क्या पाकिस्तान में ईसाई सफाई कर्मचारी पर हमला होना सामान्य है?

सारांश
Key Takeaways
- पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बढ़ रही है।
- सफाईकर्मियों का उत्पीड़न एक गंभीर मुद्दा है।
- स्थानीय समुदाय की चुप्पी चिंता का विषय है।
- सफाईकर्मियों ने विरोध प्रदर्शन किया है।
- सरकार से कार्रवाई की मांग की जा रही है।
इस्लामाबाद, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सादिकाबाद शहर में एक ईसाई सफाई कर्मचारी पर स्थानीय लोगों ने बर्बरता से हमला किया, जिससे उसकी स्थिति गंभीर हो गई है।
वॉयस ऑफ पाकिस्तान माइनॉरिटी (वीओपीएम) के अनुसार, सादिकाबाद में एक गरीब ईसाई मजदूर (जो रोजाना मेहनत से अपने परिवार का भरण-पोषण करता था) के सिर पर इसलिए ईंट से हमला किया गया क्योंकि उसने एक प्रभावशाली व्यक्ति के कचरे को हटाने से मना कर दिया था।
अधिकार संगठन ने कहा, "वह शहर की गंदगी साफ कर रहा था, जब एक प्रभावशाली व्यक्ति ने उसे अपने निजी कचरे को हटाने के लिए कहा। उसने यह कहकर मना किया कि यह उसका काम नहीं है। इसके बाद उस पर अचानक हमला हुआ। उसका खून उसी सड़क पर बहा, जिसे वह साफ कर रहा था।"
अधिकारी ने बताया कि कर्मचारी अब एक स्थानीय अस्पताल में गंभीर स्थिति में है और अपनी जान के लिए संघर्ष कर रहा है, जबकि लोग इस घिनौनी घटना पर चुप हैं।
सफाईकर्मियों ने इस घटना को अत्यंत क्रूर बताते हुए विरोध प्रदर्शन किया और 'सुथरा पंजाब' परियोजना के तहत काम रोक दिया।
उन्होंने कहा कि वे तब तक काम नहीं करेंगे जब तक पीढ़ियों से झेले गए अपमान और चुप्पी की बात नहीं सुनी जाती। तब तक वे अपने औजार भी नहीं उठाएंगे।
वीओपीएम ने बताया कि पाकिस्तान में सफाईकर्मी, जो ज्यादातर ईसाई समुदाय से हैं, लगातार व्यवस्थित उत्पीड़न का शिकार हैं।
एक बुजुर्ग कार्यकर्ता ने कहा, "हम पीढ़ियों से इस शहर को साफ कर रहे हैं, लेकिन हमें कचरे की तरह समझा जाता है। जब हम बोलते हैं, तो हमें ईंटों और धमकियों से चुप कराया जाता है।"
अधिकार संगठन वीओपीएम ने कहा कि पाकिस्तान में सफाई कर्मचारी निरंतर व्यवस्थित उत्पीड़न के चक्र में फंसे हैं।
धूप में बैठे कर्मचारियों ने सवाल उठाया, "हम कब तक आपका कचरा साफ करते रहेंगे, इससे पहले कि आप हमारी इंसानियत देखें?"
वीओपीएम ने चिंता जताते हुए कहा कि ये कर्मचारी सीवर में काम करते हैं, बीमारियों को साफ करते हैं और गंदगी में सांस लेते हैं, लेकिन उन्हें आभार की जगह गालियां, शक और अब हिंसा मिलती है।
पीड़ितों का समर्थन करने वाले एक ईसाई वकालत समूह, लीड मिनिस्ट्रीज पाकिस्तान ने कहा कि ऐसी घटनाएं नियमित रूप से होती हैं, लेकिन ज्यादातर खबरों या पुलिस रिकॉर्ड में नहीं आतीं, बल्कि पीड़ितों के दिलों में दबे दर्द की तरह दफन हो जाती हैं।
समूह के संस्थापक सरदार मुश्ताक गिल ने पाकिस्तानी सरकार से वादों की जगह सजा के साथ कार्रवाई की मांग की।
वीओपीएम के अनुसार, जब तक न्याय नहीं मिलता, प्रदर्शन जारी रहेगा।
यह हमला पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाले अत्याचारों और अपराधों की सूची में एक और घटना है।