल्ली, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। इजरायली विदेश मंत्री गिदोन सार ने क्रोएशिया में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इजरायल ने गाजा में बंधकों की रिहाई और युद्धविराम समझौते के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नवीनतम प्रस्ताव को "हां" कहा है।
सार ने कहा, "गाजा में जंग कल समाप्त हो सकती है। हम कैबिनेट के फैसले के आधार पर युद्ध समाप्ति के लिए समझौते को स्वीकार करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।"
उन्होंने आगे बताया कि युद्ध समाप्ति के लिए इजरायल सरकार की दो मुख्य शर्तें हैं—पहली, सभी इजरायली बंधकों की रिहाई और दूसरी, हामास द्वारा अपने हथियार डालना।
हामास को "फिलिस्तीनियों और क्षेत्र के लिए एक समस्या" बताते हुए उन्होंने कहा कि हामास का निरस्त्रीकरण "गाजावासियों और वहां के फिलिस्तीनियों के लिए एक उज्जवल भविष्य सुनिश्चित करता है।"
इजरायली मीडिया के अनुसार, अमेरिका और इजरायल ने अभी तक इस प्रस्ताव के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी है, हालांकि कुछ कथित विवरण मीडिया में लीक हुए हैं, जिनमें फिलिस्तीनी कैदियों के बदले गाजा में बंद सभी बंधकों की तत्काल रिहाई और इजरायल द्वारा लड़ाई फिर न शुरू करने का समझौता शामिल है।
इजरायल के चैनल 12 न्यूज ने बताया कि नए प्रस्ताव के अनुसार, इजरायल की गाजा से वापसी धीरे-धीरे होगी, लेकिन अधिकांश युद्धविराम की शुरुआत में ही होगी। नेटवर्क के मुताबिक, वार्ताकारों के पास हामास के निरस्त्रीकरण, इजरायल की वापसी की बारीकियों और गाजा के लिए एक वैकल्पिक सरकार पर सहमति बनाने के लिए 60 दिन—या जितना समय लगे उतना समय होगा।
सार ने लेबनान सरकार के हिजबुल्लाह आतंकवादी समूह को निरस्त्र करने के कैबिनेट के फैसले की भी प्रशंसा की और इसे "लेबनान और पूरे क्षेत्र के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण" बताया।
सार ने कहा, "इजरायल और फिलिस्तीनियों ने बहुत कुछ सहा है। जब तक ये समूह देश में मौजूद रहेंगे, जब तक हामास सत्ता में है, तब तक दोनों पक्षों का दुख समाप्त नहीं होगा।"