क्या काठमांडू में मृतकों की संख्या बढ़ी? सुरक्षा बलों से झड़प में 10 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों की मौत

सारांश
Key Takeaways
- काठमांडू में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ प्रदर्शन।
- हिंसक झड़प में 10 से अधिक प्रदर्शनकारियों की मौत।
- स्थानीय प्रशासन ने कर्फ्यू लागू किया।
- सुरक्षा बलों की कार्रवाई में सैकड़ों लोग घायल हुए।
- सरकार ने सोशल मीडिया ऑपरेटर्स के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया।
काठमांडू, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के सरकार के निर्णय के खिलाफ काठमांडू में युवाओं ने जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान न्यू बनेश्वर में सुरक्षा बलों के साथ हुई हिंसक झड़प में 10 से अधिक प्रदर्शनकारी अपनी जान गंवा बैठे।
स्थानीय प्रशासन ने चार प्रमुख क्षेत्रों में कर्फ्यू लागू किया है, जिनमें शीतल निवास (राष्ट्रपति कार्यालय), महाराजगंज क्षेत्र, ग्रीन हाउस (उपराष्ट्रपति कार्यालय) लैंचौर क्षेत्र, रायणहिती दरबार संग्रहालय क्षेत्र और सिंह दरबार क्षेत्र शामिल हैं।
कर्फ्यू के दौरान किसी भी व्यक्ति को घूमने, सभा करने, जुलूस निकालने या प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं होती। इस आदेश का पालन रात 10 बजे तक करने की सख्त हिदायत दी गई है। काठमांडू में लागू इस कर्फ्यू का उद्देश्य स्थिति को नियंत्रित करना और सुरक्षा बनाए रखना बताया जा रहा है।
नेपाल सरकार के गृह मंत्रालय और जिला प्रशासन कार्यालय द्वारा यह कड़ा निर्णय लिया गया है ताकि हालात शांत हो सकें और किसी भी अप्रिय घटना की रोकथाम की जा सके।
प्रदर्शनकारियों ने जगह-जगह लगाए बैरिकेड को क्षतिग्रस्त कर दिया। हालात बेकाबू होने पर सेना ने मोर्चा संभाला। सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस, पानी की बौछारें, रबर की गोलियां और फायरिंग का सहारा लिया। इस हिंसा में सैकड़ों लोग घायल हुए, जिनमें प्रदर्शनकारी, पत्रकार और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं, जिनमें से कई का काठमांडू के अस्पतालों में उपचार चल रहा है। कई की स्थिति गंभीर बनी हुई है।
वास्तव में, 25 अगस्त को नेपाल कैबिनेट ने निर्णय लिया था कि सभी सोशल मीडिया ऑपरेटर्स को सात दिनों के भीतर पंजीकरण कराना होगा। 4 सितंबर को नेपाल सरकार ने फेसबुक, मैसेंजर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सएप, एक्स, रेडिट सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को ब्लॉक कर दिया था।
काठमांडू में जेन जी के प्रदर्शन को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि कानून और संविधान की अवहेलना करने और राष्ट्रीय गरिमा, स्वतंत्रता और संप्रभुता का अनादर करने को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। उन्हें कहा गया कि वे सोशल मीडिया के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उन्हें पंजीकरण कराना होगा।