क्या पाकिस्तान-चीन रक्षा संबंध दक्षिण एशिया में सैन्य संतुलन को बदल रहे हैं?

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क्या पाकिस्तान-चीन रक्षा संबंध दक्षिण एशिया में सैन्य संतुलन को बदल रहे हैं?

सारांश

क्या पाकिस्तान-चीन का बढ़ता रक्षा गठबंधन दक्षिण एशिया में सैन्य संतुलन को प्रभावित कर रहा है? एक नई रिपोर्ट में इस संबंध में गंभीर चिंता जताई गई है। जानिए इस गठबंधन के पीछे के तथ्य और इसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं।

Key Takeaways

  • पाकिस्तान के 81% हथियार आयात चीन से हैं।
  • चीन ने पाकिस्तान को 8.2 अरब डॉलर के हथियार बेचे हैं।
  • पाकिस्तान की सैन्य क्षमता में वृद्धि से क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ सकती है।
  • यह गठबंधन हिंद-प्रशांत सुरक्षा समीकरण को प्रभावित कर रहा है।
  • पारंपरिक और परमाणु सहयोग को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं।

मस्कट, ११ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान और चीन के बीच बढ़ता रक्षा गठबंधन दक्षिण एशिया में सैन्य संतुलन को गहराई से प्रभावित कर रहा है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक सुरक्षा ढांचे पर गंभीर खतरे मंडरा रहे हैं। एक नई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। यह गठबंधन केवल हथियारों की खरीद तक सीमित नहीं है, बल्कि पाकिस्तान को चीन के दक्षिण एशिया और उससे आगे के सामरिक सैन्य प्रभाव संचालन का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना रहा है।

रिपोर्ट में स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के संदर्भ में बताया गया है कि पिछले पांच वर्षों में पाकिस्तान के ८१ प्रतिशत हथियार आयात चीन से हुए हैं, जो पहले पश्चिमी और चीनी आपूर्तिकर्ताओं के बीच संतुलित नीति से एक बड़ा बदलाव है।

२०१५ से चीन ने पाकिस्तान को ८.२ अरब डॉलर के हथियार बेचे हैं, जबकि २०२०-२०२४ के दौरान पाकिस्तान ने चीन के कुल हथियार निर्यात का ६३ प्रतिशत हिस्सा खरीदा। पहले २००० के दशक के अंत में अमेरिका और चीन, दोनों पाकिस्तान के हथियार आयात में एक-तिहाई योगदान देते थे, लेकिन हाल के वर्षों में पाकिस्तान ने अमेरिकी हथियार खरीदना लगभग बंद कर दिया है और चीन पर निर्भरता बढ़ा दी है। यह बदलाव अमेरिकी सैन्य सहायता कार्यक्रमों के रद्द होने के बाद तेजी से हुआ है।

रिपोर्ट के अनुसार, लड़ाकू विमान से लेकर गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट तक के संयुक्त उत्पादन प्रोजेक्ट्स ने दोनों देशों के रक्षा उद्योगों के तकनीकी एकीकरण को और गहरा किया है। इस सहयोग ने खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान को भी बढ़ावा दिया है, जिसमें पाकिस्तान ने चीन को अमेरिकी और पश्चिमी सैन्य तकनीक तक पहुंच उपलब्ध कराई है, जिसे चीन ने रिवर्स-इंजीनियरिंग के जरिए विकसित किया है।

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि पाकिस्तान की बढ़ी हुई सैन्य क्षमता का असर भारत-पाकिस्तान प्रतिद्वंद्विता से आगे बढ़कर पूरे क्षेत्र में हथियारों की होड़ को तेज कर सकता है। साथ ही, पारंपरिक हथियार सहयोग के साथ-साथ परमाणु सहयोग को लेकर भी चिंताएं बढ़ी हैं। चीन द्वारा पाकिस्तान की परमाणु हथियार क्षमता बढ़ाने में मदद और तकनीक हस्तांतरण की अनौपचारिक रिपोर्टों ने दक्षिण एशिया में अस्थिरता और मध्य पूर्व तक असर पड़ने की आशंका को बल दिया है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह गठबंधन न केवल दक्षिण एशिया बल्कि व्यापक हिंद-प्रशांत सुरक्षा समीकरण को प्रभावित कर रहा है और पश्चिमी देशों के हथियार निर्यात पैटर्न को चुनौती दे रहा है। इसके दीर्घकालिक अस्थिरकारी प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल सुरक्षा चिंताओं और दीर्घकालिक रणनीतिक प्रतिस्पर्धा, दोनों पर व्यापक नीति प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।

Point of View

हम मानते हैं कि पाकिस्तान-चीन का यह रक्षा गठबंधन न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी गंभीर चिंता का विषय है। हमें इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि हम अपनी सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित कर सकें।
NationPress
26/09/2025

Frequently Asked Questions

पाकिस्तान-चीन रक्षा गठबंधन का महत्व क्या है?
यह गठबंधन दक्षिण एशिया में सैन्य संतुलन को प्रभावित कर रहा है और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है।
क्या यह गठबंधन भारत के लिए खतरा है?
हां, इससे भारत-पाकिस्तान के बीच की स्थिति तनावपूर्ण हो सकती है।
चीन की भूमिका क्या है?
चीन पाकिस्तान को हथियार और तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है, जो उसकी सैन्य क्षमता को बढ़ा रहा है।
इसका वैश्विक प्रभाव क्या होगा?
यह गठबंधन पश्चिमी देशों के हथियार निर्यात पैटर्न को चुनौती दे सकता है और वैश्विक सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।