क्या पाकिस्तान की आईएसआई कश्मीर में जिहादी समूहों को अभी भी समर्थन दे रही है?

सारांश
Key Takeaways
- आईएसआई कश्मीर में जिहादी समूहों को समर्थन देती है।
- लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद महत्वपूर्ण आतंकवादी संगठन हैं।
- पाकिस्तान की रणनीति को रोकने के लिए कूटनीतिक उपाय जरूरी हैं।
- सैन्य सहायता को रोकने से आतंकवाद पर प्रभाव पड़ सकता है।
- कश्मीर में उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले कारणों का अध्ययन आवश्यक है।
इस्लामाबाद, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने लंबे समय से इस्लामी जिहादी समूहों को समर्थन और प्रशिक्षण देकर भारत के कश्मीर क्षेत्र में उग्रवाद को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एक नई रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठन कश्मीर और भारत के अन्य भागों में हमलों को अंजाम देते हैं।
अफगान मीडिया स्रोत अमू टीवी की एक रिपोर्ट में कहा गया है, "पाकिस्तान के सैन्य और खुफिया तंत्र पर हमेशा से छद्म जिहादी समूहों को अपनी विदेश नीति के उपकरण के रूप में उपयोग करने का आरोप है। कश्मीर से लेकर अफगानिस्तान तक, पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूहों ने इस्लामाबाद के रणनीतिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए युद्ध छेड़ा है। आजादी के तुरंत बाद पहले कश्मीर युद्ध से लेकर काबुल में तालिबान की वापसी तक, पाकिस्तान का व्यवहार समान बना हुआ है।"
सशस्त्र गैर-सरकारी समूहों का उपयोग मजबूत प्रतिद्वंद्वियों पर दबाव बनाने, सीधे युद्ध से बचने और पड़ोसी देशों में प्रभाव बनाए रखने के लिए कम लागत के उपकरण के रूप में किया जाता है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2008 के मुंबई नरसंहार की योजना लश्कर-ए-तैयबा द्वारा बनाई गई थी, जिससे पाकिस्तान की रणनीति की गहराई का पता चलता है। इसके संचालक पाकिस्तान में थे और आईएसआई से जुड़े थे।
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ऐसे देशों को आतंकवाद के समर्थन के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
पाकिस्तान के संदर्भ में, सबसे स्पष्ट उपाय सैन्य सहायता को रोकना, कूटनीतिक स्पष्टता और वित्तीय दबाव और सैन्य प्रतिबंध लागू करना है।