क्या चिली के जनरल अगस्तो पिनोशे तानाशाह थे जिन्होंने क्रूरता की सारी हदें पार की?

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क्या चिली के जनरल अगस्तो पिनोशे तानाशाह थे जिन्होंने क्रूरता की सारी हदें पार की?

सारांश

10 दिसंबर 2006 को जनरल अगस्तो पिनोशे की मृत्यु ने चिली और लैटिन अमेरिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय को बंद कर दिया। उनके शासन के दौरान हुए मानवाधिकार उल्लंघनों और आर्थिक सुधारों की बहस आज भी जारी है। क्या उन्हें एक तानाशाह माना जाए या एक आर्थिक सुधारक?

Key Takeaways

  • अगusto पिनोशे का शासन चिली के लिए विवादास्पद रहा।
  • उनकी मृत्यु ने मानवाधिकारों की बहस को फिर से जीवित किया।
  • पिनोशे के शासन में आर्थिक सुधार हुए लेकिन मानवाधिकार हनन भी हुए।
  • पिनोशे को तानाशाह और सुधारक दोनों रूपों में देखा जाता है।
  • उनकी कहानी इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है।

नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान में कई अफ्रीकी देशों में अजीब सी परंपरा देखने को मिल रही है, जो कि तख्तापलट की है। 10 दिसंबर का दिन एक ऐसे तानाशाह की याद दिलाता है जिसने क्रूरता की सभी हदें पार कर लंबे समय तक शासन किया। इसी दिन 2006 को चिली के पूर्व तानाशाह जनरल अगस्तो पिनोशे का निधन हुआ।

पिनोशे की मृत्यु ने लैटिन अमेरिका की राजनीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय को समाप्त कर दिया। 91 वर्ष की आयु में उनका निधन सैन्टियागो के एक सैन्य अस्पताल में हुआ, जहाँ वे दिल की समस्याओं और उम्र संबंधित मुद्दों के कारण उपचाराधीन थे। उनकी मृत्यु ने चिली और पूरे क्षेत्र में दशकों से चल रही बहस को फिर से जीवित कर दिया कि पिनोशे को इतिहास में किस रूप में स्मरण किया जाए?

क्या उन्हें एक सख्त सैन्य शासक के रूप में याद किया जाए जिसने देश को आर्थिक स्थिरता प्रदान की, या उस तानाशाह के रूप में जिसने हजारों लोगों को गायब, मारा या यातनाएँ दीं?

1973 में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद, पिनोशे ने लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई साल्वादोर आयेंदे की समाजवादी सरकार को हटाकर सत्ता संभाली और 1990 तक 'आइरन फीस्ट' के तहत चिली पर शासन किया। उनके शासन में मानवाधिकार उल्लंघनों के हजारों मामले सामने आए, जिनमें से कई को बाद में आधिकारिक आयोगों द्वारा पुष्टि की गई। समर्थक उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में प्रस्तुत करते हैं जिसने चिली की अर्थव्यवस्था को मुक्त-बाजार सुधारों की दिशा में अग्रसर किया, जबकि आलोचक यह कहते हैं कि आर्थिक विकास का यह सफर दमन के साये में लिखा गया।

उनकी मृत्यु ने न्याय की बहस को और जटिल बना दिया, क्योंकि पिनोशे के अंतिम वर्षों में कई मामलों में मुकदमे चल रहे थे—मानवाधिकार हनन, भ्रष्टाचार और अवैध धन जमा करने के मामलों में। लेकिन पूर्ण न्याय का मार्ग उनके जीवन में कभी पूरा नहीं हो सका।

पिनोशे के जीवन और शासन की गहराई से समझने के लिए ब्रिटिश लेखक ह्यूग ओ'शॉघ्नेसी की किताब “पिनोशे: द पॉलिटिक्स ऑफ टॉर्चर” एक महत्वपूर्ण स्रोत मानी जाती है। यह पुस्तक न केवल उनके राजनीतिक निर्णयों को उजागर करती है, बल्कि उन व्यवस्थित अत्याचारों को भी सामने लाती है, जिन्हें वर्षों तक छिपाने की कोशिश की गई।

10 दिसंबर 2006 का दिन दुनिया के लिए केवल एक सैन्य शासक की मृत्यु नहीं था, बल्कि यह याद दिलाने वाला क्षण था कि अत्याचार और सत्ता का दुरुपयोग चाहे कितने ही वर्षों तक क्यों न चले, उसका हिसाब इतिहास अवश्य मांगता है।

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम अगusto पिनोशे के शासन के प्रभावों की गहराई से जांच करें। चिली की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर उनके शासन का गहरा प्रभाव पड़ा, लेकिन मानवाधिकारों का उल्लंघन भी उनके शासन का एक काला पक्ष था। यह एक जटिल स्थिति है जिसमें दोनों पक्षों की बातें सुनने की आवश्यकता है।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

जनरल अगस्तो पिनोशे कौन थे?
जनरल अगusto पिनोशे चिली के पूर्व तानाशाह थे जिन्होंने 1973 से 1990 तक शासन किया।
पिनोशे की मृत्यु कब हुई?
उनकी मृत्यु 10 दिसंबर 2006 को हुई।
पिनोशे के शासनकाल में क्या हुआ?
उनके शासनकाल में मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ और कई लोग गायब हुए।
क्या पिनोशे को एक तानाशाह माना जाता है?
जी हाँ, पिनोशे को उनके क्रूर शासन के कारण तानाशाह माना जाता है।
पिनोशे के शासन के बारे में कौन सी पुस्तक महत्वपूर्ण है?
ब्रिटिश लेखक ह्यूग ओ'शॉघ्नेसी की किताब 'पिनोशे: द पॉलिटिक्स ऑफ टॉर्चर' महत्वपूर्ण स्रोत है।
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