क्या पाकिस्तान में महिला पत्रकारों की संख्या में कमी आ रही है?

Click to start listening
क्या पाकिस्तान में महिला पत्रकारों की संख्या में कमी आ रही है?

सारांश

पाकिस्तान में महिला पत्रकारों की संख्या में गिरावट लिंग असमानता का स्पष्ट संकेत है। एक अध्ययन के अनुसार, 2020 में महिला रिपोर्टरों का अनुपात 16% था, जो अब घटकर केवल 4% रह गया है। यह स्थिति कार्यस्थल में चुनौतियों और पूर्वाग्रह को दिखाती है।

Key Takeaways

  • महिला पत्रकारों का अनुपात 2020 में 16% से घटकर 4% हो गया है।
  • ग्लोबल मीडिया मॉनिटरिंग प्रोजेक्ट की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
  • महिलाओं के मुद्दे मीडिया में कम दिखाई दे रहे हैं।
  • महिला रिपोर्टिंग में पुरुषों की अधिकता है।
  • लिंग आधारित हिंसा की कहानियां भी सीमित हैं।

नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान के मीडिया में महिलाओं की सक्रियता में निरंतर कमी देखी जा रही है, जो लिंग असमानता और कार्यस्थल पर मौजूदा चुनौतियों का संकेत देती है। एक हालिया अध्ययन के अनुसार, 2020 में जहां टीवी चैनलों पर महिला रिपोर्टरों का अनुपात 16% था, वहीं यह अब घटकर मात्र 4% रह गया है।

ग्लोबल मीडिया मॉनिटरिंग प्रोजेक्ट (जीएमएमपी) की इस रिपोर्ट पर पाकिस्तान स्थित एक एनजीओ यूकेएस रिसर्च सेंटर ने बुधवार को एक बयान जारी किया।

जीएमएमपी हर पांच साल में एक बार इस विषय पर रिपोर्ट प्रकाशित करता है, जो एक ग्लोबल मॉनिटरिंग डे से न्यूज सामग्री का एक स्नैपशॉट प्रदान करता है। इस वर्ष यह चौथा चक्र है जिसमें पाकिस्तानी रिसर्च सेंटर ने जीएमएमपी के साथ मिलकर पाकिस्तान के डेटा की मॉनिटरिंग की।

जीएमएमपी 2025 को दुनिया भर में 6 मई, 2025 को मॉनिटर किया गया था। उस दिन पाकिस्तान के न्यूज एजेंडा में भारत-पाकिस्तान के बीच जंग के हालात थे। इस संघर्ष ने उस दिन मीडिया का माहौल बनाया, लेकिन उस दिन भी जेंडर इनइक्वालिटी स्क्रीन पर स्पष्ट देखी गई।

बयान में कहा गया, "6 मई को टेलीविजन, रेडियो या इंटरनेट न्यूज में कोई महिला रिपोर्टर रिकॉर्ड नहीं की गई।"

"खबरें तल्ख रिश्तों, राजनीतिक बयानबाजी और मिलिट्री अस्सेमेंट पर बहुत ज्यादा केंद्रित थीं, जिससे महिलाओं की कहानियां न्यूज साइकिल से लगभग गायब हो गईं। हालांकि संघर्ष ने 2025 के डेटा को प्रभावित किया, लेकिन यह प्रवृत्ति पूर्वाग्रह को दर्शाती है जो पाकिस्तानी मीडिया में महिलाओं को स्क्रीन पर दिखने और आवाज को सीमित करने में यकीन रखती है।"

वहीं, लिंग आधारित हिंसा (जीबीवी) से जुड़ी खबरों को लेकर, बयान में कहा गया कि "मॉनिटरिंग वाले दिन मॉनिटर किए गए सभी मीडिया में, जीबीवी पर सिर्फ एक स्टोरी दिखाई दी," और कहा कि "उसमें भी महिला को पूरी तरह से विक्टिम के तौर पर पेश किया गया था।"

इसमें कहा गया, "कोई ह्यूमन राइट्स लेंस या लीगल फ्रेमवर्क लागू नहीं किया गया।"

बयान में आगे बताया गया कि इस साल, महिलाओं ने न्यूज सब्जेक्ट्स में सिर्फ 13% हिस्सा लिया, जो 2020 में 18% से कम है। "जिन सभी खबरों में महिलाएं केंद्र में थीं, अजीब बात ये रही कि उन्हें भी पुरुषों ने ही रिपोर्ट किया।"

इसमें आगे कहा गया, "ये नंबर पिछले चक्र के उलट हैं और यह दिखाते हैं कि महिलाओं का प्रतिनिधित्व, संपादकीय प्राथमिकताएं और न्यूज रूटीन से कितनी गहराई से जुड़ा हुआ है।"

Point of View

यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान में महिला पत्रकारों की घटती संख्या हमारे समाज में गहरी जड़ें जमा चुकी लिंग असमानता का संकेत है। इस स्थिति को सुधारने के लिए प्रभावशाली कदम उठाने की आवश्यकता है।
NationPress
10/12/2025

Frequently Asked Questions

पाकिस्तान में महिला पत्रकारों की संख्या में कमी क्यों आ रही है?
महिला पत्रकारों की संख्या में कमी लिंग असमानता और कार्यस्थल पर चुनौतियों के कारण आ रही है।
क्या यह स्थिति बदलेगी?
अगर इस मुद्दे पर ध्यान देने और नीतियों में सुधार किया जाए, तो स्थिति बदल सकती है।
महिला पत्रकारों की संख्या में कमी का प्रभाव क्या है?
यह स्थिति समाज में लिंग असमानता को बढ़ावा देती है और महिलाओं की आवाज को दबाती है।
Nation Press