क्या न्यूयॉर्क को यूएन मुख्यालय का स्थायी घर चुना गया? 11 दिसंबर 1946 की ऐतिहासिक कहानी
सारांश
Key Takeaways
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 11 दिसंबर 1946 को न्यूयॉर्क को मुख्यालय का स्थायी घर चुना।
- यह निर्णय वैश्विक शांति और सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था।
- वॉरेन आर. ऑस्टिन ने न्यूयॉर्क के समर्थन में अहम भूमिका निभाई।
- जॉन डी. रॉकफेलर जूनियर के योगदान ने इस निर्णय को निर्णायक बनाया।
- 1952 में परिसर सक्रिय हुआ और तब से यह कूटनीति का केंद्र बन गया।
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 11 दिसंबर 1946 को एक ऐसा निर्णय लिया जिसने भविष्य की वैश्विक राजनीति को एक नई दिशा दी। न्यूयॉर्क शहर को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय का स्थायी निवास स्थान चुना गया। यह केवल एक स्थान का चयन करने का निर्णय नहीं था, बल्कि युद्धोत्तर दुनिया को स्थायी शांति और संवाद के मंच की तलाश में लिया गया एक ऐतिहासिक कदम था।
दूसरे विश्वयुद्ध की तबाही के बाद देशों को एक साझा संस्थान में लाना मानव इतिहास की सबसे बड़ी कूटनीतिक परियोजनाओं में से एक था, और इस परियोजना का केंद्र कहां होना चाहिए, इस पर महीनों बहस चली।
शुरुआत में लंदन, जिनेवा, सैन फ्रांसिस्को और फ़िलाडेल्फ़िया जैसे शहरों पर विचार किया गया, लेकिन अंततः न्यूयॉर्क ने आगे बढ़कर यह स्थान प्राप्त किया। इस निर्णय के पीछे कई राजनीतिक संकेत थे। अमेरिका एक नई महाशक्ति के रूप में उभर चुका था और संयुक्त राष्ट्र की मेज़बानी उसकी बढ़ती वैश्विक भूमिका का प्रतीक बन सकती थी।
इस दौर में अमेरिका के प्रतिनिधि वॉरेन आर. ऑस्टिन सबसे सक्रिय चेहरा बने। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के स्थायी प्रतिनिधि के रूप में न्यूयॉर्क के समर्थन में लगातार माहौल तैयार किया। उन्होंने अन्य देशों को भरोसा दिलाया कि न्यूयॉर्क न केवल सुविधाओं और सुरक्षा के लिहाज से सर्वोत्तम है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संवाद का एक स्वाभाविक केंद्र बन सकता है।
उनकी भूमिका का विस्तृत जिक्र स्टैनली मीस्लर की प्रसिद्ध पुस्तक “द युनाइटेड नेशनंस: अ हिस्ट्री” में मिलता है, जहां यह बताया गया है कि यदि अमेरिका के राजनयिक, विशेषकर ऑस्टिन, लगातार लॉबिंग न करते, तो यूएन मुख्यालय शायद किसी अन्य शहर में होता।
इस राजनीतिक प्रयास को निर्णायक मोड़ तब मिला जब जॉन डी. रॉकफेलर जूनियर ने ईस्ट रिवर के किनारे लगभग साढ़े आठ मिलियन डॉलर की सहायता से जमीन खरीदकर संयुक्त राष्ट्र को दान दी, जिस पर आज यूएन की प्रतिष्ठित कांच की इमारतें खड़ी हैं। रॉकफेलर का यह निजी योगदान महासभा के लिए अंतिम निर्णय जैसा था, जिसने न्यूयॉर्क को सबसे व्यवहारिक और आकर्षक विकल्प बना दिया।
1952 में पूरा परिसर सक्रिय हुआ और तब से न्यूयॉर्क दुनिया की कूटनीति का धड़कता केंद्र बन गया है। यहीं से शांति मिशनों की रणनीतियां बनीं, मानवाधिकारों की घोषणाएं तैयार की गईं, अंतरराष्ट्रीय संकटों पर लंबी बहसें हुईं और युद्धविराम के प्रस्ताव लिखे गए। आज भी यह परिसर उस मूल भावना—वार्ता और सहयोग—को याद दिलाता है जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की गई थी।