क्या 11 महीने बाद दिखीं नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मचाओ, वेनेजुएला में बदलाव की शुरुआत है?
सारांश
Key Takeaways
- मारिया कोरीना मचाओ की ओस्लो यात्रा ने वेनेज़ुएला की राजनीति में एक नया मोड़ लाया।
- मचाओ का साहसी कदम विपक्ष के लिए एक प्रेरणा हो सकता है।
- उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है, जो मादुरो सरकार पर दबाव बढ़ाने में मदद कर सकता है।
- वेनेज़ुएला की स्थिति गंभीर बनी हुई है।
- मचाओ की लोकप्रियता बढ़ने से दमन की संभावना भी बढ़ती है।
नई दिल्ली, 11 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। लगभग एक वर्ष तक छिपे रहने के बाद वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता और 2025 की नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मारिया कोरीना मचाओ जब ओस्लो की सड़कों पर लोगों का अभिवादन करती नजर आईं, तो यह केवल उनकी सार्वजनिक उपस्थिति नहीं थी—बल्कि यह वेनेज़ुएला की राजनीति में बदलाव का संकेत भी था। मचाओ जिस बेबाकी से अपना नोबेल पीस पुरस्कार लेने ओस्लो पहुंची, वह किसी को भी चौंका सकती थी। हालांकि, समय पर न पहुँच पाने के कारण उनकी बेटी ने पुरस्कार प्राप्त किया।
उन्होंने यात्रा प्रतिबंध को नकारते हुए देश से निकलकर कूरासाओ और फिर नॉर्वे तक का सफर किया; इससे उन्होंने पूरी दुनिया का ध्यान फिर से वेनेज़ुएला की ओर खींच लिया।
मचाओ 2024 के विवादित चुनावों के बाद सरकार की कार्रवाई और दमन के चलते लंबे समय तक छिपी रहीं। जनवरी 2025 में गिरफ्तारी और उसके बाद सरकार की निगरानी ने उन्हें सार्वजनिक जीवन से लगभग गायब कर दिया था। फिर नोबेल पुरस्कार की घोषणा के बाद उनकी गिरफ्तारी पर सवाल उठने लगे, अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा, और अंत में अचानक उनके ओस्लो पहुंचने की खबर ने पूरी कहानी का रुख बदल दिया।
ओस्लो के ग्रैंड होटल की बालकनी से हाथ हिलाते हुए उनकी तस्वीरें दुनिया के हर कोने में देखने वालों को हैरान कर गईं। यह दृश्य एक तरह से यह घोषणा थी कि वेनेज़ुएला का विपक्ष कहीं नहीं गया—वह जीवित है, और अब दुनिया के सामने फिर से खड़ा है।
मचाओ के इस कदम ने वेनेज़ुएला के राजनीतिक समीकरणों में हलचल पैदा कर दी है। विपक्षी धड़े, जो पिछले कुछ समय से बिखरे और निराश दिख रहे थे, अब एक नए चेहरे और एक अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त नेता के इर्द-गिर्द एकजुट होने को तैयार हो सकते हैं! वेनेजुएला इस समय गंभीर स्थिति में खड़ा है। यूएस अटैक ने उसकी सांसें फूल दी हैं।
बेटी एना कोरिना सोसा मचाओ ने मां की ओर से पुरस्कार स्वीकार किया और धन्यवाद भाषण में लोकतंत्र, स्वतंत्रता और स्टेट टेररिज्म की बात कही। उन्होंने मां का भाषण पढ़ा। लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने वाली मचाओ ने अपने देशवासियों से मादुरो के "स्टेट टेररिज्म" के खिलाफ लड़ते रहने की अपील की।
भाषण में कहा गया, "हम वेनेज़ुएला के लोग दुनिया को यह सबक दे सकते हैं जो इस लंबी और कठिन यात्रा से मिला है: कि लोकतंत्र पाने के लिए, हमें आजादी के लिए लड़ने को तैयार रहना होगा।"
इतना ही नहीं, अब भी लोग नोबेल पुरस्कार की घोषणा के बाद उनकी टिप्पणी याद करते हैं। उनका यह कहना कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने “हमारे संघर्ष में निर्णायक समर्थन दिया”—भले ही विवादों में घिर गया हो—लेकिन यह दिखाता है कि वे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक साहसी, स्पष्टवादी नेता के तौर पर खुद को प्रस्तुत करना चाहती हैं।
वेनेज़ुएला में इसका क्या असर होगा, यह अभी तय नहीं है, लेकिन कई संकेत बताते हैं कि राजनीतिक माहौल अब पहले जैसा नहीं रहेगा। मचाओ की छवि अब केवल एक विपक्षी नेता की नहीं, बल्कि लोकतंत्र और मानवाधिकारों की प्रतीक बन चुकी है। इसका सीधा मतलब है कि मादुरो सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ेगा।
लेकिन यह रास्ता आसान नहीं है। मादुरो सरकार अभी भी अपनी सत्ता पर मजबूत काबिज है और उसने बार-बार दिखाया है कि वह किसी भी प्रकार के राजनीतिक विरोध को बड़े पैमाने पर दमन के जरिए नियंत्रित कर सकती है। ऐसे में मचाओ की लोकप्रियता जितनी बढ़ेगी, उनके खिलाफ कार्रवाई का जोखिम भी उतना ही बढ़ेगा।
इतना तय है कि मचाओ की यह वापसी केवल एक घटना नहीं है, बल्कि देश के भविष्य की कहानी में एक महत्वपूर्ण अध्याय है।