क्या जेन ऑस्टिन हैं रोमांस की रानी, जिनकी 19वीं सदी की कहानियाँ आज भी दिल को छूती हैं?
सारांश
Key Takeaways
- जेन ऑस्टिन की कहानियाँ प्रेम और आत्मसम्मान की महत्वपूर्ण बातें करती हैं।
- उनकी नायिकाएं अपनी सोच और फैसले खुद लेती हैं।
- ऑस्टिन का लेखन सामाजिक वर्ग और मानवीय कमजोरियों पर गहरी टिप्पणी करता है।
- उनकी रचनाएँ आज भी फिल्में और सीरीज के रूप में जीवित हैं।
- जेन ऑस्टिन एक सांस्कृतिक प्रतीक बन चुकी हैं।
नई दिल्ली, १५ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। हर्टफोर्डशायर की उस नृत्य सभा में, जब मिस्टर डार्सी अपने संकोची और अभिमानी स्वभाव के साथ प्रवेश करते हैं और एलिजाबेथ बेनेट उन्हें पहली नजर में नापसंद कर लेती हैं...
यहीं से प्राइड एंड प्रेजुडिस की कहानी आगे बढ़ती है। यह केवल प्रेम कथा की शुरुआत नहीं, बल्कि समाज, वर्ग और आत्मसम्मान पर जेन ऑस्टिन की सूक्ष्म टिप्पणी भी सामने आती है। इसी सादे लेकिन अर्थपूर्ण दृश्य में जेन ऑस्टिन की लेखनी की पूरी ताकत दिखाई देती है।
१६ दिसंबर १७७५ को इंग्लैंड के स्टीवेंटन में जन्मीं जेन ऑस्टिन ने अपने आसपास के सीमित सामाजिक संसार को अपनी रचनाओं का केंद्र बनाया। बड़े ऐतिहासिक घटनाक्रमों से दूर रहकर उन्होंने मध्यवर्गीय अंग्रेज समाज, विवाह की राजनीति, स्त्री की स्वतंत्र सोच और मानवीय कमजोरियों को अपनी कहानियों में पिरोया। प्राइड एंड प्रेजुडिस में एलिजाबेथ और डार्सी का रिश्ता इसी सोच का सबसे सशक्त उदाहरण है, जहां प्रेम से पहले अहंकार और पूर्वाग्रह टूटते हैं।
ऑस्टिन की साहित्यिक दुनिया केवल प्राइड एंड प्रेजुडिस तक सीमित नहीं है। सेंस एंड सेंसिबिलिटी में उन्होंने दो बहनों—एलिनोर और मैरिएन—के जरिए विवेक और भावना के टकराव को दिखाया। मैन्सफील्ड पार्क नैतिकता और सामाजिक दबावों की कहानी कहता है, जबकि एमा एक ऐसी नायिका को सामने लाता है, जो दूसरों के रिश्ते जोड़ने की कोशिश में खुद को समझने लगती है। नॉर्थेंगर एबे में जेन ऑस्टिन ने उस दौर के अतिनाटकीय गोथिक उपन्यासों पर हल्का-फुल्का व्यंग्य किया, वहीं परसुएशन को उनका सबसे परिपक्व उपन्यास माना जाता है, जिसमें समय, पछतावे और दूसरे मौके की भावना झलकती है।
जेन ऑस्टिन की नायिकाएं अपने समय से आगे थीं। वे चुपचाप हालात स्वीकार नहीं करतीं, बल्कि सोचती हैं, सवाल करती हैं, और आत्मसम्मान के साथ फैसले लेती हैं। शायद इसी कारण उनकी कहानियां दो सौ साल बाद भी आधुनिक लगती हैं। जीवनकाल में उन्हें सीमित पहचान मिली और उनकी रचनाएं गुमनाम रूप से प्रकाशित हुईं। १८१७ में ४१ वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी साहित्यिक विरासत समय के साथ और मजबूत होती चली गई।
आज जेन ऑस्टिन केवल एक लेखिका नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक हैं। उनकी कहानियों पर बनी फिल्में, टीवी सीरीज, और आधुनिक रूपांतरण इस बात का प्रमाण हैं कि ड्रॉइंग रूम और नृत्य सभाओं में रची गई ये कहानियां मानवीय भावनाओं की ऐसी सच्चाई कहती हैं जो हर दौर में प्रासंगिक रहती हैं।